Dev Uthani Ekadashi प्रबोधनी एकादशी क्यों मनाई जाती है, जानिए इस दिन क्या करें

Dev Uthani Ekadashi इस साल यह 23 नवंबर 2023 गुरुवार को मनाई जाएंगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ होता है और धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तारीख को सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान श्री विष्णु की पूजा उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

Update: 2023-11-16 11:45 GMT

Dev Uthani Ekadashi : हिन्दूधर्म में हर दिन ही कोई न कोई व्रत उपवास रहता है। आपको बता दें कि हिन्दूधर्म भगवान विष्णु की उपासना करना बहुत ही शुभ माना जाता है। आपको बता दें कि 23 नवंबर को देवोत्थान एकादशी मनाई जा रही है। इसे बड़ी एकादशी भी कहते हैं। इस व्रत की मान्यता बहुत मानी जाती है। लोग इस व्रत को बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्त्व माना जाता है।प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह 23 नवंबर 2023 गुरुवार को मनाई जाएंगी. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ होता है और धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी तारीख को सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान श्री विष्णु की पूजा उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

देवोत्थान एकादशीक्यों मनाई जाती है

देवोत्थान एकादशी का व्रत इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु आसाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योगनिद्रा से जागते हैं। इसके बाद वह कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। आपको बता दें कि इस चार में सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। जब भगवान विष्णु जागते हैं तभी सारे मांगलिक कार्य सिद्ध होते हैं। इस दिन को देव जागरण का कार्य शुरू होता है इसलिए इस दिन को देवोत्थान एकादशी या बड़ी एकादशी मनाया जाता है।देवउठनी एकादशी के दिन, सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पानी में स्नान करें. इसके पश्चात देवउठनी एकादशी व्रत संकल्प लें. सूर्य देव को जल का अर्घ्य देकर फिर भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करें, उपयुक्त फल, फूल, पुष्प, धूप, दीप, कपूर-बाती, मिष्ठान, आदि से. अंत में आरती अर्चना करें. दिन भर उपवास रखें और संध्याकाल में गन्ने को रखकर तुलसी चौरा में मंडप बनाकर चावल के आटे का चौक बनाकर तुलसी मां, सालिकराम और गन्ने की पूजा अर्चना करें और आरती करें. इससे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि

इस दिन आंगन या किसी खुली जगह में गन्ने का मंडप बनाया जाता है। इसके साथ आंगन में चौक को बनाया जाता है। चौक के बीच में भगवान विष्णु की मूर्ति रखा जाता है। चौक के साथ चरण चिन्ह बनाए जाते हैं। आपको बता दें कि भगवान विष्णु को सिंघाड़ा, गन्ना और फल - मिठाई समर्पित की जाती है। इसी के साथ दीपक जलाया जाता है जो पूरी रात जलता है। इस दिन भगवान विष्णु को जगाया जाता है।

आषाढ़ माह में देवशयनी एकादशी से लेकर चातुर्मास मास तक, देवता शयन निद्रा में रहते हैं. इस अवधि के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु शयन से बाहर आते हैं, जिससे चातुर्मास का समापन होता है. इस दिन से शुभ कार्यों का प्रारंभ होता है, जैसे विवाह, मुंडन, सगाई, गृह प्रवेश, आदि. इससे शुभ मुहूर्तों की खोज और शुभ घटनाओं का आरंभ होता है

देवोत्थान एकादशी में रखें ख्याल

इस व्रत में लोग निर्जला या जलीय पदार्थ का सेवन करना चाहिए। इस दिन घर में चावल खाना वर्जित रहता है। इस भगवन विष्णु का स्मरण करना चाहिए। इस दिन तामसिक आहार बिल्कुल वर्जित रहता है। और इस उपवास में "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करना चाहिए। आपको बता दें कि इस दिन घर में शंख लाना शुभ माना जाता है। यह बड़ी एकादशी 25 नवंबर को मनाई जा रही है।

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