Chaitra Navratri 2024 : चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना, जानें विधि

इस दिन पूजा संपन्न होने के पश्चात कन्या पूजन का भी विधान है। आइए, मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और महत्व जानते हैं.

Update: 2024-04-16 06:35 GMT

चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की भक्ति-उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इसके लिए साधक श्रद्धा और भक्ति भाव से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। साथ ही माता के निमित्त व्रत उपवास भी करते हैं। इस दिन पूजा संपन्न होने के पश्चात कन्या पूजन का भी विधान है। आइए, मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और महत्व जानते हैं-


मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री चार भुजा धारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प, तो दूजे में गदा धारण की हैं। वहीं, तीसरे में चक्र, तो चौथे में शंख धारण की हैं। सिंह उनकी सवारी है। मां सिद्धिदात्री समस्त संसार का कल्याण करती हैं। इसके लिए उन्हें जगत जननी भी कहते हैं।


महत्व

वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में मां की महिमा का वर्णन निहित है। मार्कण्डेय पुराण में मां की महिमा का गुणगान विशेषकर है। मार्कण्डेय पुराण में मां को अष्ट सिद्धि भी कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि मां अणिमा, महिमा, प्राकाम्य गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व अष्ट सिद्धि का संपूर्ण स्वरूपा हैं।


पूजा विधि

इस दिन सुबह ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले आदिशक्ति और जगत जननी मां दुर्गा को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई कर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और आमचन कर नवीन वस्त्र धारण करें। इसके तत्पश्चात, मां सिद्धिदात्री की स्तुति निम्न मंत्र से करें-


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।


अब मां सिद्धिदात्री की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, तिल, जौ, चावल आदि से करें। मां को प्रसाद में हलवा-पूरी भेंट करें। अंत में आरती अर्चना कर जीवन में तरक्की, उन्नति, सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन स्नान ध्यान कर सामान्य दिनों की तरह पूजा करें। इसके पश्चात, ब्राह्मणों को दान देकर व्रत खोलें।

पंडित दत्तात्रेय होसकेरे के अनुसर मां की विशेष पूजा विधि :- 

नवमी माँ सिद्धिदात्री

बुधवार 17 अप्रेल 2024, 

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माँ सिद्धिदात्री का विधिवत पूजन करने से आपका कोई भी कार्य अपूर्ण नही रहेगा,जीवन में आ रही सभी बाधाएं होंगी दूर:

ध्यान मंत्र  : सिध्दगन्धर्व यक्षाद्यैर सुरैरमरैरपि।

                   सेव्यमाना सदा भूयात् सिध्दिदा सिध्दिदायिनी॥

भोग : धान का लावा भोग

वस्त्र : हरे पीले रंग के वस्त्र पहने।

ऊर्ध्व और अधो दिशायें शांत होंगी : मंत्र, ' ह्रीं क्लीं शूलधारिणी देव्यै ह्रीं क्लीं' का उच्चारण करें| इस मंत्र से ऊर्ध्व और अधो दिशायें शांत होंगी| रोगों से मिलेगी मुक्ति |



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