Javaphool Rice : छत्तीसगढ़ के "जवाफूल चावल" की देश-विदेश में उड़ रही खुशबू, स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद... मिल चुका है GI टैग

अगर खाने में टेस्ट के साथ खुशबू भी हो तो क्या कहने. देश में चावल खाने के एक से बढ़कर एक शौकीन लोग हैं. उनके लिए जीराफूल चावल की बात ही कुछ और है. इस खुशबूदार चावल की मांग अब कई प्रदेशों में बढ़ती जा रही है. इस सुगंधित धान की पैदावार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है. साथ ही लोगों का स्वाद भी बढ़ाया है.

Update: 2024-05-28 06:33 GMT

धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में धान की कई प्रमुख किस्में हैं जिनमें जवाफूल या जीराफूल चावल का एक अपना अगल ही महत्व है. ये चावल अपने स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है. दरअसल जवाफूल चावल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले का एक सुगंधित, पतला, छोटे दाने वाला चावल है. चावल की यह पारंपरिक किस्म आदिवासी किसानों द्वारा जंगल में साफ स्थानों पर उगाई जाती है.

अगर खाने में टेस्ट के साथ खुशबू भी हो तो क्या कहने. देश में चावल खाने के एक से बढ़कर एक शौकीन लोग हैं. उनके लिए जीराफूल चावल की बात ही कुछ और है. इस खुशबूदार चावल की मांग अब कई प्रदेशों में बढ़ती जा रही है. इस सुगंधित धान की पैदावार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है. साथ ही लोगों का स्वाद भी बढ़ाया है.

जीराफूल धान की एक देशी और सुगंधित किस्म है जिसको भारत के कई राज्यों में उगाया जाता है. इस धान की किस्म को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती और नमी वाले खेतों में इसे कम समय में ही उगाया जा सकता है.


जवाफूल चावल की क्या है खासियत

जवाफूल का चावल पकने पर नरम होता है. इसमें हल्की सुगंध होती है. इसे रोजाना खाया जा सकता है. इस चावल की बिरयानी, पुलाव, खीर और किसी भी प्रकार की रेसिपी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. जिस किसी ने भी जवाफुल चावल का स्वाद चखा है, उसे यह बहुत पसंद आता है.

बता दें कि दुनिया में अपनी खुशबू और स्वाद के लिए पहचाने जाने वाले बासमती चावल की भारी डिमांड है. अब जवाफूल चावल छत्तीसगढ़ से लेकर देशभर में पहचान बना रहा है. अच्छी क्वालिटी के कारण देश के कई कोनों में इसकी सप्लाई की जा रही है. दंतेवाड़ा जिले के किसान बासमती की खुशबू को टक्कर देने के लिए जवाफूल चावल अधिक मात्रा में पैदा कर रहे हैं.



जवाफूल चावल के स्वास्थ्य लाभ

  • इसमें सेलेनियम और जिंक जैसे आवश्यक पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होते हैं.
  • अन्य सफेद चावल की तुलना में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, इसलिए चीनी में कम वृद्धि होती है.
  • बिना कोलेस्ट्रोल का होता है.
  • संतुलित आहार के लिए अच्छा होता है.
  • पचाने में भी काफी आसान होता है.

छत्तीसगढ़ में धान की 23,450 प्रजातियां

दुनिया में सुगंधित चावल की लगभग 1000 किस्में हैं, जिसमें से 150 सुगंधित चावल की किस्म की पैदावार भारत में होती है. इनमें से 16 किस्म का चावल छत्तीसगढ़ में पैदा होता है. वहीं छत्तीसगढ़ में जीराफूल, दुबराज, बादशाह, जवाफूल, तरुण भोग समेत धान की 16 प्रमुख सुगंधित किस्में हैं. छत्तीसगढ़ में धान की 23,450 प्रजातियां हैं, इसमें कई सुगंधित और दुर्लभ धान भी शामिल हैं.


जीराफूल को मिल चुका है GI टैग

इस धान से निकलने वाले चावल जीरे के फूलों के समान आकार में बहुत छोटे और खाने में बहुत स्वादिष्ट होते हैं. इसी कारण इसको जीराफूल नाम दिया गया है. संयोजित तरीके से इसकी खेती की जाती है जिसके कारण इस धान की कीमत में तीन गुना से भी अधिक की वृद्धि हो गई है. इसका उत्पादन प्रति एकड़ 8 क्विंटल है. इस धान को हाल में ही भौगोलिक संकेतक ज्योग्राफिक इंडेक्स टैग यानी GI टैग दिया गया है. इससे पूरे विश्व में इस धान को इसी नाम से जाना जाएगा.


किन राज्यों में होती है खेती

जीराफूल चावल धान के कटोरे नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक उगाया जाता है. छत्तीसगढ़ के अलावा इस धान को राजस्थान और झारखंड में भी उगाया जाता है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा इलाके में जीराफूल की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. जीराफूल चावल एक प्राचीन किस्म है, जिसका अपना एक पारंपरिक महत्व भी है.


Tags:    

Similar News