Raipur Top 10 Tourist Places: ‘’छत्तीसगढ़ के दिल में आपका स्वागत है’’, क्या आपने भी नहीं घूमी रायपुर की ये टॉप 10 जगहें...

Raipur Top 10 Tourist Places: छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर, ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक समृद्धि और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है. यह शहर प्राचीन किलों, मंदिरों और संस्कृति से जुड़ी अनेक आकर्षक जगहों का घर है.अगर आप रायपुर घूमने का विचार कर रहे हैं, तो यहां के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में जानना आपके अनुभव को और भी बेहतर बना सकता है…

Update: 2025-03-03 13:16 GMT

Raipur Top 10 Tourist Places: छत्तीसगढ़ का दिल रायपुर को कहा जाता है. रायपुर राज्य की राजधानी है और यह राज्य का सबसे बड़ा और प्रमुख शहर भी है. यह शहर प्रशासनिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ का केंद्र है. रायपुर को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और आधुनिक विकास का मिश्रण माना जाता है, इसलिए इसे "छत्तीसगढ़ का दिल" कहा जाता है. यहाँ के लोग, संस्कृति, बाजार और स्थानीय जीवनशैली राज्य की पहचान को प्रतिबिंबित करते हैं. आइये जानते है रायपुर के टॉप 10 पर्यटन स्थलों के बारे में..

1- स्वामी विवेकानंद सरोवर

स्वामी विवेकानंद सरोवर, रायपुर का एक प्रमुख और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जिसे शहर के दिल में स्थित बूढ़ा तालाब के रूप में जाना जाता है. यह स्थान अपनी शांति, प्राकृतिक सौंदर्य, और सकारात्मक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है. यहां का वातावरण, जो हरे-भरे ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है, पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है. साथ ही, यह जगह रायपुर के सबसे अच्छे पिकनिक स्पॉट्स में से एक मानी जाती है, जहां आप परिवार और दोस्तों के साथ आराम से समय बिता सकते हैं.


इतिहास

बूढ़ा तालाब रायपुर का एक प्राचीन जलाशय है. इस तालाब का ऐतिहासिक महत्व है, जो प्राचीन काल से यहां की जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत था. इस क्षेत्र का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखा गया है. जानकारों की माने तो स्वामी विवेकानंद रायपुर में अपने 2 साल के प्रवास के दौरान हर सुबह स्नान के लिए झील पर आते थे. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने तालाब के पास विश्राम भी किया था. इसलिए, झील का नाम महान संत के नाम पर रखा गया है. स्वामी विवेकानंद के विचारों और उनके योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से, रायपुर नगर निगम ने इस क्षेत्र को पुनर्निर्मित किया और इसे एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया.

कैसे पहुंचें

स्वामी विवेकानंद सरोवर रायपुर के केंद्र से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और यहां तक पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो-रिक्शा, टैक्सी और बस का इस्तेमाल किया जा सकता है.यह स्थान शहर के मुख्य मार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.

खुलने का समय

स्वामी विवेकानंद सरोवर का सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है. इस दौरान आप यहां की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं, लेकिन शाम के समय खासतौर पर सूर्यास्त का दृश्य देखने के लिए यहां अधिक भीड़ होती है.

2 - पुरखौती मुक्तांगन

पुरखौती मुक्तांगन आदिवासी संस्कृति और लोक कला का एक जीवित उदाहरण है. यहां आप आदिवासी जीवनशैली, उनके पारंपरिक उपकरण, वस्त्र, और सांस्कृतिक प्रदर्शन देख सकते हैं. यह स्थल आदिवासी कलाओं को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न आदिवासी समूहों की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया है. पुरखौती मुक्तांगन में छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों की लघु प्रतिकृतियाँ भी बनाई गई हैं. इनमें चित्रकोट जलप्रपात, माता दंतेश्वरी मंदिर, बस्तर के जंगल और करवाधा जैसे प्रमुख स्थल शामिल हैं. यह उद्यान अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जो छत्तीसगढ़ की पारंपरिक शैली से प्रेरित है.



इतिहास

पुरखौती मुक्तांगन का उद्घाटन 2006 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था. यह स्थल छत्तीसगढ़ राज्य की जैव-सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और प्रदर्शित करने के उद्देश्य से बनाया गया था. "पुरखौती" शब्द का अर्थ होता है 'प्राचीन धरोहर', और "मुक्तांगन" का अर्थ है 'खुला आंगन'. इस उद्यान में छत्तीसगढ़ की लोक कला, संस्कृति, आदिवासी जीवनशैली और पारंपरिक कलाओं का संग्रह देखने को मिलता है. यह उद्यान राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ पर्यटकों को एक शैक्षिक और मनोरंजक अनुभव प्रदान करने का उद्देश्य रखता है. यह स्थल छत्तीसगढ़ राज्य की संस्कृति और लोक कला की महत्वपूर्ण कड़ी है, जिसे विजन 2020 के तहत स्थापित किया गया था. विजन 2020 राज्य सरकार की योजना थी, जिसमें राज्य के सांस्कृतिक और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की गई थी.

कैसे पहुंचें

पुरखौती मुक्तांगन रायपुर शहर के बाहरी इलाके में स्थित है, और यह रायपुर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. यहां तक पहुँचने के लिए आप टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं. रायपुर रेलवे स्टेशन और रायपुर हवाई अड्डा यहां से लगभग 15-20 किलोमीटर दूर स्थित हैं, और वहां से आसानी से पहुंचा जा सकता है.

समय और प्रवेश शुल्क

पुरखौती मुक्तांगन सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है.यह सोमवार को बंद रहता है. यहां प्रवेश के लिए शुल्क लिया जाता है. शुल्क संरचना में बदलाव हो सकता है, लेकिन सामान्यतः वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 20-50 रूपए और बच्चों के लिए 10-20 रूपए होता है.

3 - शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम

शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम रायपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित एक प्रमुख क्रिकेट स्टेडियम है, जिसकी क्षमता लगभग 65,000 दर्शकों की है. यह आईपीएल और रणजी ट्रॉफी जैसे महत्वपूर्ण क्रिकेट टूर्नामेंट्स का मेज़बान बन चुका है और इसके आधुनिक सुविधाओं से लैस इंफ्रास्ट्रक्चर में खिलाड़ी और दर्शक दोनों के लिए शानदार व्यवस्थाएँ हैं. छत्तीसगढ़ में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए यह स्टेडियम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह स्थल न केवल क्रिकेट, बल्कि सांस्कृतिक और अन्य बड़े आयोजनों के लिए भी उपयुक्त है, जिससे छत्तीसगढ़ के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलता है. स्टेडियम में खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं. इसमें शानदार पिच, लाइटिंग व्यवस्था, विश्राम कक्ष, ड्रेसिंग रूम, मीडिया कक्ष और वाणिज्यिक क्षेत्रों का समावेश किया गया है. इसके अलावा, स्टेडियम में वर्ल्ड क्लास जिम, वॉशरूम, पार्किंग और सुरक्षा सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं.



इतिहास

शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम रायपुर, छत्तीसगढ़ में स्थित एक प्रमुख क्रिकेट स्थल है, जो अपनी विशालता और आधुनिक सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है. इस स्टेडियम का उद्घाटन 2008 में हुआ था, और यह छत्तीसगढ़ राज्य का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है. इस स्टेडियम का नाम वीर नारायण सिंह के नाम पर रखा गया है, जो छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे. उनका बलिदान और योगदान आज भी छत्तीसगढ़वासियों के दिलों में जीवित है.

कैसे पहुंचे

रायपुर शहर के केंद्र से यह स्टेडियम लगभग 21 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां तक पहुँचने के लिए कई तरीके हैं, यदि आप अपना निजी वाहन लेकर जा रहे हैं, तो आपको आसानी से स्टेडियम तक पहुँचने के लिए अच्छी सड़कों का मार्ग मिलेगा. रायपुर में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था भी अच्छी है, और आप बस के माध्यम से भी स्टेडियम तक पहुँच सकते हैं. यदि आप एक आरामदायक यात्रा चाहते हैं, तो आप कैब या राइड-हेलिंग सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं.

4 - महंत घासीदास  स्मारक संग्रहालय

महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो शहर के समृद्ध इतिहास और आदिवासी संस्कृति को प्रदर्शित करता है. यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ के इतिहास को समझने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह रायपुर के पर्यटन स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय में कुल 17,279 पुरावशेष और कलात्मक सामग्रियाँ संग्रहीत हैं, जिनमें से 4,324 सामग्रियाँ गैरपुरावशेष हैं और शेष 12,955 पुरावशेष हैं. संग्रहालय में प्रदर्शित वस्तुओं में प्राचीन सिक्के, हथियारों के नमूने, मूर्तियाँ, नक्काशी, शिलालेख और अन्य पुरातात्विक कलाकृतियाँ शामिल हैं. इन वस्तुओं के माध्यम से रायपुर और छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाया जाता है.



इतिहास और स्थापना

महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में स्थित एक प्रमुख पुरातात्विक संग्रहालय है. इसका निर्माण 1875 में राजा महंत घासीदास ने किया था, जो छत्तीसगढ़ के एक प्रसिद्ध संत और समाज सुधारक थे. संग्रहालय का उद्देश्य छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर और संस्कृति को संरक्षित करना था. संग्रहालय का एक महत्वपूर्ण अध्याय 1953 में जुड़ा, जब रानी ज्योति और उनके पुत्र दिग्विजय सिंह ने इस भवन का पुनर्निर्माण कराया. इस पुनर्निर्माण के साथ संग्रहालय को एक नई पहचान मिली और इसे और अधिक व्यवस्थित और प्रभावशाली बनाया गया. इस पुनर्निर्माण के बाद, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के करकमलों द्वारा इस संग्रहालय का विधिवत लोकार्पण किया गया. यह संग्रहालय अब राष्ट्रीय महत्व का स्थल बन चुका है, जो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रस्तुत करता है.

कैसे पहुंचे

महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर के कचहरी चौक पर स्थित है, जो शहर के केंद्र से कुछ ही दूरी पर है. यहाँ तक पहुँचने के लिए आप सार्वजनिक परिवहन, टैक्सी, या निजी वाहन का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह रायपुर के प्रमुख आकर्षणों के पास स्थित है, और यहाँ पहुंचना आसान है.

खुलने का समय और शुल्क

महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुलता है. यह सोमवार को बंद रहता है, लेकिन बाकी दिनों में संग्रहालय पर्यटकों के लिए खुला रहता है. इस संग्रहालय में प्रवेश शुल्क वयस्कों के लिए 5 रूपए और बच्चों के लिए 2 रूपए रखा गया है.

5 - टाउन हॉल

रायपुर का टाउन हॉल न केवल एक ऐतिहासिक भवन है, बल्कि यह रायपुर के सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है. यहाँ आने वाले पर्यटक इतिहास के इस समृद्ध स्थल को देखकर एक अद्वितीय अनुभव प्राप्त करते हैं, और यह रायपुर की यात्रा का एक अभिन्न हिस्सा बन जाता है.


इतिहास

रायपुर का टाउन हॉल 1889 में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य शहर में प्रशासनिक कार्यों के लिए एक उपयुक्त स्थल प्रदान करना था. यह इमारत न केवल स्थानीय प्रशासन और नागरिक बैठकों के लिए इस्तेमाल होती थी, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजनों का भी प्रमुख केंद्र बन गई थी. इसके निर्माण से शहर के शहरीकरण और विकास को बढ़ावा मिला, और यह रायपुर के ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व का प्रतीक बन गया. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी, यह स्थल राजनीतिक बैठकों और नागरिक अधिकारों की चर्चा का मंच रहा, जिससे इसका इतिहास और भी महत्वपूर्ण हो जाता है. रायपुर का टाउन हॉल, जिसे पहले विक्टोरिया जुबली हॉल के नाम से जाना जाता था.

कैसे पहुंचे

रायपुर के शास्त्री चौक के पास स्थित टाउन हॉल, शहर के केंद्र में स्थित है, जिससे यहाँ पहुंचना आसान है. निजी वाहन, जैसे कार और मोटरसाइकिल, आसानी से इस स्थल तक पहुँच सकते हैं. इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन के विकल्प जैसे बसें, रिक्शा और टैक्सियाँ भी उपलब्ध हैं. रायपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से टाउन हॉल की दूरी लगभग 10-15 मिनट की है, जिससे रेलयात्रियों के लिए भी यह एक सुविधाजनक स्थल बन जाता है.

खुलने का समय और शुल्क

रायपुर का टाउन हॉल आमतौर पर पर्यटकों के लिए सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है. यह सोमवार से शनिवार तक खुला रहता है, और रविवार को बंद रहता है. टाउन हॉल में प्रवेश के लिए कुछ मामूली शुल्क लिया जा सकता है. आमतौर पर यह शुल्क 10 से 20 रुपए के बीच हो सकता है.

6 - गांधी उद्यान

गांधी उद्यान पार्क रायपुर के केंद्र में स्थित एक सुंदर और शांतिपूर्ण स्थल है, जो सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए मनोरंजन और विश्राम का आदर्श स्थान है. यह पार्क प्रसिद्ध भगत सिंह चौक तक फैला हुआ है और इसकी पैदल क्षेत्र की लंबाई लगभग 400 मीटर है, जो सुबह या शाम की सैर के लिए उपयुक्त है. पार्क में अच्छी तरह से टाइल किया गया पैदल मार्ग और समृद्ध हरियाली पर्यटकों को आकर्षित करती है. सुबह के समय, यहाँ योग सत्र आयोजित किए जाते हैं, जो स्वास्थ्य प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं.


इतिहास

गांधी उद्यान का इतिहास रायपुर शहर के विकास और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ है. यह पार्क शहरवासियों के लिए एक सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है, जहाँ विभिन्न कार्यक्रम और सामुदायिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं. पार्क के भीतर स्थित भगत सिंह चौक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायक भगत सिंह की याद में समर्पित है, जो युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है.

कैसे पहुंचे

गांधी उद्यान पार्क रायपुर शहर के मध्य में स्थित होने के कारण आसानी से पहुँचा जा सकता है. निजी वाहन, सार्वजनिक बसें, रिक्शा और टैक्सियाँ सभी इस स्थान तक पहुँचने के लिए उपलब्ध हैं. रायपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन और स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा पार्क से निकटता में हैं, जिससे यहाँ तक पहुँचने में सुविधा होती है.

समय

पार्क सुबह 5:00 बजे से 9:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है. यह समय स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया है, लेकिन सटीक समय में परिवर्तन संभव है, इसलिए यात्रा से पहले नवीनतम जानकारी प्राप्त करना उचित होगा.

7 - उर्जा पार्क

रायपुर के उर्जा पार्क को छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (CREDA) द्वारा स्थापित किया गया है. यह पार्क विशेष रूप से अक्षय ऊर्जा स्रोतों और उनके उपयोग को लेकर शिक्षा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसके निर्माण का उद्देश्य पर्यटकों और नागरिकों को ऊर्जा संरक्षण और अक्षय ऊर्जा के महत्व के बारे में जागरूक करना है. यहाँ पर पर्यटकों को सौर ऊर्जा द्वारा संचालित बोटों पर सवारी का अवसर मिलता है, जिससे वे अक्षय ऊर्जा के वास्तविक उपयोग को देख सकते हैं. यह पार्क अपने दर्शकों को रंगीन फव्वारे, संगीत, और विज्ञान से संबंधित प्रदर्शनियों के जरिए आकर्षित करता है। यहाँ पर ऊर्जा संरक्षण के महत्व को भी दिखाया जाता है. बच्चों और वयस्कों के लिए झूले, स्लाइड, राउंड व्हील और बोटिंग जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं. इसके अलावा, यहाँ पर टॉय ट्रेन भी है, जो परिवार के साथ समय बिताने के लिए आदर्श है. पार्क में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और अन्य अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित शैक्षणिक प्रदर्शनी आयोजित की जाती हैं, जो छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए विशेष रूप से लाभकारी हैं.


इतिहास

उर्जा पार्क का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा 22 नवंबर 2012 को किया गया था. उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री ने इस पार्क के माध्यम से लोगों को ऊर्जा संरक्षण और अक्षय ऊर्जा के महत्व को समझने का आह्वान किया था. यह पार्क न केवल पर्यटकों के लिए मनोरंजन का एक स्थान है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने का भी एक प्रभावी केंद्र है।

कैसे पहुंचे

उर्जा पार्क रायपुर शहर के केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह प्रमुख शहर के स्थानों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और आप यहाँ तक निजी वाहन, टैक्सी, या सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से आसानी से पहुँच सकते हैं. पार्क की दूरी और ट्रैफिक की स्थिति के आधार पर, यह लगभग 20-30 मिनट में पहुंचा जा सकता है.

समय और प्रवेश शुल्क

पार्क प्रतिदिन सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है. पार्क में प्रवेश सामान्यतः नि:शुल्क है, लेकिन कुछ विशेष प्रदर्शनी और कार्यक्रमों के लिए शुल्क लिया जा सकता है.

8 - जंगल सफारी

रायपुर के नया रायपुर क्षेत्र में स्थित नंदनवन जंगल सफारी एक विशाल और शानदार वन्यजीव पार्क है, जहाँ पर्यटकों को जंगल के भीतर सफारी का अनूठा अनुभव मिलता है. यह जंगल सफारी 800 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जो हरे-भरे प्राकृतिक दृश्य और विविध वनस्पतियों से भरा हुआ है. यह स्थल जानवरों और पक्षियों के लिए एक प्राकृतिक आवास के रूप में कार्य करता है, जो पर्यटकों को प्रकृति के बेहद करीब ले जाता है. नंदनवन जंगल सफारी के भीतर स्थित खांडवा जलाशय लगभग 130 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और यह प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है. यहाँ पक्षियों की कई प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं.


पार्क में चार प्रमुख सफारी दी जाती हैं

शाकाहारी सफारी: इसमें शाकाहारी जानवरों जैसे हाथी, गौर, आदि को देखा जा सकता है.

भालू सफारी: भालू और उनके प्राकृतिक आवास को देखने का अनुभव मिलता है.

बाघ सफारी: पर्यटकों को बाघों के साथ एक साहसिक अनुभव मिलता है.

शेर सफारी: शेरों का नजदीक से निरीक्षण करने का रोमांचक अवसर मिलता है.

इतिहास और उद्देश्य

इसका उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा 19 अक्टूबर 2017 को किया गया था. उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री ने इस सफारी के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण जोड़ने और राज्य के वन्यजीवों के संरक्षण पर जोर देने की बात की थी. नंदनवन जंगल सफारी का उद्देश्य पर्यटकों को वन्यजीवों के साथ संवाद करने और प्राकृतिक जीवन का अनुभव करने का मौका देना है. इसे स्थानीय वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिए विकसित किया गया था, ताकि लोग इस अद्भुत प्राकृतिक धरोहर का अनुभव कर सकें और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें.

कैसे पहुंचे

नंदनवन जंगल सफारी नया रायपुर के सेक्टर-39 में स्थित है, जो रायपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 35 किलोमीटर और स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा से 15 किलोमीटर दूर है, आप निजी वाहन, टैक्सी, या सार्वजनिक परिवहन के द्वारा आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं.

समय और प्रवेश शुल्क

नंदनवन जंगल सफारी का समय आम तौर पर सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक होता है. यहाँ पर प्रवेश शुल्क लिया जाता है, जो सफारी के प्रकार और संख्या पर निर्भर करता है.

9 - छत्तीसगढ़ विज्ञान केंद्र

छत्तीसगढ़ विज्ञान केंद्र, जो प्रदेश में अपनी तरह का एकमात्र विज्ञान केंद्र है, यह केंद्र रायपुर में स्थित है और लगभग 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों और युवाओं को खेल-खेल में विज्ञान सीखने का अवसर प्रदान करना है, जिससे वे विज्ञान को न केवल समझें, बल्कि उसे महसूस भी कर सकें. विज्ञान केंद्र के बाहर एक हरा-भरा और आरामदायक विज्ञान उद्यान है, जिसमें विभिन्न प्रकार के मॉडल जैसे सरल मशीनों, ध्वनि, प्रकाश विज्ञान, दोलक इत्यादि स्थापित हैं. यह उद्यान बच्चों और वयस्कों को विज्ञान के सिद्धांतों को जीवन में समझने का एक आकर्षक तरीका प्रदान करता है. यहाँ पर थ्रीडी शो और तारामंडल शो भी आयोजित होते हैं, जिसमें दर्शक आकाशगंगा, ग्रहों और अन्य वैज्ञानिक पहलुओं को एक नए और रोचक तरीके से देख सकते हैं. तारामंडल शो का पहला शो सुबह 11:30 बजे और दूसरा शो शाम 4:00 बजे होता है.


इतिहास और उद्देश्य

विज्ञान केंद्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा स्थापना 13 जुलाई 2012 में की गई थी, और इसका उद्देश्य बच्चों, छात्रों और आम नागरिकों को विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराना था. यहां पर विभिन्न प्रकार के विज्ञान प्रदर्शनी, मॉडल और प्रयोग होते हैं, जो बच्चों को व्यावहारिक तरीके से विज्ञान के सिद्धांतों को समझने का मौका देते हैं. इसके अलावा, कोरोना महामारी के कारण केंद्र को दो साल तक बंद रखा गया था, लेकिन 29 जून 2022 को इसे पुनः खोला गया.

समय और शुल्क

विज्ञान केंद्र सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक खुला रहता है. हालांकि, सोमवार को यह बंद रहता है. छत्तीसगढ़ विज्ञान केंद्र का प्रवेश शुल्क छात्रों के लिए 5 रुपये, सामान्य व्यक्तियों के लिए 10 रुपये, इसके अलावा, थ्रीडी शो और तारामंडल शो के लिए 10 रुपये अतिरिक्त शुल्क लिया जाता है.

कैसे पहुंचे

छत्तीसगढ़ विज्ञान केंद्र रायपुर शहर के विधानसभा रोड पर सड्डू में हैं. यहां पहुंचने के लिए आप निजी वाहन, टैक्सी, ऑटो रिक्शा या सार्वजनिक बस का उपयोग कर सकते हैं. स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा से टैक्सी या कैब द्वारा यहां लगभग 15-20 मिनट में पहुंचा जा सकता है.

10 - राजकुमार कॉलेज

राजकुमार कॉलेज, रायपुर एक प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक शिक्षा संस्थान है, जो छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर शहर में स्थित है. यह कॉलेज 1882 में सर एंड्रू फ्रेजर द्वारा स्थापित किया गया था, जो उस समय सीपी (केंद्रीय प्रांत) के मुख्य आयुक्त थे.उन्होंने "राजकुमार स्कूल" की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य प्रमुख राजाओं और जमींदारों के बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान करना था. यह स्कूल शुरू में जबलपुर में स्थापित हुआ था और वहां राजकीय छात्रावास के रूप में कार्य करता था.


इतिहास

1894 में यह स्कूल रायपुर में स्थानांतरित हुआ और यहां इसे एक पूर्ण बोर्डिंग स्कूल के रूप में स्थापित किया गया. रेव जी डी ओसवेल नामक प्रिंसिपल ने 1894 से 1910 तक इसके संचालन की जिम्मेदारी संभाली और इसे एक उत्कृष्ट शिक्षा संस्थान बनाया. उनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व ने राजकुमार कॉलेज को एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान के रूप में स्थापित किया. कॉलेज के वातावरण, वास्तुकला और इसके आकर्षक उद्यान इसे एक अद्वितीय स्थल बनाते हैं. यहां की शानदार स्थापत्य कला और प्रभावशाली डिज़ाइन न केवल छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, बल्कि यह एक पर्यटक आकर्षण भी है.

कैसे पहुंचें

राजकुमार कॉलेज रायपुर शहर के केंद्र से लगभग 3-5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. आप इसे निजी वाहन, टैक्सी, ऑटो रिक्शा या बस द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं। यह रायपुर रेलवे स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर और स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा से लगभग 15-20 मिनट की दूरी पर है.

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