कलेक्टरों की ट्रांसफर लिस्टः छत्तीसगढ़ में चुनाव आयोग के राडार पर आए कलेक्टर बदले जाएंगे!
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में आयोग की पूरी टीम तीन दिन पहले छत्तीसगढ़ आई थी। चुनावी तैयारी की समीक्षा के लिए आयोग ने राज्य के कलेक्टरों और एसपी की बैठक ली। इस दौरान आयोग राज्य के कई कलेक्टरों के कामकाज से संतुष्ट नजर नहीं आए।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में मतदाता सूची का काम संपन्न होने के बाद कलेक्टरों की एक फायनल पोस्टिंग लिस्ट निकलेगी। इसके जद में करीब आधा दर्जन के कलेक्टर आएंगे। इनमें अधिकांश वे कलेक्टर होंगे, जो 26 अगस्त की मीटिंग में निर्वाचन आयोग के निशाने पर रहे।
हालांकि, मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य शुरू होने से पहले ही कलेक्टरों की एक लिस्ट निकलनी थी। मगर किन्हीं कारणों से यह अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। अब निर्वाचन आयोग की बमबारिंग वाली बैठक के बाद कलेक्टरों की लिस्ट निकलना निश्चित समझा जा रहा है। क्योंकि, आचार संहिता प्रभावशील होने के बाद आयोग हटाएगा तो सामान्य प्रशासन विभाग को तीन नामों का पेनल भेजना होगा। आयोग उसमें से किसको टिक लगाएगा कोई भरोसा नहीं। लिहाजा, सरकार की कोशिश होगी ये नौबत ही नहीं आए। जाहिर है, 2003 के विधानसभा चुनाव के समय में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार थी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की, तब भी सबसे अधिक कलेक्टर बदले गए थे। इस बार तो निर्वाचन आयोग के तेवर और बदले-बदले से हैं।
कलेक्टर, एसपी की बैठक में आयोग कई बार इस बात को दुहराया कि आयोग के अनुसार काम नहीं करोगे तो हटा दिए जाओगे। सातवे जिले की कलेक्टरी कर रहे एक कलेक्टर पर आयोग लगभग बरस ही पड़ा। शराब जब्ती के विषय पर कलेक्टर बार-बार माइक एसपी की तरफ घूमा दे रहे थे, इलेक्शन कमिश्नर अनूप पाण्डेय इस पर भड़क गए। बोले, तुम आबकारी के प्रमुख हो, एसपी क्या बताएगा। ये तो एक बानगी है, बड़े जिलों के अधिकांश कलेक्टरोंं की यही स्थिति थी कि कब बैठक खतम हो।
यह भी पढ़ें- चुनाव आयोग का निर्देश: तीन वर्ष से जमे अफसरों को शीघ्र करें स्थानांतररित
रायपुर। विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने तीन वर्ष या उससे अधिक समय से एक ही स्थान पर जमे अफसरों और कर्मियों को तुरंत हटाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव में केवल नियमित सरकारी कर्मचारियों की ही ड्यूटी लगाई जाएगी। संविदा कर्मियों को चुनाव ड्यूटी से बाहर रखा जाएगा।
छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने रायपुर में हुई प्रेसवार्ता में यह बात कही थी। एक प्रश्न के उत्तर में आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि तीन वर्ष से जमे अधिकारियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। अफसरों ने बताया कि काफी हद तक ऐसे अफसरों का तबादला किया जा चुका है। बाकी जो बच गए हैं उनका भी शीघ्र ही आदेश जारी किया जाएगा। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें
यह भी पढ़ें- बड़े जिलों के कलेक्टर-SP रहे निर्वाचन आयोग के टारगेट में, दिन भर हुई खिंचाई...हटाने की चेतावनी भी
रायपुर। निर्वाचन आयोग के फुल बोर्ड ने आज सूबे के कलेक्टर, एसपी की बैठक ली। इसमें खास तौर से बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी टारगेट पर रहे। पूरे दिन उनकी खिंचाई होती रही। बार बार दो टूक चेतावनी भी...नहीं करोगे तो हटा दिए जाओगे। अलबत्ता, कांकेर की कलेक्टर डॉ प्रियंका शुक्ला और सारंगढ़ कलेक्टर फारिया आलम सिद्दकी दो ऐसे कलेक्टर रहीं, जिन्हें आयोग से शबासी मिली। दोनों ने अंग्रेजी में अपना प्रेजेंटेशन दिया...आयोग ने कहा, गुड।नया रायपुर के मेफेयर होटल में हुई इस बैठक को आधा दर्जन बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी कभी भूला नहीं पाएंगे। निर्वाचन आयोग ने उन्हें सीधे इनकंपिटेंट तो नहीं कहा, मगर बहुत कुछ कह दिया। छोटे जिलों के कलेक्टर, एसपी किस्मती रहे या आयोग ने उन्हें अहमियत नहीं दी। आयोग का पूरा फोकस बड़े जिलों के कलेक्टर, एसपी पर था। बड़ी बारीकी से चीजों को पकड़ी जा रही थी। एक जिले के एसपी से आयोग ने पूछ दिया, देशी शराब आप ज्यादा पकड़ रहे, अंग्रेजी क्यों नहीं। एक बार्डर जिले के एसपी ने मध्य प्रदेश से शराब तस्करी की बात कही तो आयोग ने खिंचाई कर दी, आप क्या कर रहे हो। एसपी ने कहा, हमारा बार्डर महाराष्ट्र पड़ता है, मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र होते शराब आ रही। आयोग ने इस पर एसपी की जमकर क्लास ले ली। आयोग का कहना था कि कर्नाटक में चुनाव के दौरान अफसरों ने लगातार कार्रवाई की, छत्तीसगढ़ में ऐसा क्यों नहीं हो रहा। आयोग इस पर भी सवाल उठाया कि बाहरी एजेंसियां यहां कार्रवाई कर रही है, आप लोग क्यों चुप बैठे हो। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें-