मां ने जन्म के समय की मुस्कान देखकर स्मिता नाम रखा, फिल्मों में आने से पहले थीं न्यूज रीडर; शादीशुदा राजबब्बर से ब्याह रचाने पर झेली नाराजगी

जन्मदिन विशेष: सांवली रंगत और बड़ी बड़ी आंखों वाली स्मिता पाटिल ने लीक से हटकर निभाया किरदार।

Update: 2022-10-17 14:40 GMT

NPG DESK I  सांवली रंगत, बड़ी-बड़ी आँखें, भीतर के विद्रोही तेवरों से चेहरे पर छाया गज़ब का आत्मविश्वास और लीक से हटकर किरदार वाली फिल्मों का चयन करने की उनकी हिम्मत ... यही कुछ तो था जो "स्मिता पाटिल" को अपने ज़माने की दूसरी अभिनेत्रियों से एकदम अलग मुक़ाम पर पहुंचा देता था। अपने करीब 10 वर्ष के छोटे से फिल्मी सफर में उन्होंने ऐसी फिल्में की जो भारतीय फिल्मों के इतिहास में मील का पत्थर बन गईं। भूमिका, मंथन, मिर्च मसाला, अर्थ, मंडी जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने किरदार को ऐसे जिया कि आज भी उनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।फिल्मों से इतर वे महिलाओं के हक़ की लड़ाई भी लड़ती थीं। आज स्मिता पाटिल की बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर उनसे जुड़ी यादों को ताज़ा करते हैं।

* चेहरे की मुस्कान देख माँ ने नाम रखा स्मिता

अपने सशक्त अभिनय से पहचान बनाने वाली स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर 1956 में हुआ था। स्मिता के पिता शिवाजीराव पाटिल महाराष्ट्र सरकार मे मंत्री और माता एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं। जन्म के समय उनके चेहरे पर मुस्कराहट देख कर उनकी माँ विद्या ताई पाटिल ने उनका नाम स्मिता रख दिया था।


* कैरियर की शुरुआत की थी न्यूज़ रीडर के रूप में

पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन करने के बाद स्मिता पाटिल थिएटर करने लगी थीं।1975 में आई श्याम बेनेगल की फिल्म 'चरणदास चोर' से उन्होंने बॉलीवुड डेब्यू किया था।लेकिन इससे काफी पहले स्मिता पाटिल अपने करियर की शुरुआत 16 साल की उम्र में न्यूज रीडर के तौर पर कर चुकी थीं। बताते हैं कि ख़बर पढ़ने के लिए स्मिता दूरदर्शन में जींस पहन कर जाया करती थीं लेकिन, जब उन्हें न्यूज पढ़नी होती तो वो जींस के ऊपर से ही साड़ी लपेट लेती थीं।


* राज बब्बर से शादी करने पर झेली माँ की नाराज़गी

स्मिता पाटिल की मुलाकात फिल्म 'भीगी पलकें' के सेट पर राज बब्बर से हुई और दोनों में प्यार हो गया। हालांकि दोनों के रिश्ते से स्मिता की मां खुश नहीं थी।राज उस समय शादीशुदा थे और उनके दो बच्चे आर्य और जूही भी थे।राज ने नादिरा को छोड़ स्मिता से शादी कर ली। स्मिता की माँ को यह बात बेहद खली कि औरतों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली उनकी बेटी, एक महिला की शादी टूटने की वजह कैसे बन गई। स्मिता पाटिल मां बनने के 15 दिन बाद (13 दिसंबर 1986) को चल बसीं। स्मिता पाटिल के निधन के बाद राज ने नादिरा से फिर शादी कर ली।


* 10 साल के करियर में 80 फिल्मों में काम किया

1985 में स्मिता पाटिल की 'मिर्च मसाला' रिलीज हुई।इसी साल भारतीय सिनेमा में उनके अमूल्य योगदान के लिए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। 10 साल के फिल्मी करियर में स्मिता पाटिल ने अस्सी से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्मों में अभिनय किया। स्मिता की चर्चित फिल्मों में 'निशान्त', 'चक्र', 'मंथन', 'भूमिका', 'गमन', 'आक्रोश', 'अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है', 'अर्थ', 'बाज़ार', 'मंडी', 'मिर्च मसाला', 'अर्धसत्य', 'शक्ति', 'नमक हलाल', 'अनोखा रिश्ता' के नाम शामिल हैं।


* मौत के बाद रिलीज हुईं 14 फिल्में

10 से ज्यादा फिल्में स्मिता पाटिल की मौत के बाद रिलीज हुई थीं. इनमें 'हम फरिश्ते नहीं', 'वारिस', 'आवाम', 'शेर शिवाजी', 'नजराना', 'राही', 'अवाम', 'डांस-डांस', 'आकर्षण', 'सूत्रधार', 'इंसानियत के दुश्मन', 'अहसान', 'ठिकाना' और 'मिर्च मसाला' जैसी फिल्में शामिल हैं.


*अपने किरदार को जीतीं थीं स्मिता

स्मिता जिस भी भूमिका को निभाती थीं, उसमें एकदम ढल जाती थीं। निर्देशक और स्क्रीन राइटर श्याम बेनेगल स्मिता पाटिल को याद करते हुए बताया कि जब हम फिल्म मंथन की शूटिंग राजकोट से कहीं बाहर कर रहे थे। शूटिंग के दौरान स्मिता पाटिल गांव की औरतों के साथ उन्हीं जैसे कपडे पहनकर बैठी हुई थीं, वहां पर शूटिंग देखने के लिए कॉलेज के कुछ बच्चे आए और उन्होंने पूछा की इस फिल्म की हीरोइन कहां है? किसी ने स्मिता की तरफ इशारा किया कि वो है, फिल्म की हीरोइन, तो उस स्टूडेंट ने कहा कि क्या तुम मजाक कर रहे हो, ये गांव की औरत किसी बॉम्बे फिल्म की हीरोइन कैसे हो सकती है। यही खासियत थी स्मिता की, कोई कह ही नहीं सकता था कि वे ग्रामीण महिला नहीं थीं।


*दो बार मिला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार

साल 1977 स्मिता पाटिल के लिए एक अहम पड़ाव साबित हुआ इसी साल उनकी फ़िल्म भूमिका आई इस फ़िल्म के लिए स्मिता पाटिल को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भूमिका से स्मिता पाटिल का जो सफ़र शुरू हुआ वो चक्र, निशांत, आक्रोश, गिद्ध, मिर्च मसाला जैसी फ़िल्मों तक जारी रहा। 1981 में आई फ़िल्म चक्र के लिए उन्हें एक बार फिर से नेशनल आवर्ड मिला।


* बेटा महज 15 दिन का था, जब दुनिया छोड़ गईं स्मिता

प्रतीक के जन्म के कुछ दिनों बाद 13 दिसंबर 1986 को स्मिता का निधन हो गया। उनकी बायोग्राफी की लेखिका मैथिलि राव कहती हैं, "स्मिता को वायरल इन्फेक्शन की वजह से ब्रेन इन्फेक्शन हुआ था। प्रतीक के पैदा होने के बाद वो घर आ गई थीं। वो बहुत जल्द हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार नहीं होती थीं, कहती थीं कि मैं अपने बेटे को छोड़कर हॉस्पिटल नही जाऊंगी।लेकिन जब ये इन्फेक्शन बहुत बढ़ गया तो उन्हें जसलोक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। स्मिता के अंग एक के बाद एक फ़ेल होते चले गए।और आखिर स्मिता दुनिया छोड़ गईं। "


*आखिरी इच्छा थीं, सुहागन की तरह हों दुनिया से विदा

स्मिता पाटिल की एक आखिरी इच्छा थी। उनके मेक अप आर्टिस्ट दीपक सावंत बताते हैं, 'स्मिता कहा करती थीं कि दीपक जब मर जाउंगी तो मुझे सुहागन की तरह तैयार करना।' मैंने कहा कि प्लीज़ ऐसा मत बोलिए। लेकिन ये दुखद पल आया भी और एक दिन मैंने उनका ऐसे ही मेकअप किया। शायद ही दुनिया में ऐसा कोई मेकअप आर्टिस्ट होगा जिसने इस तरह से मेकअप किया हो।' मरने के बाद उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक, स्मिता के शव का सुहागन की तरह मेकअप किया गया। सिनेमा खासकर आर्ट सिनेमा को अपने अभिनय के दम पर नई बुलंदियों पर ले जाने वाली स्मिता महज 31 साल की उम्र में दुनिया से रुखसत हो गईं।लेकिन आज भी उनके द्वारा अभिनीत भूमिकाओं को लोग ससम्मान याद करते हैं।



 


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