Loksabha Chunav 2024: दो सुपरस्टार जब लोकसभा चुनाव में हुए आमने-सामने और उनकी दोस्ती हमेशा के लिए टूट गई, जानिये फिल्मी दुनिया के इन सितारों के बारे में, जिन्होंने सियासत में हाथ अजमाया...

Loksabha Chunav 2024: यों तो फिल्मी सितारों की इंट्री 80 के दशक में प्रारंभ हुई। मगर उससे काफी पहले देवानंद ने 1077 में सितारों के लिए नेशनल पार्टी आफ इंडिया बनाई थी। मगर वे कामयाब नहीं हो पाए। फिल्मी दुनिया से सियासत में आने वाले अभी तक सिर्फ अभिनेताओं को केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला है।

Update: 2024-03-28 09:36 GMT

Loksabha Chunav

संजय दुबे

Loksabha Chunav 2024: भारत में आमजनो के चर्चा के परिप्रेक्ष्य में देखे तो आम जनता के चर्चे में राजनीति और फिल्मों का विषय अति लोकप्रिय विषय है। कोई नई फिल्म का आगमन हो या केंद्र अथवा राज्य के चुनाव हो तो चर्चे का विषय केंद्र यही बन जाते है। 2024 के लोक सभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। राजनैतिक दलों के द्वारा प्रत्याशी घोषित करने की प्रक्रिया जारी है। भारतीय जनता पार्टी ने बड़े परदे की कलाकार हेमा मालिनी को पहले ही मथुरा से प्रत्याशी घोषित कर दिया है। पांचवी सूची में कंगना रनौत को हिमाचल प्रदेश के मंडी और अरुण गोविल को मेरठ से लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है। रामायण धारावाहिक की सीता दीपिका चिखलिया 1991 में बड़ौदा से सांसद रह चुकी है। 33साल के बाद भगवान राम आ रहे है। देखा जाए तो अरुण गोविल के लिये राजनीति में आने के लिए इससे बेहतर समय कोई और हो ही नहीं सकता था। अयोध्या में राम आए है तो रामायण धारावाहिक राम पर कृपा होनी ही थी। वैसे रामायण के रावण अरविंद त्रिवेदी भी लोकसभा में सांसद रह चुके है। केंद्रीय राजनीति का अपना अलग ही महत्व है। लोकसभा में निर्वाचित सांसद यदि मुखर हो तो देशभर में उनकी चर्चा होती है। यदि राजनीति के किसी दिग्गज सुरमा को निपटा देने वाले और भी सुर्खियां बटोरते है।

देवानंद

पहली बार देवानंद ने पार्टी बनाई

भारत में 1952से लोकसभा चुनाव हो रहे है। 1977में पहली बार देवानंद ने राजनीति में फिल्मकारों को उतारने की दृष्टि से “नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया“बनाई थी लेकिन सूचना प्रसारण और वित्त मंत्रालय के संभावित हमले को देखते हुए सारे फिल्मकार किनारा कर लिए।

पृथ्वी राज कपूर और नरगिस

तीन मुख्यमंत्री बनें

फिल्म क्षेत्र से जुड़े पृथ्वी राज कपूर और नरगिस को राजसभा में मनोनीत किया जाकर विभिन्न क्षेत्रों के हस्तियों को जोड़ने का काम शुरू हुआ था लेकिन आम जनता के बीच जाने की शुरुवात तमिलनाडु से हुई थी लेकिन फिल्म से जुड़े एनटी रामाराव, करुणानिधि और जय ललिता राज्य की राज्य की सियासत तक ही सीमित रहे। हालांकि, तीनों लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे।

सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन

सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन

बॉलीवुड से लोकसभा में निर्वाचित होने वाले पहले दो व्यक्ति सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन थे। दोनो को 1984 लोकसभा चुनाव में उत्तर पश्चिम मुंबई और इलाहाबाद क्रमशः राम जेठमलानी और हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ कांग्रेस ने उतारा था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे सहानुभूति की लहर में राम जेठमलानी और हेमवतीनंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज चुनाव हार गए। सुनील दत्त दिल के भले व्यक्ति थे उन्होंने समाज सेवा को राजनीति का जरिया बनाया। सुनील दत्त पहले फिल्मी कलाकार थे जिन्हे 2004 मे मनमोहन सिंह की सरकार में खेल एवम युवा कल्याण मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया था। सुनील दत्त 1984 से 1996 और 1999 से 2005तक पांच बार सांसद निर्वाचित हुए। उन्होंने शिवसेना के संजय निरुपम को भी लोकसभा चुनाव में हराया था। इससे पलट महानायक अमिताभ बच्चन इलाहाबाद से सांसद निर्वाचित होने के बाद संसद की हॉट सीट पर ज्यादा दिन टिक नहीं सके और जल्दी ही उनको समझ आगया कि दिल्ली, मुंबई नही है। अमिताभ ,राजीव गांधी के दून स्कूल के सहपाठी थे लेकिन संसद अमिताभ को जमा नहीं और तीन साल बाद लोकसभा से इस्तीफा दे दिया।

राजेश खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा

दो सुपरस्टारों की दोस्ती टूट गई

1991 में फिल्मों के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना ने राजनीति में कदम रखा और दिल्ली से लोकसभा चुनाव लडे। वे भाजपा के लाल कृष्ण आडवाणी से सिर्फ 1589 मतों से पराजित हुए थे। लाल कृष्ण आडवाणी दो सीट से चुनाव लडे थे सो दिल्ली की सीट छोड़ दी।1992कर लोक सभा चुनाव में राजेश खन्ना को कांग्रेस ने फिर उतारा इस बार राजेश खन्ना के सामने भाजपा से शत्रुघ्न सिन्हा थे। राजेश खन्ना ने दिल्ली फतह किया और इस चुनाव के बाद शत्रुघ्न सिन्हा से कभी बात नही किया। दोनो अच्छे दोस्त थे लेकिन राजनीति ने भेद पैदा कर ही दिया।

राज बब्बर और मुज्जफर अली 

अटलजी के सामने ये टिक नहीं पाए

1998में लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेई के सामने फिल्म निर्माता मुज्जफर अली को टिकट दी गई थी लेकिन अटल जी के सामने टिक नहीं सके। वैसे 1998 में राज बब्बर भी अटल जी के सामने खड़े हुए थे उनको भी पराजय का चेहरा देखना पड़ा।

विनोद खन्ना

विनोद खन्ना मंत्री बनें

1999में दो फिल्म कलाकारों ने राजनीति में किस्मत आजमाया। पहले कलाकार विनोद खन्ना और दूसरे राज बब्बर थे। विनोद खन्ना गुरुदासपुर और राज बब्बर आगरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से जीत कर आए। भाजपा से विनोद खन्ना और समाजवादी पार्टी से राज बब्बर संसद में आए। दोनो ही कलाकार पक्ष और विपक्ष की राजनीति के चर्चित चेहरे रहे। विनोद खन्ना तो संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री और विदेश राज्य मंत्री भी रहे। विनोद खन्ना चार बार सांसद निर्वाचित हुए थे।

गोविंदा

अंबानी ने गोविंदा को उतारा मैदान में

2004 के लोकसभा चुनाव में गोविंदा को उत्तर मुंबई से अंबानी परिवार ने भाजपा के दिग्गज राम नाईक के सामने विरोध स्वरूप खड़ा किया था क्योंकि पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए राम नाइक रोड़ा बने हुए थे। गोविंदा 48 हजार से अधिक मतों से जीते। इसी साल भारतीय जनता पार्टी ने गरम धरम याने धर्मेंद्र को बीकानेर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। धर्मेंद्र भी चुनाव जीत गए। धर्मेंद्र ने “लोकतंत्र के लिए बुनियादी शिष्टाचार सिखाने के लिए हमेशा के लिए तानाशाह चुना जाना चाहिए“टिप्पणी कर विवादास्पद भी हुए थे। 2004के लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से जयाप्रदा भी रामपुर सीट से विजयी हुई थी। जया प्रदा 2009में भी विजयी हुई लेकिन 2014में जया प्रदा ने समाजवादी पार्टी छोड़ कर राष्ट्रीय लोक दल से चुनाव लड़ी लेकिन हार गई।

शत्रुघ्न सिन्हा और नफीसा अली

बिहारी बाबू सर्वाधिक सफल

2009 में भारतीय जनता पार्टी ने शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया। शत्रुघ्न सिन्हा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में मंत्री बने। शत्रुघ्न सिन्हा केंद्रीय मंत्री बने थे। कालांतर में शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा से तौबा की, कांग्रेस में थोड़ी देर टिके फिर तृण मूल कांग्रेस में जाकर आसनसोल से विजयी होकर लोकसभा पहुंच गए। 2009 में समाजवादी पार्टी द्वारा लखनऊ में नफीसा अली को भाजपा के लाल जी टंडन के सामने खड़ा किया गया था। नफीसा अली को जीत हासिल नहीं हुई।

हेमा मालिनी और सनी देओल

ड्रीम गर्ल लगातार जीत रही

2014में ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की परोक्ष राजनीति के घर राज्यसभा से प्रत्यक्ष घर लोकसभा में आगमन हुआ। कान्हा की नगरी से मीरा का रोल करने वाली हेमा मालिनी ने आरएलडी के जयंत चौधरी को 3.30लाख मतों से पराजित किया था। 2019के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के कुंवर नरेंद्र सिंह को 2.94लाख मतों से पराजित किया था। हेमा मालिनी को 2024के लोकसभा चुनाव में पुनः प्रत्याशी बनाया गया है। 2019में फिल्म अभिनेता सनी देओल को गुरुदासपुर से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। सनी देओल भी विजयी हुए।

 रविकिशन

क्षेत्रीय फिल्मों के कलकार भी सफल

2019के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गोरखपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से रविकिशन को प्रत्याशी बनाया। रविकिशन कांग्रेस से भाजपा में प्रवेश किए थे। 2014में रविकिशन कांग्रेस की टिकट पर जौनपुर से चुनाव हार चुके है। 2019 में पश्चिम बंगाल से बंगाली फिल्म अभिनेत्री लाकेट चटर्जी भी हुगली से भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव जीती है। 2019के लोकसभा चुनाव में तृण मूल कांग्रेस से दो बांग्ला अभिनेत्री नुसरत जहां बशीरघाट लोकसभा और मिमी चक्रोवर्ती जादवपुर सीट से सांसद निर्वाचित हुई है। बाबुल सुप्रियो बंगाल से ही लोकसभा पहुंचे थे। बीजेपी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया था।

उर्मिला मातोंडकर और निर्दलीय प्रकाश राज, सुरेश गोपी

साउथ में सफल नहीं

2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की उर्मिला मातोंडकर और निर्दलीय प्रकाश राज के लिए सुखद परिणाम लेकर नही आया। प्रकाश राज सिंघम के खलनायक के समान ही व्यर्थ के बड़बड़ाने वाले निकले और बेंगलुरु सेंट्रल से भाजपा के तेजस्वी सूर्या के पाए 7.39 लाख मतों की तुलना में केवल 28हजार मत पा सके थे। 2019में मलयालम फिल्म के नायक सुरेश गोपी को त्रिशूर लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव लडे थे लेकिन वे हार गए थे। उन्हे 2024में फिर से टिकट दी गई है।

कंगना रनौत और अरुण गोविल 

अब कंगना और अरुण गोविल

2024के चुनाव में फिल्मों से नए नाम के रूप में कंगना रनौत और अरुण गोविल है। कंगना को मुंबई में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्रित्व काल में मोदी समर्थक होने के नाते विरोध और वैमनस्यता पूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ा था। राम मंदिर निर्माण और राम लला के प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद देश के चर्चित धारावाहिक रामायण के “राम“ को मुख्य धारा में आना ही था सो आ गए है।

स्मृति ईरानी

स्मृति ने राहुल को हराया

स्मृति ईरानी भले ही छोटे परदे की बड़ी अभिनेत्री रही है लेकिन राजनीति में उनका कद कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेठी में स्मृति ईरानी के नामांकन करते ही राहुल गांधी वायनाड से भी प्रत्याशी बन गए अन्यथा पिक्चर कुछ और ही बन जाती। लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल और स्मृति अमेठी में आमने सामने थे। राहुल गांधी परिवार के पारंपरिक सीट अमेठी को बचा नहीं पाए।

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