Grey Divorce: संगीतकार ए आर रहमान से अलग हुईं पत्नी सायरा बानो, जानें ग्रे डिवोर्स के साथ आने वाली समस्याओं से कैसे निपटें...

Grey Divorce: संगीतकार ए आर रहमान से अलग हुईं पत्नी सायरा बानो, जानें ग्रे डिवोर्स के साथ आने वाली समस्याओं से कैसे निपटें...

Update: 2024-11-21 07:52 GMT

Grey Divorce: ग्रे डिवोर्स के बढ़ते हुए मामलों के बीच संगीतकार ए आर रहमान और उनकी पत्नी सायरा बानो के तलाक की खबर आई है। सायरा बानो ने खुद बयान जारी कर कहा है कि वे रिश्ते में दुख से गुजरीं और और अब दोनों में से कोई भी पक्ष साथ रहने में सक्षम नहीं है। बाल सफेद होने की उम्र (50 की उम्र के आस पास) में होने वाला डिवोर्स जिसे ग्रे डिवोर्स के नाम से जाना जा रहा है, अब आम होता जा रहा है। सालों साथ रहने के बाद लोग रिश्ते से अलग हो रहे हैं। ग्रे डिवोर्स क्यों बढ़ रहे हैं और इसके शारीरिक- मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले असर से कैसे निपटें, आइए जानते हैं...।

क्या है ग्रे डिवोर्स?

एक लंबा जीवन साथ में गुज़ारने के बाद और आमतौर पर 50 की उम्र के आसपास जब लोग रिश्ते से अलग होने का फैसला लेते हैं तब इसे ग्रे डिवोर्स के नाम से जाना जाता है। ग्रे डिवोर्स यानी बाल सफेद होने की उम्र में लिया जाने वाला डिवोर्स। उस उम्र में जब पार्टनर्स को एक दूसरे की पहले से भी ज्यादा जरूरत होती है तब लिया जाने वाला तलाक पहली नज़र में लोगों को आश्चर्य में डालता है लेकिन इसके पीछे भी कुछ वजहें होती है। जिनके चलते लोग तय कर लेते हैं कि बस अब और नहीं! अब इस रिश्ते को और नहीं खींचा जा सकता और आखिर डिवोर्स के रास्ते पर आगे बढ़ जाते हैं। पकी उम्र में लिए जाने वाले इसी तलाक को ग्रे डिवोर्स कहा जाता है।

क्या हैं ग्रे डिवोर्स के कारण?

विशेषज्ञों के अनुसार ग्रे डिवोर्स के बहुत से कारण हो सकते हैं जैसे अधिक उम्र में एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने से बातचीत के दौरान टकराव होना, संपत्ति या पेंशन प्लान्स को लेकर विचारों में मतभेद होना, बच्चों का बाहर चले जाना, बातचीत के लिए उनका करीब मौजूद न होना और फलस्वरूप एकाकीपन से उपजी नकारात्मक भावनाएं, स्वास्थ्य की कोई बड़ी समस्या, लंबे समय तब किसी एक पक्ष का दूसरे के साथ बुरा व्यवहार या फिर बेवफाई, महिलाओं का आर्थिक रूप से सक्षम होना आदि ऐसे बहुत से कारण हैं जो ग्रे डिवोर्स के लिए जिम्मेदार होते हैं।

ग्रे डिवोर्स से उपजी समस्याओं से कैसे निपटें?

उम्र के साथ शारीरिक-मानसिक समस्याओं का बढ़ना लाज़मी है। इस उम्र तक आते-आते शरीर कमजोर होने लगता है। मस्तिष्क भी पहले की तरह सक्षम नहीं रहता। शरीर कई तरह की बीमारियों का शिकार होने लगता है। आप पहले की तरह ऊर्जावान नहीं रहते और जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए आपको पार्टनर के रूप में एक सहयोगी की जरूरत होती है। ग्रे डिवोर्स से वही पार्टनर आपसे अलग हो जाता है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरह की तकलीफें होनी स्वाभाविक हैं। लेकिन अब जब आपने ग्रे डिवोर्स लेने का फैसला ले ही लिया है तो आपको आने वाली नई चुनौतियों से भी लड़ना होगा। चलिए जानते हैं कि यह कैसे करें।

शरीर की तंदुरुस्ती पर और ध्यान दें

शादीशुदा रिश्ते में ग्रे डिवोर्स के चलते अचानक आया यह बदलाव आपकी सोच पर भी असर करता है जिससे आप पहले की तरह अपने हेल्थ रूटीन और एक्सरसाइज़ को मेंटेन करने से भटक सकते हैं। लेकिन अब यह स्थिति है कि आपको अपनी चिंता और अधिक करने की जरूरत है क्योंकि अब आप अकेले हैं। इसलिए जितनी जल्दी हो सके इस स्थिति से उबरें और शारीरिक रूप से सक्रिय हों जिससे बीमारियों का खतरा कम हो।

मानसिक पीड़ा से निपटें

आंकड़े बताते हैं कि ग्रे डिवोर्स महिलाओं की तरफ से ज्यादा लिए जा रहे हैं। महिलाओं के नज़रिए से देखें तो इसकी कई वजहें हैं जैसे कि महिलाएं अब पहले की तुलना में अधिक आत्मनिर्भर हैं। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें जिंदगी भर रिश्ते को चलाने के लिए बहुत से एडजस्टमेंट करने पड़ते हैं जिनसे वे थक जाती हैं और उम्र के इस पड़ाव पर आकर वे सोचने लगती हैं कि अब बाकी की जिंदगी उन्हें इसी तरह से नहीं गुजारनी। उनका भी खुशियों पर समान अधिकार है। वे अब अपने हिसाब से जिंदगी जीना चाहती हैं। और हो सकता है कि यह निर्णय करके उनकी जिंदगी में खुशियां आएं।

लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि पुरुष के लिए ग्रे डिवोर्स को झेलना आसान नहीं होगा। जिंदगी भर अपने हर छोटे-बड़े काम के लिए पत्नी पर निर्भर बुजुर्ग व्यक्ति इस उम्र में अकेलेपन के कारण और तनावग्रस्त हो सकता है। मानसिक पीड़ा की वजह से भी अनेक शारीरिक समस्याओं का खतरा भी होता है। यही परिस्थिति पत्नी के लिए भी हो सकती है, यदि तलाक की पहल पति की तरफ से की गई हो।

ऐसे में दोनों को अपना सामाजिक दायरा बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। बाहर निकलें, नए लोगों से मिलें। नई चीजें आजमाएं। किसी खेल से जुड़ें। दोस्तों के साथ किसी ट्रिप पर जाएं। दोबारा अपनी खोई रुचियां जगाएं। अकेलेपन से सिर्फ तनाव ही बढ़ेगा। जो आपको मानसिक ही नहीं शारीरिक परेशानियां भी देगा।

नए रिश्ते बनाएं

शादी टूटने के साथ ही आपके बहुत सारे पुराने रिश्तेदार भी छूट जाएंगे या उनसे रिश्ते बने भी रहें तो आप पहले की तरह सहज महसूस नहीं करेंगे इसलिए बेहतर होगा कि नए रिश्ते बनाएं। नए रिश्तों से आपको नई ताजगी मिलेगी और आप बेहतर महसूस करेंगे। अगर संभव हो तो एक नया वैवाहिक संबंध फिर से बनाएं और एक नया दीर्घकालिक साथी तलाश लें जो आपको जीने की वजहें दें।

आर्थिक पक्ष को मैनेज करें

बात अगर महिला की हो तो बदली हुई परिस्थितियों में आर्थिक मामलों को हैंडल करना कठिन हो सकता है। आर्थिक चिंता मानसिक तनाव का कारण भी बनती है। ऐसे में वित्तीय परामर्शदाता से बात करें जो आपकी मदद करेंगे और आप आर्थिक मामलों को अच्छी तरह हैंडल कर पाएंगी और भविष्य के लिए एक सुरक्षित प्लान भी बना पाएंगी। क्योंकि आपको आगे और पैसों की जरूरत पड़ेगी। वे आपको सही निवेश की जानकारी भी देंगे जहां आपका पैसा बढ़ता रहेगा। वरना आप कहीं मिला हुआ हिस्सा समय से पहले से खत्म कर बैठीं तो आगे का जीवन कैसे चलेगा।

मददगार की व्यवस्था रखें

अब चूंकि आप अकेले हैं और उम्रदराज़ भी, तो आपको अपने आसपास मदद के लिए एक सहयोगी की ज़रूरत कभी भी पड़ सकती है। यदि संभव हो कि किसी करीबी को या फिर वेतन पर एक सहयोगी की व्यवस्था कर लेना अच्छा होगा।

मेडिटेशन को जीवन का हिस्सा बनाएं

जीवन में आए बदलाव को आप मजबूती से झेल सकें इसके लिए मेडिटेशन को ज़िन्दगी का हिस्सा बनाएं। गहरी सांसें आंतरिक अंगों पर भी सकारात्मक असर डालती हैं और वे मजबूत होते हैं।

धर्म में आस्था बढ़ाएं

धर्म में आस्था बढ़ाएं। धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी करें। धर्म में आस्था से मानसिक मजबूती भी मिलती है। जीवन को राह मिलती है। आप बेहतर तरीके से खुद को संभाल पाते हैं और डिप्रेशन या तनाव की ज़द में जाने से बच जाते हैं।

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