Fatima Jinnah: आखिर कौन थीं जिन्ना की बहन फातिमा!...जिनके जनाजे पर बरसे थे पत्थर, अब उनकी सीरीज मचाएगी गदर...जानिए

Update: 2023-08-11 12:43 GMT

Fatima Jinnah : मुंबई। बॉलीवुड के एक्टर सनी देओल और एक्ट्रेस अमीषा पटेल की फिल्म 'गदर 2' जो रिलीज हुई है। जहां गदर पार्ट 1 में बॉर्डर पार जाकर तारा सिंह अपनी सकीना को महफूज बचाकर वापस भारत लाता है। वहीं दूसरे पार्ट में तारा सिंह फिर पाकिस्तान जाएगा और अपने बेटे को बचाकर लाएगा। फिल्म के डायलॉग्स ने 2001 में लोगों के अंदर देशभक्ति की आग लगा दी थी, इस बार भी मेकर्स का कुछ ऐसा ही प्लान है।

दरअसल, ये तो हुई भारत की बात....अब ये तो तय है कि जिक्र जब भी बॉर्डर का होगा तो पाकिस्तान जहन में जरूर आएगा। जब आजादी के हफ्ते में भारत में तारा सिंह का बोलबाला हो सकता है तो, पाकिस्तान में भी कुछ खिचड़ी तो पक ही रही होगी। आखिर ये उस देश का जन्मदिवस जो है। तो आपको बता दें कि पाकिस्तान में जल्द ही रिलीज होने वाली है फातिमा जिन्ना की बायोग्राफी इसका नाम है- 'फातिमा जिन्ना: सिस्टर, रिवोल्यूशन, स्टेट्समैन' जो कि पाकिस्तान के ओटीटी प्लेटफॉर्म और डॉट डिजिटल पर 14 अगस्त को रिलीज की जाएगी। इस सीरीज में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे को फातिमा की नजरों से दिखाया जाएगा। हाल ही में इस सीरीज का एक प्रोलॉग वीडियो लॉन्च किया गया। इसे देख लोगों में क्रेज बढ़ गया है। क्योंकि दोनों देशों के इतिहास को बदल देने वाले मोहम्मद अली जिन्ना ही बहन फातिमा का टॉपिक आज तक किसी ने नहीं उठाया है।

कौन थी फातिमा जिन्ना (Fatima Jinnah):-  फातिमा जिन्ना मोहम्मद अली जिन्ना की बहन होने के साथ ही बंटवारे से पहले के भारत की पहली ऐसी महिला थीं, जिन्होंने डेंटिस्ट की पढ़ाई की। उस जमाने में फातिमा ने अपना क्लीनिक भी खोला था। 30 जुलाई 1893 में पैदा हुईं फातिमा ने मुंबई के बांद्रा में अपनी शुरुआती पढ़ाई की थी और फिर कलकत्ता से उन्होंने डेंटिस्ट की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मुंबई में अपना एक डेंटल क्लिनिक खोला था। फातिमा जिन्ना एक सशक्त महिला थीं और अक्सर महिलाओं के हक को लेकर अपनी आवाज उठाती थीं। केवल इतना ही नहीं उन्होंने अपने भाई मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान के बनने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसी कारण बंटवारे के बाद फातिमा को पाकिस्तान में 'मादर-ए-मिल्लत (कौम की मां)' और 'ख़ातून-ए-पाकिस्तान' जैसे टाइटलों से भी नवाजा गया। हालांकि जब 9 जुलाई 1967 में फातिमा की मौत हुई तो उनके काफी हंगामा हुआ था। केवल इतना ही नहीं फातिमा के जनाजे में जहां सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हुए, वहीं एक शख्स की जान की चली गई थी।

बता दें कि, 11 सितंबर 1948 में भाई मोहम्मद अली जिन्ना की मौत के बाद फातिमा को पाकिस्तान की सियासत से दूर रखने की पूरी कोशिश हुई, यहां तक कि उन्हें जिन्ना की डेथ एनिवर्सरी पर भी हमेशा भाषणा देने से रोका जाता था। क्योंकि हुकरान अक्सर फातिमा के सामने यह शर्त रख देते थे कि फातिमा उस स्पीच को उनके साथ शेयर करें, जो वह जनता को सुनाना चाहती हैं, लेकिन फातिमा ने हुकमरानों की यह शर्त नहीं मानी। भाई की तीसरी बरसी पर जब फातिमा को स्पीच देने का मौका मिला था। लेकिन इस दौरान जैसे ही उनकी बारी आई और फातिमा ने अपनी बात रखनी शुरू की तो अचानक रेडियो ट्रांसमिशन बंद हो गया। हुकूमत की यह चाल आवाम को नागवार गुजरी थी।

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