काउंसलिंग से पदोन्नति में सच में होगा लाभ...DPI के स्पष्ट निर्देश के बावजूद क्यों हुआ विवाद...जाने हकीकत !
NPG ब्यूरो
रायपुर। प्रदेश में पदोन्नति को लेकर सबसे अधिक यदि कोई वर्ग सबसे अधिक खुश था तो वह सहायक शिक्षक था लेकिन धीरे-धीरे उसकी खुशियों पर ग्रहण लगते जा रहा है पहले ही वेतन विसंगति की मांग को लेकर आंदोलित सहायक शिक्षकों ने जैसे-तैसे अपने मन को यह समझाया था कि कम से कम उनके संवर्ग के कुछ प्रतिशत लोगों की वेतन विसंगति पदोन्नति के माध्यम से दूर हो जाएगी लेकिन आलम यह है कि एक के बाद एक जिले से पदोन्नति आदेश जारी भी हो रहे हैं और निरस्त भी और कहीं न कहीं इसका हाल न्यायालय के माध्यम से मिलने वाले क्रमोन्नति आदेश जैसा होते जा रहा है जिसे लेकर शिक्षक संगठनों में भारी नाराजगी है । दरअसल जब भी कोई ऐसा अवसर आता है तो शिक्षा विभाग कार्यालय में कार्यरत बाबू और अधिकारी इसे आपदा में अवसर मानकर अपनी झोली भरने की तैयारी में जुट जाते हैं और इसके बाद ही शिक्षक मजबूरी में सड़क पर उतरने पर मजबूर हो जाते हैं सरकार को कहीं न कहीं इसे संज्ञान में लेना होगा क्योंकि प्रदेश का सबसे बड़ा कर्मचारी वर्ग यदि बार बार आंदोलित होता है तो इसकी बड़ी वजह उसके साथ हर बार होने वाला छल भी है।
अब पदोन्नति के ही मामले को ले लीजिए, डीपीआई ने जो स्पष्ट आदेश जारी किया था यदि उसका सही ढंग से पालन होता तो हर सहायक शिक्षक कम से कम अपने ब्लॉक में ही प्रधान पाठक की नियुक्ति पा जाता। डीपीआई ने स्पष्ट दिशा निर्देश जारी किया था कि यदि किसी सहायक शिक्षक के स्कूल में पदोन्नति के लिए पद रिक्त हो तो पहले उसकी पदस्थापना उसके स्कूल में की जाए वहां न होने की स्थिति में संकुल और उसके बाद ब्लॉक के अंदर नियुक्ती की जाए वहां भी न होने की स्थिति में समीप के ब्लॉक में दिया जाए लेकिन लालच में अंधे बाबू और अधिकारियों ने पैसा कमाने की होड़ में महिलाओं और दिव्यांगो को भी नहीं बख्शा , उन्हें भी उनके स्कूल से दूर अन्य ब्लॉक में पदस्थापना दे दी और जिन्होंने उनकी झोली भरी उन्हें दूर दराज से लाकर शहर के बीचों बीच स्थापित कर दिया , यही एक मात्र वजह है कि कलेक्टर ने बिना जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा किए तत्काल पदोन्नति आदेश निरस्त कर दिया क्योंकि गड़बड़ी साफ दिखाई दे रही थी ।
क्या काउंसलिंग से होगा समस्या का निराकरण????
लगातार निरस्त हो रही पदोन्नति के बाद अब काउंसलिंग के माध्यम से पदोन्नति होना है जिसमें पहले दिव्यांग और उसके बाद महिलाओं को बुलाया जाना तय हुआ है लेकिन हमेशा पैसा कमाने की भूख लेकर घूम रहे शिक्षा विभाग के बाबू और अधिकारी इसे कितने ईमानदारी से निपटाते हैं यह देखना होगा क्योंकि जगह को विलोपित कर देना और किसी अन्य ने वह जगह ले लिया है ऐसा बोल कर चढ़ावा चढ़ाने वाले के लिए जगह रख देने वाले खेल से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
जरुरत है इस बात की कि स्कूल शिक्षा विभाग की साख को बरकरार रखने के लिए उच्च कार्यालय से स्पष्ट आदेश जारी किए जाए कि अब किसी भी प्रकार की प्रमाणिक शिकायत मिलने पर सीधे जिला शिक्षा अधिकारी और शाखा प्रभारी लिपिक की जवाबदेही तय करते हुए उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी साथ ही साथ काउंसलिंग के समय प्रोजेक्टर डिस्प्ले और साउंड सिस्टम का उपयोग करते हुए जो सहायक शिक्षक जिस स्थान को ले रहे हैं उनकी जानकारी वहां उपस्थित सभी लोगों को दी जाए साथ ही डिस्प्ले में भी शो किया जाए ताकि यदि किसी कैंडिडेट के किसी मनपसंद स्थान को कोई दूसरा कंडीडेट उनसे पहले ले लेता है तो वह अपने लिए किसी अन्य स्थान की खोज भी कर सके और पूरी पारदर्शिता भी रहे । अब देखना होगा कि लगातार विवादों में घिरे शिक्षा विभाग की तरफ से क्या पहल की जाती है ।