Chhattisgarh Teacher: बर्खास्त शिक्षक बेचारे रो रहे और BMW वाले शेखी बघारते नौकरी छोड़ रहे, आदिवासी शिक्षक मार्केटिंग माफिया के निशाने पर...

Chhattisgarh Teacher: छत्तीसगढ़ में बीएमडब्लू और मर्सिडीज के नाम पर आदिवासी और गरीब शिक्षकों को झांसा देकर मार्केटिंग माफिया नौकरी छोड़वाकर हर्बल प्रोडक्ट के काम में धकेल रहे हैं। इस महीने तीन शिक्षकों के इस्तीफे सामने आए हैं, उनमें दो आदिवासी और एक ओबीसी है। चौंकाने वाला खुलासा यह भी हुआ है कि मार्केटिंग ठेकेदार बीएमडब्लू जैसी महंगी गाड़ियां लोन दिलवाकर खरीदवा रहे ताकि उसकी देखादेखी और शिक्षक और कर्मचारी उनके नेटवर्किंग से जुड़ जाए। दलित, आदिवासी शिक्षक इस तरह ठगी का शिकार हो रहे हैं।

Update: 2025-01-09 10:03 GMT

Chhattisgarh Teacher: रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा हर्बल प्रोडक्ट और नेटवर्किंग के बिजनेस में मालामाल होकर बीएमडब्लू और मर्सिडीज जैसी लग्जरी गाड़ियां खरीदने की खबरें तेज हो गई है। प्रदेश का नंबर वन न्यूज वेबसाइट एनपीजी न्यूज लगातार इसकी प्रमुखता से कवरेज कर रहा है।

एनपीजी न्यूज की तहकीकात में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई है।

इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि छत्तीसगढ़ के मार्केटिंग कंपनियों के माफिया कमजोर वर्ग के शिक्षकों को टारगेट कर रहे हैं। लोरमी के ज्ञान सिंह को छोड़ दें तो अभी तक जिन लोगों ने बहकावे में आकर नौकरी से त्यागपत्र दिया है, सब अतिसामान्य परिवार से ताल्लुकात रखते थे।

ज्ञान सिंह जरूर केंद्रीय मंत्री का पीए रहा और पूरे पीरियड में उसकी खटराल व्यक्ति की छबि रही। मगर बाकी सभी को मार्केटिंग कंपनियों के ठेकेदारों ने चतुराई के साथ चंगुल में फंसाया और इतना हिप्नोटाइज कर दिया कि वे बेचारे अब नौकरी छोड़ रहे हैं।

लोन से गाड़ी

एनपीजी न्यूज को यह जानकारी मिली है कि हर्बल प्रोडक्ट के धंधे में जुड़े कई शिक्षकों को बरगला कर महंगी गाड़ियां खरीदवाई गई है। इसमें बैंकों से लोन भी लिया गया। वह इसलिए कि बाकी लोग देखकर इस धंधे में आएं, मेम्बर बने। इस धधे का खेल ही यही है कि जितने सदस्य जुड़ेंगे, उपर वाले माफियाओं को उतना ही कमीशन मिलेगा।

बैंक अकाउंट खाली

मार्केटिंग ठेकेदारों के झांसे में आकर नौकरी छोड़ने वाले एक शिक्षक ने 45 लाख की गाड़ी खरीद ली। उसका दावा है कि वह हर महीने चार लाख कमाता है। मगर पता चला है उसका बैंक अकाउंट खाली है। गाड़ी के लिए 30 लाख लोन लिया और घर का 15 लाख उसमें लगा दिया।

हर्बल प्रोडक्ट में जो कमाई होती है, उसका इंवेस्ट जमीन जायदाद जैसी अचल संपत्तियों में करने की बजाए उन्हें महंगी गाड़ी और विदेश प्रवासों पर खर्च करने प्रेरित किया जाता है।

ताकि, मार्केट में झांकी बनें कि हर्बल प्रोडक्ट में देखिए कितनी कमाई होती है। फिर हर्बल गुरू पूर्व शिक्षक उन्हें अपने फेसबुक पेज पर उनका प्रमोशन करता है...हिम्मत कीजिए, अपनी जिंदगी बदलिए।

छत्तीसगढ़ की विडंबना

छत्तीसगढ़ का गजब हाल है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2855 सहायक शिक्षकों की नौकरी से हकाल दिया गया। उनके पत्नी, बच्चों की जार-जार रोते-बिलखते फोटो वायरल हुई थी। और दूसरी तरफ शिक्षक मिली हुई सरकारी नौकरी छोड़ रहे हैं। शिक्षकों के गु्रपों में इस पर तीखी प्रतिक्रिया आ रही है। शिक्षक समुदाय को अपमानित कर नौकरी छोड़ने वाले शिक्षकों से बेहद नाराज हैं और लगातार कार्रवाई की मांग हो रही है।

शिक्षकों की पत्नियां

शिक्षकों के सोशल मीडिया ग्रुपों में इतना आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है कि वे यहां तक लिख रहे कि नौकरी छोड़ने वाले शिक्षकों की पत्नियां शिक्षिका हैं और उनके हर्बल प्रोडक्ट के काम में खुलकर हाथ बंटा रही हैं। शिक्षकों का सवाल है कि स्कूल को चिड़ियाघर और खुद को नौकर बता नौकरी छोड़ने वाले शिक्षकों की पत्नियां फिर नौकरानी हो गई...वे अपनी पत्नियां को चिड़ियाघर में क्यों छोड दिए हैं।

ठगी का मामला

यह सही है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में सरकारी मुलाजिम नेटवर्किंग कंपनियों में जुड़कर काम कर रहे हैं। मगर वे नौकरी नहीं छोड़ रहे। अभी कुछ दिनों से भोले-भाले शिक्षकों से नौकरी छोड़वाई जा रही। जानकारों का कहना है कि ये अग्रेसिव मार्केटिंग का तरीका है। ताकि अधिक से अधिक लोग आकर्षित हों ओर नौकरी छोड़ें। इससे प्रचार-प्रचार काफी होगी। कुल मिलाकर ये चिटफंड कंपनियों से भी ज्यादा खतरनाम ठगी हो रही है। इसमें तो सीधे-सीधे नौकरी से हाथ धोना पड़ रहा है।

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