छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय एवं शिक्षण व्यवस्था पर होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने की मांग की...

Update: 2022-06-04 15:24 GMT

रायपुर 4 जून 2022 । छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा ने मुख्यमंत्री  छत्तीसगढ़ शासन को पत्र लिखकर आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय एवं उनके संदर्भ में प्रदेश के शिक्षण व्यवस्था पर होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष संजय शर्मा, प्रदेश संयोजक सुधीर प्रधान, वाजिद खान, प्रदेश उपाध्यक्ष हरेंद्र सिंह, देवनाथ साहू, बसंत चतुर्वेदी, प्रवीण श्रीवास्तव, विनोद गुप्ता, डॉ कोमल वैष्णव, प्रांतीय सचिव मनोज सनाढ्य, प्रांतीय कोषाध्यक्ष शैलेन्द्र पारीक ने कहा है कि हिंदी माध्यम स्कूल को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में परिवर्तित करने से हिंदी माध्यम के विद्यार्थियो को दूर जाकर पढ़ाई करने मजबूर होना पड़ रहा है, अतः हिंदी माध्यम स्कूल को बंद न किया जावे बल्कि द्वितीय पाली में नए u dise code के साथ अंग्रेजी माध्यम स्कूल संचालित किया जावे।

हिंदी माध्यम स्कूल को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में परिवर्तित करने से हिंदी माध्यम के शिक्षक संवर्ग के पदोन्नति के पदों में कमी आ रही है, अब तक लगभग 3500 पद समिति के अंदर आने जाने से 1750 पदोन्नति के पद समाप्त हो गए।

हिंदी माध्यम के पूर्व स्कूल को आत्मानंद हिंदी स्कूल घोषित किये जाने पर वहाँ पदस्थ शिक्षक संवर्ग को प्रशिक्षित कर वहीँ पदस्थ रखा जावे, वे हिंदी माध्यम के शिक्षक ही है फिर उन्हें अन्यत्र हटाकर हिंदी माध्यम के शिक्षक को पदस्थ किया जाना उचित नही है, इससे शिक्षक का सम्मान भी प्रभावित हो रहा है।

मुख्यमंत्री महोदय के निर्देशन में आत्मानंद उत्कृष्ट (अंग्रेजी माध्यम) विद्यालय की परिकल्पना को धरातल पर उतारने का निरंतर प्रयास हो रहा है, स्वाभाविक रूप से यह प्रदेश के गरीब एवं पिछड़े तबके के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम की उत्कृष्ट शिक्षा देने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा तथापि इस के संदर्भ में प्रदेश की शिक्षण व्यवस्था एवं कर्मचारी हितों पर पड़ने वाले निम्न प्रभावों की ओर आपका ध्यान आकर्षण कराते हुए आग्रह है कि इस पर समुचित विचार किया जावे -

इन विद्यालयों में स्थापना के साथ ही यह ध्यान रखना होगा कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था दो पृथक वर्गों में विभाजित ना हो जाए -

अ - उत्कृष्ट वर्ग जिसमें उत्कृष्ट विद्यालय शामिल है जिन पर शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधि सभी का ध्यान है तथा सभी प्रकार से साधन संपन्न हैं, शिक्षक- विद्यार्थी एवं कक्षा - छात्र संख्या का अनुपात सुनियोजित एवं सुगठित है।

ब - शेष शासकीय विद्यालय जिनमें उत्कृष्ट विद्यालय में प्रवेश से वंचित छात्र छात्राएं अध्ययनरत होंगे इन विद्यालयों में कक्षा - छात्र संख्या, शिक्षक - विद्यार्थी का अनुपात अवैज्ञानिक व और अनिर्धारित है, इनमें संसाधनों की नितांत कमी है।

अतः उत्कृष्ट विद्यालयों की ओर ही सभी का ध्यान होने से पूर्व के विद्यालय और अधिक उपेक्षित हो सकते हैं।

उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की स्थापना में संविदा आधारित नियुक्तियों से आपके ही स्थापित मानदंडों का उल्लंघन हो रहा है आपनें घोषणापत्र में संविदा शिक्षक/ शिक्षा कर्मी व्यवस्था समाप्त करने का विषय शामिल करते हुए पंचायत/ननि शिक्षकों का संविलियन कर प्रदेश में शिक्षक संवर्ग में एकरूपता पुनर्स्थापित करनें का एक साहसिक निर्णय लिया था, जो पुनः संविदा भर्ती प्रारंभ होनें से उक्त विसंगतियां पूर्ववत हो जाएंगी।

मध्य प्रदेश सहित भारत के कई अन्य राज्यों में यह योजना अलग-अलग नामों से प्रचलन में है, जिसमें पूर्व से नियुक्त शिक्षकों को ही नियोजित कर शिक्षकों एवं अन्य पदों की पूर्ति की व्यवस्था है, अतः छत्तीसगढ़ में भी यह प्रक्रिया अपनाई जाए तो जहां एक ओर हम स्थापना व्यय को सीमित कर पाएंगे, वहीं प्रदेश में संविदा कल्चर को पुनर्स्थापित होने से रोक सकेंगे।

प्रदेश के सैकड़ों पुराने शासकीय विद्यालयों को बंद कर उनके आहरण - संवितरण अधिकार समाप्त करने से हजारों प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, प्रधान पाठक सहित अन्य पदोन्नति के पद समाप्त हो गए हैं जिससे लंबे समय से एक ही पद पर कार्यरत शिक्षकों कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर घटते जा रहे हैं, जो कि शिक्षक संवर्ग के मौलिक अधिकारों का हनन होगा।

अतः उपरोक्त बिंदुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी / हिंदी विद्यालयों को संचालन व प्रबंधन समितियों को सौपने के बजाय उनके आहरण - संवितरण अधिकार को यथावत रखते हुए पूर्व से नियुक्त शिक्षकों से ही विद्यालयों के मूलभूत उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जिले के कलेक्टर एवं अन्य अधिकारियों को शामिल एक निगरानी समिति गठित कर उत्कृष्ट विद्यालयों के स्थापना के निहित उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति करते हुए स्थापना व्यय को सीमित रखकर कर्मचारी हितों का संरक्षण किया जावे। 

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