Prajwal Revanna Case: प्रज्वल रेवन्ना पर यौन शोषण के गंभीर आरोप तय, कोर्ट ने IPC की इन धाराओं में कसा शिकंजा!
Prajwal Revanna Case: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने शनिवार, 5 अप्रैल 2025 को जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ रेप और यौन उत्पीड़न के मामले में औपचारिक आरोप तय किए हैं।
Prajwal Revanna Case: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने शनिवार, 5 अप्रैल 2025 को जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ रेप और यौन उत्पीड़न के मामले में औपचारिक आरोप तय किए हैं। यह मामला पिछले साल तब सुर्खियों में आया था, जब प्रज्वल के खिलाफ कई महिलाओं के साथ यौन शोषण और बलात्कार के आरोप लगे थे, साथ ही उनके कथित अश्लील वीडियो लीक होने से हंगामा मच गया था। विशेष जांच टीम (SIT) की जांच के बाद अब कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की गंभीर धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं। आइए जानते हैं कि प्रज्वल रेवन्ना पर क्या-क्या आरोप लगे हैं और इस मामले की पूरी कहानी क्या है।
प्रज्वल रेवन्ना पर तय हुए आरोप
बेंगलुरु की विशेष अदालत ने प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ निम्नलिखित धाराओं में आरोप तय किए हैं:
- IPC धारा 376(2)(k): प्रभावशाली पद का दुरुपयोग कर बलात्कार करना। यह धारा तब लागू होती है, जब कोई व्यक्ति अपनी स्थिति का गलत फायदा उठाकर किसी महिला के साथ जबरदस्ती करता है।
- IPC धारा 376(2)(n): एक ही महिला के साथ बार-बार बलात्कार करना। यह धारा दोहराए गए अपराधों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करती है।
- IPC धारा 354: यौन उत्पीड़न, जिसमें महिला की मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाले कृत्य शामिल हैं।
- IT अधिनियम धारा 66(e): निजता का उल्लंघन, जो किसी की सहमति के बिना उनकी निजी तस्वीरें या वीडियो रिकॉर्ड करने और फैलाने से संबंधित है।
इन आरोपों के तहत प्रज्वल पर गंभीर अपराधों का दोषी माना गया है, जिसमें एक महिला को बंदी बनाकर बलात्कार करना, उसे बार-बार यौन शोषण का शिकार बनाना और उसकी निजी जिंदगी को उजागर करना शामिल है।
क्या है पूरा मामला?
प्रज्वल रेवन्ना, जो पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते और जेडी(एस) विधायक एच.डी. रेवन्ना के बेटे हैं, पिछले साल अप्रैल 2024 में उस समय विवादों में घिर गए थे, जब उनके खिलाफ कथित तौर पर कई महिलाओं के यौन शोषण के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। ये वीडियो कथित तौर पर हासन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लीक हुए थे, जिसमें प्रज्वल उम्मीदवार थे। इन वीडियो में प्रज्वल पर महिलाओं के साथ जबरदस्ती और गैर-सहमति से यौन संबंध बनाने का आरोप लगा।
मामला सामने आने के बाद कर्नाटक सरकार ने विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया था। SIT ने चार अलग-अलग मामलों में प्रज्वल की जांच की, जिसमें एक घरेलू सहायिका और एक राजनीतिक कार्यकर्ता के साथ बलात्कार के आरोप शामिल हैं। मई 2024 में प्रज्वल को जर्मनी से लौटने पर बेंगलुरु हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था। तब से वह जेल में हैं और उनकी जमानत याचिकाएं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी हैं।
कोर्ट का फैसला और आगे की कार्रवाई
5 अप्रैल 2025 को बेंगलुरु की विशेष अदालत ने प्रज्वल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आरोपों को रद्द करने की मांग की थी। इसके बाद कोर्ट ने औपचारिक रूप से आरोप तय किए और अब मामले की सुनवाई शुरू होगी। अगली सुनवाई 9 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है। SIT ने इस मामले में 2,144 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें पीड़िताओं के बयान, वीडियो सबूत और अन्य गवाहों के बयान शामिल हैं।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
प्रज्वल रेवन्ना का यह मामला न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक रूप से भी चर्चा में रहा है। जेडी(एस) ने उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था, लेकिन विपक्षी दलों ने बीजेपी पर भी निशाना साधा, क्योंकि जेडी(एस) उस समय एनडीए का हिस्सा थी। इस मामले ने कर्नाटक में महिलाओं की सुरक्षा और प्रभावशाली लोगों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल उठाए हैं।
अब जब आरोप तय हो गए हैं, प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ट्रायल शुरू होगा। अगर वह दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। यह मामला न केवल उनके राजनीतिक करियर बल्कि उनके परिवार की साख के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है।