नवरात्रि में नहीं कर पा रहें उपवास, तो मां दुर्गा का ऐसे करें प्रसन्न

Update: 2022-09-27 00:30 GMT

NPG DESK I नवरात्रि के इन नौ दिनों में मातारानी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। मातारानी की स्तुति करने का एक जरिया गरबा और डांडिया होता हैं, जो नवरात्रि के पहले दिन से ही खेला जाता हैं। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए लोग खूबसूरत रंग-बिरंगे पारंपरिक पोशाक में डांडिया और गरबा का आयोजन करते हैं। गरबा और डांडिया से जुडी आध्यात्मिक बातें बताने जा रहे हैं कि किस तरह से इनसे मातारानी की स्तुति होती हैं।

नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्न करने के उपायों में से एक है नृत्य। शास्त्रों में नृत्य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है। गरबा का शाब्दिक अर्थ है गर्भ दीप। गर्भ दीप को स्त्री के गर्भ की सृजन शक्ति का प्रतीक माना गया है। इसी शक्ति की मां दुर्गा के स्वरूप में पूजा की जाता है।

गरबा का आरंभ करने से पहले मिट्टी के कई छिद्रों वाले घड़े के अंदर एक दीप प्रज्वलित करके मां शक्ति का आह्वान किया जाता है। फिर इसी 'गरबा' के चारों ओर नृत्य कर महिलाएं मां दुर्गा को प्रसन्न करती हैं।गरबा नृत्य के दौरान आपने देखा होगा कि महिलाएं 3 तालियों का प्रयोग करती हैं। ये 3 तालियां इस पूरे ब्रह्मांड के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं। गरबा नृत्य में ये तीन तालियां बजाकर इन तीनों देवताओं का आह्वान किया जाता है।

इन 3 तालियों की ध्वनि से जो तेज प्रकट होता है और तरंगें उत्पन्न होती हैं, उससे शक्ति स्वरूपा मां अंबा जागृत होती हैं। पहले गरबा का आयोजन केवल गुजरात में हुआ करता था। यह नृत्य केवल गुजरातियों की ही शान माना जाता है। आजादी के बाद से गुजरातियों ने प्रांत के बाहर निकलना शुरू किया तो अन्य प्रदेशों में भी यह परंपरा पहुंच गई। आज यह देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी आयोजित होता है।

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