Cheque Bounce: इन वजहों से होता है चेक बाउंस, ऐसा होने पर खानी पड़ सकती है जेल की हवा, 99% लोगों को नहीं पता इसका हिंदी नाम?

हममें से अधिकतर लोगों ने चेक का इस्तेमाल कभी न कभी किया है, लेकिन इसका हिंदी नाम ज्यादातर लोगों को पता नहीं होता है। साथ ही हम आपको बताएंगे चेक बाउंस का अर्थ और अगर चेक बाउंस हुआ, तो इसके लिए कितनी सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

Update: 2024-05-24 13:00 GMT

आपने चेक बाउंस ये शब्द अक्सर सुना होगा। अगर आपको कोई चेक दिया जाता है या फिर आप किसी को कोई चेक देते हैं और वो बाउंस हो जाता है, तो ये एक अपराध है। इसके लिए चेक देने वाले को जेल की हवा खानी पड़ सकती है, साथ ही जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

चेक बाउंस का मतलब

आज भी तमाम कामों के लिए चेक से पेमेंट की जरूरत पड़ती है, लेकिन कई बार कुछ गलतियों के चलते चेक बाउंस हो जाता है। चेक बाउंस होने का मतलब है कि उस चेक से जो पैसा न मिलना था, वो नहीं मिल सका। चेक एक फॉर्मल डॉक्यूमेंट होता है।


चेक देने वाला व्यक्ति एक तय अमाउंट का चेक उस व्यक्ति को देता है, जिसे वह पैसे देना चाहता है। फिर यह चेक पैसे लेने वाले व्यक्ति के द्वारा बैंक में जमा किया जाता है। चेक जमा होने के बाद बैंक पैसे को सही तरीके से पेयर के आकउंट से प्राप्तकर्ता के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करती है। हालांकि, कई बार जब पेयर का बैंक प्राप्तकर्ता के अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करने से मना कर देता है, तो उस सिचुएशन को चेक बाउंस कहा जाता है।


चेक बाउंस होने पर बैंक वसूलता है जुर्माना

चेक बाउंस की स्थिति में बैंक पेनाल्‍टी वसूलता है। अलग-अलग बैंकों में चेक बाउंस के मामले में पेनाल्टी की रकम अलग-अलग हो सकती है। चेक बाउंस के मामले में मुकदमा भी चलाया जा सकता है। आइए बताते हैं कि किन कारणों से चेक बाउंस होता है और ऐसे में कितना जुर्माना वसूला जाता है और कब केस करने की नौबत आती है।

इससे पहले जान लेते हैं चेक बाउंस होने के कारण-

  • चेक इशू करने या देने वाले व्यक्ति के अकाउंट में पर्याप्त पैसे का नहीं होना।
  • चेक पर साइन मैच ना करना।
  • अकॉउंट नंबर लाइन अप नहीं होना।
  • चेक कटा-फटा होना।
  • चेक इशू करने की तारीख गलत होना।
  • चेक एक्सपायर हो जाना।
  • चेक इशू करने वाले व्यक्ति का पेमेंट रोकने का फैसला कर लेना।
  • शब्‍द लिखने में गलती।
  • अकाउंट नंबर में गलती।
  • ओवर राइटिंग।
  • चेक जारी करने वाले का अकाउंट बंद होना।
  • जाली चेक का संदेह।
  • चेक पर कंपनी की मुहर न होना।

इतना जुर्माना देना होता है

चेक बाउंस होने पर बैंक जुर्माना वसूलते हैं। जुर्माना उस व्‍‍यक्ति को देना पड़ता है, जिसने चेक जारी किया है। आमतौर पर 150 रुपए से लेकर 750 या 800 रुपए तक जुर्माना वसूला जाता है। चेक बाउंस नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 के मुताबिक, चेक बाउंस होने की स्थिति में व्‍यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता है। उसे 2 साल तक की जेल या चेक में भरी राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है। हालांकि ये उसी स्थिति में होता है जब चेक देने वाले के अकाउंट में पर्याप्‍त बैलेंस न हो और बैंक चेक को डिसऑनर कर दे।

तब आती है मुकदमे की नौबत

चेक बाउंस होने पर बैंक की तरफ से पहले लेनदार को एक रसीद दी जाती है, जिसमें चेक बाउंस होने की वजह के बारे में बताया जाता है। इसके बाद लेनदार को 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेजना होता है। अगर नोटिस के 15 दिनों के अंदर देनदार की तरफ से कोई जवाब न आए तो लेनदार मजिस्ट्रेट की अदालत में नोटिस में 15 दिन गुजरने की तारीख से एक महीने के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर इसके बाद भी आपको रकम का भुगतान नहीं किया जाता है, तो देनदार के खिलाफ केस किया जा सकता है।

चेक जारी करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी

• आपके खाते में जितनी राशि है, उतनी का ही चेक आपको बनाना चाहिए और दूसरे व्यक्ति को 3 महीने में इसे कैश करा लेना चाहिए।

• चेक पर वैसे ही सिग्नेचर होने चाहिए जैसे आपके बैंक खाते में किए हुए हैं।

• चेक देते समय उसका नंबर, तारीख, अमाउंट, खाते का नाम जरूर नोट करें।

• चेक भरते समय उसमें अमाउंट, नाम और फिगर्स में स्पेस देने से बचें और इसे सावधानी से भरें।

अब चेक का हिंदी नाम भी जान लीजिए

चेक का इस्तेमाल तो पूरी दुनिया करती है, आपने भी अक्सर इसका इस्तेमाल किया होगा, लेकिन बहुत कम लोगों को इसका मतलब हिंदी में पता होता है। हमारे देश में हिंदी मुख्य भाषा होने के बावजूद चेक का इंग्लिश नाम ही इस्तेमाल में है और आम लोग भी इसका हिंदी नाम नहीं जानते। चेक को हिंदी में धनादेश कहते हैं।

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