Rawatpura Medical College: सरकारी कॉलेज का डॉक्टर रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज का डायरेक्टर कैसे बन गया? हेल्थ के अफसर आंख-मुंह बंद कर बैठे रहे...

Rawatpura Medical College: वैसे तो छत्तीसगढ़ के सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के कई फैकल्टी प्रायवेट अस्पतालों में सेवा देकर डबल सेलरी उठा रहे हैं मगर रायपुर के जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने तो कमाल कर दिया। वे रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के मेडिकल डायरेक्टर बन गए। रावतपुर मेडिकल कॉलेज के रिश्वत कांड में सीबीआई ने उन्हें भी आरोपी बनाया है। इससे पहले रायपुर के एक और मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी रह चुके हैं। कॉलेज के वेबसाइट में भी उनका नाम था।

Update: 2025-07-04 09:21 GMT

Rawatpura Medical College: रायपुर। सीबीआई ने रावतपुर सरकार मेडिकल कॉलेज के रिश्वत कांड में तीन लोगों को आरोपी बनाया है। उनमें एडमिनिस्ट्रेटिव डायरेक्टर अतुल तिवारी के साथ मेडिकल डायरेक्टर डॉ0 अतीन कुंडू भी शामिल हैं। अतुल तिवारी की तो सीबीआई ने गिरफ्तार कर उन्हें रिमांड पर लिया है।

बहरहाल, सीबीआई ने रावतपुर सरकार मेडिकल कॉलेज के मेडिकल डायरेक्टर डॉ0 अतीन कुंडू के यहां भी छापा मारा था। सीबीआई ने एफआईआर में डॉ0 कुंडू को भी आरोपी बनाया है। डॉ0 कुंडू के बारे में जानकर आपको हैरानी होगी कि वे राज्य सरकार की सेवा में हैं और इस समय रायपुर के जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज में आर्थोपेडिक विभाग में उनकी असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्टिंग है। मगर वे अपनी सर्विस दे रहे हैं रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में। वो भी छोटा-मोटा गेस्ट फैकल्टी नहीं, बल्कि मेडिकल डायरेक्टर के पद पर। जाहिर है, मेडिकल डायरेक्टर बड़ा पद होता है। व्यवहारिक तौर पर डीन से भी उपर होता है। मेडिकल डायरेक्टर का काम कॉलेज की नियुक्तियों के साथ ही अस्तपाल का काम देखना। रावतपुरा मेडिकल कॉलेज से लेकर उसके अस्पताल के लिए मेडिकल इक्विमेंट की खरीदी हुई है सभी में मेडिकल डॉयरेक्टर का रोल अहम होता है।

रिम्स के भी फैकल्टी मेंबर

कांग्रेस शासनकाल में डॉ0 अतीन कुंडू का ट्रांसफर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में हुआ था। मगर वे ज्वाईन नहीं किए। इस बीच उन्होंने रायपुर के प्रायवेट मेडिकल कॉलेज रिम्स में अपनी सेवा देने लगे। रिम्स के वेबसाइट में भी उनका नाम था। एनएमसी ने जब रिम्स का निरीक्षण किया था, उस समय रिम्स ने डॉ0 कुंडू को अपने कॉलेज में पोस्टेड बताया था। जबकि, वे सरकारी सेवा में थे। बताते हैं, कांग्रेस के एक विधायक ने अंबिकापुर कॉलेज से फिर रायपुर ट्रांसफर कर दिया। डॉ0 कुंडू नाम के लिए अंबिकापुर कॉलेज में ज्वाईन किए उसके बाद उन्हें वहां से रिलीव दिखा दिया गया।

सरकारी डॉक्टर, दो प्रायवेट अस्पतालों में

सवाल उठता है कि क्या सरकारी मुलाजिम किसी प्रायवेट सिस्टम में काम कर सकता है क्या? जानकारों का कहना है कि अवैतनिक भी कोई सरकारी आदमी प्रायवेट में काम नहीं कर सकता। सरकार से जु़ड़ी संस्थानों में कभी-कभार एक्सपर्ट के तौर पर उसे कभी भी बुलाया जा सकता है। मगर डॉ0 कुंडू रावतपुरा मेडिकल कॉलेज के न केवल मेडिकल डायरेक्टर रहे बल्कि डे-टू-डे के कार्यो में वे सक्रिय रहे। उनका वहां चेंबर बना हुआ है। वे नियमित वहां जाते भी थे। सीबीआई ने डॉ0 कुंडू को आरोपी बनाया है तो कुछ तो उसे साक्ष्य मिला होगा।

तीन दिन में कोई कार्रवाई नहीं

डॉ0 अतीन कुंडू के यहां सीबीआई छापा और यह खुलासा कि सरकारी सेवा में रहते हुए वे प्रायवेट कॉलेज में मेडिकल डायरेक्टर की ड्यूटी कर रहे हैं, स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। नोटिस तक जारी नहीं की गई है।

छत्तीसगढ़ में कई कुंडू

हालांकि, सरकारी मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड रहते प्रायवेट के लिए काम करने वाले डॉ. अतीन कुंडू अकेले नहीं हैं। सरकारी अस्पतालों के 90 परसेंट डॉक्टर प्रायवेट अस्पतालों में काम कर रहे हैं। इनमें उनकी भी बड़ी संख्या है, जो छत्तीसगढ़ के प्रायवेट मेडिकल कॉलेजों के साथ चोरी-छिपे जुड़े हुए हैं। एनएमसी के निरीक्षण के समय तो बड़े-बड़े डॉक्टरों को वहां पोस्टेड बता कर हेड काउंटिंग करा दिया जाता है।

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