Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam: SDM 'निर्भय' ने निर्भयता की सीमा लांघ डाला, जिसकी जमीन नहीं उसे भी रेवड़ी की तरह मुआवजा बंट गया, केंद्र का 300 करोड़ हजम...
Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam: अभनपुर मुआवजा घोटाला में राजस्व अधिकारियो ने भूमाफियाओं से मिलकर गजब ढा दिया. सरकारी घास जमीन को प्राइवेट बना लोगों को मुआवजा दिया ही, जिनकी कोई जमीन अधिग्रहित नहीं हुई, उसे भी करोड़ों का चेक दे दिया। रायपुर कलेक्टर की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।

Raipur-Vishakhapatanam Expressway Land Scam:
Raipur-Vishakhapatanam Expressway: रायपुर। रायपुर-विशाखापट्टनम ग्रीन कारिडोर में 300 करोड़ के मुआवजा स्कैम में छत्तीसगढ़ सरकार ने आज अभनपुर के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू को सस्पेंड कर दिया।
निर्भय साहू अभनपुर में तीन साल एसडीएम रहे। हालांकि, 2019 में जब मुआवजा का प्रॉसेज प्रारंभ हुआ, उस समय सूरज साहू जनवरी 2019 से अक्टूबर 2020 तक एसडीएम रहे। याने लगभग 20 महीने। सूरज साहू के बाद निर्भय साहू 15 अक्टूबर 2020 से लेकर 1 जून 2023 तक एसडीएम रहे। इसी दौरान भारत सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में 300 करोड़ करोड़ का घोटाला हुआ।
भारतमाला परियोजना में मुआवजा का ऐसा बंदरबांट हुआ कि राजस्व अधिकारी के साथ भूमाफिया और सेठ-साहूकार मालामाल हो गए।
9 किमी में 326 करोड़
एसडीएम ने केंद्र की राशि में ऐसी गड़बड़ियां की कलेक्टर की रिपोर्ट देखकर लोग हैरान हैं। अभनपुर में 9.38 किलोमीटर के एरिया में 50.28 हेक्टेयर प्रायवेट लैंड अधिग्रहित किया, उसके लिए 248 करोड़ का मुआवजा बांट दिया। इसमें अभी 78 करोड़ का क्लेम बचा ही है। वहीं, धमतरी जिले के कुरूद में 51.97 किलोमीटर की सड़क के लिए 207.57 हेक्टयेर प्रायवेट लैंड अधिग्रहित किया गया, उसके एवज में मात्र 108.75 करोड़ का मुआवजा बंटा। इससे समझा जा सकता है कि अभनपुर में किस स्तर पर मुआवजे में घोटाला किया गया।
सिक्स लेन एक्सप्रेसवे में अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव के 32 प्लाट आ रहे थे, जिन्हें अधिग्रहित किया जाना था। एसडीएम आफिस से 3ए का प्रकाशन भी हो गया था। 3ए के प्रकाशन के बाद उस इलाके में जमीनों की रजिस्ट्री, खसरा और बटांकन का काम नहीं हो सकता।
मगर एसडीएम और तहसीदार ने मिलकर 3ए के प्रकाशन के बाद 32 प्लाटों को 247 छोटे प्लॉटों में बांट डाला। तहसीलदार ने प्रतिबंध के बाद भी बटांकन कर डाला। सेठ-साहूकारों के एक-एक व्यक्ति के नाम पर जमीनों के कई-कई टुकड़े कर दिए गए। पति, पत्नी, बेटा, बेटी, नौकर-चाकर के नाम पर बटांकन दिखा भारतमाला परियोजना से करोड़ों रुपए का मुआवजा ले लिया गया।
पराकाष्ठा तो यह हो गई कि 51 हेक्टेयर सरकारी घास जमीन के कुछ हिस्से को प्रायवेट कर राजस्व अधिकारियों ने उसका मुआवजा भूमाफियाओं को दे दिया। जाहिर है, एसडीएम, तहसीलदार समेत राजस्व विभाग के अधिकारियों को इसमें मोटी रकम प्राप्त हुई।
एनपीजी न्यूज लगातार इस इस स्कैम को प्रमुखता के साथ उठाता रहा। विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मुआवजा घोटाला को उठाते हुए कलेक्टर की जांच रिपोर्ट पर सवाल पूछा। इस पर राजस्व मंत्री ने कलेक्टर की जांच से अनभिज्ञता जता दी। जबकि, रायपुर कलेक्टर इस सवाल से महीने भर पहले जांच रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंप चुके थे। जाहिर है, इस स्कैम पर पर्दा डालने राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मंत्री से सदन में गलतबयानी करा दी।
एनपीजी न्यूज अगर इस स्कैम को उजागर न करता और विधानसभा में मामला नहीं उठता तो राजस्व विभाग एसडीएम को भी सस्पेंड नहीं कराता। ताज्जुब है कि पिछले तीन साल से सिस्टम में बैठे सभी अफसरों को मालूम है कि मंत्रालय के बगल में केंद्र सरकार के 300 करोड़ रुपए को चूना लगा दिया गया है। इसके बाद भी तीन साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। विधानसभा में 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष ने उठाया। स्पीकर ने मंत्री को सख्त निर्देश दिया कि अगली बार राजस्व विभाग का जब भी प्रश्नकाल होगा, जांच रिपोर्ट के बारे में बताई जाए। इसके बाद भी सिस्टम को एसडीएम निर्भय साहू को सस्पेंड करने में सात दिन लग गए।
क्या है मामला?
बताते हैं, 3ए के प्रकाशन के बाद संबंधित इलाके में जमीनों की खरीद-बिक्री के साथ उसके खसरे, बटांकन पर रोक लग जाती है। मगर अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव में 3ए के प्रकाशन के बाद 32 प्लाटों को 247 छोटे टुकड़ों में बदल दिया ताकि नेशनल हाईवे से ज्यादा मुआवजा लिया जा सके।
एक परिवार में कई बंटवारा
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर जमीन के 32 खसरों को 247 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया। इनमें पति-पत्नी, बेटा-बेटी, नौकर-चाकर के नाम पर बंटवारा कर दिया ताकि 500 वर्गफुट से कम जमीने होने पर आठ गुना अधिक मुआवजे का लाभ उठाया जा सकें।
एनपीजी के सूत्र बताते हैं, कायदे से 32 प्लाटों के लिए 35 करोड़ मुआवजा बनता। मगर एसडीएम ने बड़े लोगों से मिलकर प्रतिबंध के बावजूद उसे 247 टुकड़ों में बांट 248 करोड़ मुआवजा दे दिया। इसके बाद 78 करोड़ का और क्लेम कर दिया।
ऐसे फूटा मामला
248 करोड़ रुपए देने के बाद 78 करोड़ के और क्लेम के बाद नेशनल हाईवे अथारिटी के अफसरों के कान खड़े हुए। अफसरों ने इसकी जानकारी शीर्ष अफसरों को भेजी। इस पर एनएचआई के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा। कई साल से इसकी जांच पेंडिंग रही। दिल्ली के प्रेशर के बाद इसकी जांच रिपोर्ट अब राजस्व सिकरेट्री को भेज दी गई है। इसमें कलेक्टर ने माना है कि 35 करोड़ के आसपास मूल मुआवजा बनता है। याने 213 करोड़ ज्यादा मुआवजा बांट दिया गया।
बड़े बिजनेसमैन शामिल
भारतमाला रोड का ऐलान होते ही रायपुर, धमतरी के बड़े बिजनसमैन आसपास की जमीनें खरीद ली। 500 वर्ग फुट से अगर प्लॉट छोटा है तो आठ गुना अधिक मुआवजा बनता है। अभनपुर में 14 लाख रुपए जमीनों का सरकारी रेट है। तो भूअर्जन नियमों से दुगुना याने 28 लाख रुपए मिलेगा। और इसे 500 वर्गफुट के टुकड़ों में बांट दें तो इसका रेटा एक करोड़ से अधिक पहुंच जाएगा। क्योंकि मुआवजे का रेट आठ गुना बढ़ जाएगा।
रायपुर से विशाखापटनम की दूरी कम करने के लिए भारत सरकार याने नेशनल हाईवे 25 हजार करोड़ की लागत से 464 किलोमीटर लंबी सिक्स लेन एक्सप्रेस वे बना रहा है। छत्तीसगढ़ में इसके तहत 124 किलोमीटर रोड बनाया जाएगा। उसके बाद 240 किलोमीटर ओड़िसा में और फिर आंध्रप्रदेश में 100 किलोमीटर का हिस्सा आएगा। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद रायपुर से विशाखापत्तनम की दूरी 14 घंटे से आधी होकर सात घंटे हो जाएगी।
एक्सप्रेस वे का ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के हिस्से में काम जोर-शोर से चल रहा है। मगर किसानों के विरोध की वजह से अभनपुर के पास काम घिसट-घीसटकर चल रहा है। पिछली सरकार में कभी डीएफओ ने काम रोकवा दिया तो कभी अभनपुर एसडीएम ने। एनएच के अधिकारियों ने रायपुर कलेक्टर के पास मुआवजा प्रकरण की जांच के लिए गुहार लगाई मगर चार साल से उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया।
जानिये ग्रीन कारिडोर रोड के बारे में
तीन राज्यों से होकर गुजर रहे इस रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेस वे को ग्रीन कारिडोर नाम दिया गया है। इसके दोनों ओर बाउंड्री बनाई जाएगी ताकि कोई मवेशी या वाहन अचानक रोड पर न आ जाए। इसमें टोल बैरियर भी दो ही रहेगा, एक अभनपुर के पास और दूसरा विशाखापटनम में। 464 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे रायपुर के पास अभनपुर से शुरू होगा और विशाखापत्तनम के बाहरी इलाके में सब्बावरम तक जाएगा। इसे 2025 तक पूरा होने का टारगेट था। मगर जिस रफ्तार से काम चल रहा 2026 में भी पूरा हो जाए तो बहुत है.
छत्तीसगढ़ की यह पहली परियोजना है जो 6 लेन पूरी तरह दोनों तरफ से बंद होगी किसी प्रकार का जानवर या अन्य कोई प्रवेश नहीं कर पायेगा। इस रोड पर प्रवेश के लिए जहां रास्ता बनाया जायेगा उसी स्थल से ही प्रवेश हो पायेगा। तैयार होने पर रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 590 किमी से घटकर 464 किमी हो जाएगी और यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर लगभग 7 घंटे हो जाएगा।
वर्तमान में विशाखापट्टनम और छत्तीसगढ़ के बीच में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन माल का आना जाना होता है। यह रोड बनने से समुद्री मांग से आने वाले माल की ढुलाई आसान होगी जिससे व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।