Places To Visit In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की ये जगहें स्वर्ग से कम नहीं, नजारा देख आप भी कहेंगे...वाह

Places To Visit In Chhattisgarh: गर्मियों में अगर घूमने का प्लैन बना रहे हैं तो छत्तीसगढ़ में कई ऐसे टुरिस्ट स्पॉट है जिसका मजा आप छुट्टियों में ले सकते हैं।

Update: 2024-04-12 08:12 GMT

Places To Visit In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में अगर आप भी गर्मी में किसी अच्छे जगह घूमना चाहते है तो हम आपको बताएंगे प्रकृति के खूबसूरत ठंडे पर्यटन स्थलों के बारे में। छत्तीसगढ़ के ये बेहतरीन पर्यटन स्थल आपको गर्मी में ठंडी का एहसास दिलाएंगे। 45 फीसदी वनों से आच्छादित छत्तीसगढ़ इको टूरिज्म का बेजोड़ डेस्टिनेशन है। यहाँ एक से एक झरने हैं तो रोमांचक मोड़ों वाली घाटियाँ भी है। आइए आज जानते हैं  आप कहाँ घूमना पसंद करेंगे।

बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य

यह अभयारण्‍य, बलौदाबाजार जिले में स्थित है जो 245 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इसे वन्‍यजीव अभयारण्‍य के रूप में 1972 में वन्‍यजीवन अधिनियम के तहत घोषित किया गया था। यह अभयारण्‍य, समतल और पहाड़ी क्षेत्र का मिश्रण है जो 265 मीटर से 400 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्‍य में चार सींग वाले हिरण, बाघ, तेंदुए, जंगली भैंसें, अजगर, बार्किंग हिरन, हाइना, साही, चिंकारा और ब्लैक बक्‍स आदि देखने को मिलते है। यहां पक्षी प्रेमियों के लिए काफी कुछ देखने को है।

यहां कई प्रकार के पक्षी जैसे – बगुले, बुलबुल, इरगेट्स और तोता आदि की कई प्रजातियां देखी जा सकती है। यह वन क्षेत्र शुष्क पर्णपाती पेड़ों और अन्य पेड़ों से समृद्ध है जिनमें तेंदू, बीर, सेमल, साक, टीक और बेंत आदि शामिल है। 


बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य की वनस्पति मुख्यतः सागौन, साल, बांस और प्रमुख पेड़ों की जा रही टर्मीनालिया साथ उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन के शामिल हैं। अभयारण्य में पाए अन्य प्रमुख पौधों Semal, महुआ, बेर और तेंदु शामिल हैं. अमीर और रसीला वनस्पति कवर अभयारण्य में वन्य जीवन की एक विस्तृत विविधता का समर्थन करता है। बारनवापारा अभयारण्य शामिल हैं बाघ, स्लॉथ बीयर, उड़ने वाली गिलहरी, सियार, चार सींग वाला हिरण, तेंदुए, चिंकारा, ब्लैक बक, जंगली बिल्ली, बार्किंग डीयर, साही, बंदर, बायसन, धारीदार हाइना, जंगली कुत्ते, चीतल, के प्रमुख वन्यजीव सांभर, नील गाय, गौर, Muntjac, कुछ नाम करने के लिए जंगली सूअर, कोबरा, अजगर. अभयारण्य भी प्रमुख तोते, बुलबुल, सफेद पूंछ वाले जानवर, ग्रीन Avadavat, कमजोर kestrels, मोर, लकड़ी Peckers, रैकेट पूंछ ड्रोंगो, Egrets, और हेरोन्स नाम करने के लिए किया जा रहा है कुछ के साथ एक बड़े आकार का पक्षी आबादी है। 

भोरमदेव मंदिर, कबीरधाम

कबीरधाम में स्थित,करीब एक हज़ार साल पुराने इस मंदिर की तुलना मध्य प्रदेश के "खजुराहो" और उड़ीसा के "कोणार्क" मंदिर से की जाती है। चारों ओर मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। बारिश और बसंत ऋतु में ये चोटियां जब हरियाली से पूर्णतः आच्छादित हो जाती हैं तब यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। पर्यटक उस शांति को आत्मसात कर भावविभोर हो जाते हैं। भोरमदेव छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले में कवर्धा से 18 कि.मी. दूर तथा रायपुर से 125 कि.मी. दूर चौरागाँव में स्थित है। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव ने बनवाया था। भोरमदेव मंदिर को जिस नफ़ासत से बनाया गया है, वही इसे खास बनाता है। संपूर्ण मंदिर में सुंदर कारीगरी की गई है। मंदिर के गर्भगृह के तीनों प्रवेशद्वार पर लगाया गया काला चमकदार पत्थर इसकी आभा को बढ़ाता है। मंदिर के गर्भगृह में अनेक मूर्तियां हैं और इन सबके बीच में काले पत्थर से बना हुआ एक शिवलिंग स्थापित है। आपको बता दें कि अष्टभुजी गणेश जी की मूर्ति तो पूरी दुनिया में सिर्फ भोरमदेव मंदिर में ही है।


मंदिर की बाहरी दीवारों पर कामुक मुद्रा वाली मूर्तियाँ हैं। इन्हीं मूर्तियों की वजह से भोरमदेव मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है। यहां सभी मूर्तियों को बड़े ध्यान से बनाया गया हैं। उस काल की पूरी जीवन-शैली, नाच-गाना, भक्ति, शिकार करना और बहुत कुछ बड़ी लगन से यहां उकेरा गया है। जो खुशहाल जीवन के प्रतीक हैं। नाचते-गाते आदिवासियों की मूर्तियाँ उस काल की मुद्राओं को दिखाती हैं। मंदिर प्रांगण में प्रेम ही प्रेम का अहसास है। भोरमदेव मंदिर में यूं तो सालभर पर्यटकों, भक्तों का आना जाना लगा रहता है लेकिन सावन माह में यहाँ लोगों की रौनक देखते ही बनती है।वैसे आप सालभर में कभी भी भोरमदेव देखने जा सकते हैं। भोरमदेव जाने के लिए आप स्वामी विवेकानन्द हवाई अड्डा रायपुर पर उतर सकते हैं।ट्रेन से आना चाहें तो हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर रायपुर(134 किमी) समीपस्थ रेल्वे जंक्शन है। सड़क मार्ग से जाना हो तो भोरमदेव रायपुर से 116किमी एवं कवर्धा से 18 किमी है। दैनिक बस सेवा एवं टैक्सियां आसानी से उपलब्ध हैं।

केंदई वाॅटरफाॅल

कोरबायह खूबसूरत वाॅटरफाॅल जिला मुख्यालय से 85 कि.मी की दूरी पर केंदई गांव में स्थित है। 75 फीट ऊंचा यह वाॅटरफाॅल अब एक शानदार पिकनिक स्पॉर्ट भी बन गया है, जहां परिवार के साथ एक यादगार दिन बिताया जा सकता है। केंदई वॉटरफॉल की ख़ूबसूरती मानसून में देखने लायक होती है।इस दौरान यहां भरपूर पानी होता है। यहाँ वाॅच टावर से आप दूर-दूर का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं। आप निस्संदेह बहुत अच्छा महसूस करेंगे। केंदई वाॅटरफाॅल रायपुर से करीब 251 किमी की दूरी पर है।


चिरमिरी, मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला

महानदी की सहायक नदी हसदेव के तट पर बसे चिरमिरी को "छत्तीसगढ़ का स्वर्ग" भी कहा जाता है। समुद्र तल से लगभग 579 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ये हिल स्टेशन किसी जन्नत से कम नहीं है। यहाँ बेहद खूबसूरत वाॅटरफाॅल अजूबा हिल हैं। ऊंचे-ऊंचे वृक्षों के झुरमुट हैं, नदी है,हरियाली से परिपूर्ण पहाड़ हैं, ट्रेकिंग का मज़ा है और 36 मोड़ों वाली रोमांचक सड़क है जो चिरमिरी को बिलासपुर से जोड़ती है। इन्हीं कारणों से चिरमिरी को "छत्तीसगढ़ का स्वर्ग" भी कहा जाता है। सर्दियों की मखमली धूप में आप इस हिल स्टेशन में ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं। कैपिंग भी कर सकते हैं या आसपास के गांवों में होमस्टे का भी मज़ा ले सकते हैं। वहीं हसदेव नदी के किनारे शांति और सुकून का अहसास पा सकते हैं। यदि आप प्लेन से चिरमिरी आना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले रायपुर के स्वामी विवेकानंद अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर आना होगा।ट्रेन से आप अंबिकापुर रेलवे स्टेशन पर उतर सकते हैं अंबिकापुर ही करीबी बड़ा शहर है जो सड़कों से बाकी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।


झुमका बांध, कोरिया

कोरिया जिले की बैकुंठपुर तहसील में स्थित है झुमका बांध। नीले समुद्र की तरह यहां का पानी, शांत माहौल , बांध के आस-पास बड़ी-बड़ी चट्टानें और घना जंगल पर्यटकों को बहुत पसंद आता है।इसे रामानुज प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है। पिकनिक, मस्ती, फिशिंग, बोटिंग आदि के लिए यह एक बढ़िया लोकेशन है। यहाँ टूरिस्टों के लिए रिसोर्ट भी है।बांध देखने और यहां घूमने के लिए आप किसी भी मौसम में आएं, आपको मज़ा ही आएगा क्योंकि यहां सालभर पानी भरा रहता है। बारिश के मौसम में नजारा और भी खूबसूरत होता है। यहां एक बहुत बड़ी कृत्रिम मछली बनाई गई है,जिसके अंदर फिश एक्वेरियम है। झुमका बांध लोगों की पसंदीदा जगहों में इसलिए भी खास है क्योंकि यहां बहुत बड़ा कृत्रिम मछली बनी हुई है, जिसके अंदर फिश एक्वेरियम है।आप सोच ही सकते हैं यहां आकर आपके परिवार और बच्चों को कितना मज़ा आने वाला है।


कैलाश गुफा, जशपुर

कैलाश गुफा प्रकृति प्रेमियों और धार्मिक जनों के लिए एक अति मनोरम स्थल है। इस पवित्र गुफा का निर्माण पूज्य संत रामेश्वर गहिरा गुरू जी ने करवाया था। यही उनकी तपोभूमि थी, जहां उन्होंने वर्षों तपस्या की। यहाँ गुफा के चारों ओर हरियाली, हवा के झोंकों के साथ नृत्यरत वृक्ष, पंछियों का कलरव, हर और केले के पेड़, बंदरों की उछलकूद और शैतानियां आपको अपनी व्यस्त दिनचर्या से दूर सुकून के अहसास से भर देती हैं। महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष यहां विशाल मेला लगता है और सावन माह में दूर-दूर से कांवड़िए पैदल चलकर गुफा में स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक करने आते हैं। कैलाश गुफा का सौंदर्य अनुपम है। गुफा में प्रवेश करते ही चट्टानों से रिसता पानी आपके उपर छींटों की बौछार करता है और आपका तन-मन खिल उठता है। गुफा में प्रवेश करने पर आप एक बड़े से हॉल में पहुंचेंगे। सामने शिव लिंग हैं जहाँ आप जलाभिषेक कर सकते हैं। यहां के माहौल में आप सहज ही धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत हो जाते हैं। गुफा के पास मीठे पानी की जलधारा भी है जहां पर पर्यटक अपनी प्यास बुझा सकते हैं। अलकनंदा जलप्रपात भी करीब है। आप इसके पास भी अवश्य समय गुजारें।


गंगरेल डैम, धमतरी

धमतरी से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गंगरेल बांध छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा बांध है। यह राज्य के कई जिलों को सिंचाई के लिए पानी भी प्रदान करता है। इस बांध को पंडित रविशंकर जलाशय के नाम से भी जाना जाता है। गंगरेल डैम को मिनी गोवा की तरह विकसित किया गया है। यहाँ पर आर्टिफिशियल बीच डेवलप किया गया है जहां टूरिस्ट को आकर्षित करने के लिए एक से एक व्यवस्थाएं की गई हैं। यहां हट्स, कैफेटेरिया, गाईन के साथ वॉटर स्पोर्टस की सुविधा विकसित की गई है। बरसात के मौसम में सैलानी खासकर इसे देखने आते हैं।


गोमर्डा अभयारण्य, सारंगढ़

सारंगढ़ स्थित यह अभ्यारण 277 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहाँ गौर, सोनकुत्ता, बारहसिंहा, तेंदुआ, बरहा, उडन गिलहरी आदि पाए जाते हैं। यहां घूमने का उपयुक्त समय सितम्बर से जून तक है। गोमरदा में रेस्ट हाउस के साथ 30 फीट का वॉच टावर बनाया गया है जिसमें लोग ऊपर चढ़कर हरे-भरे सुंदर वातावरण का दीदार कर सकते हैं।


तुरतुरिया, बलौदा बाज़ार-भाटापारा

तुरतुरिया बहरिया नामक गांव के समीप बलभद्री नाले पर स्थित है। जनश्रुति है कि त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि का आश्रम यहीं पर था और लवकुश की यही जन्मस्थती थी। इस स्थल का नाम तुरतुरिया पड़ने का कारण यह है कि बलभद्री नाले का पानी चट्टानों के बीच से होकर निकलता है तो उसमें से उठने वाले बुलबुलों के कारण तुरतुर की ध्वनि निकलती है। जिसके कारण उसे तुरतुरिया नाम दिया गया है। लंबी सुरंग से होकर जिस स्थान पर कुंड में यह जल गिरता है वहां पर एक गाय का मुख बना दिया गया है जिसके कारण जल उसके मुख से गिरता हुआ दिखाई पड़ता है। तुरतुरिया में मंदिर के पास एक विशाल नदी है। इस नदी को बलमदेही नदी के रूप में जाना जाता है। कहते हैं कि कोई कुंवारी कन्या यहां यदि वर यानि जीवनसाथी की कामना करती है तो उसकी इच्छा जल्द ही पूरी हो जाती है। इसकी इसी खासियत के कारण इसका नाम बलमदेही यानि बालम देने वाला पड़ा।


चित्रकोट जलप्रपात, बस्तर

बस्तर जिले के जगदलपुर शहर से 38 किलोमीटर की दूरी पर चित्रकोट जलप्रपात स्थित है। इंद्रावती नदी पर स्थित इस वॉटरफॉल का आकार घोड़े की नाल के समान है इसलिए इसे भारत का नियाग्रा फॉल्स भी कहा जाता है। यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है। नदी यहां ऊंचाई से गिरते हुए खूबसूरत दृश्य का निर्माण करती है जिसे देखने के लिए पर्यटक दूर दूर से इसकी ओर खिंचे चले आते हैं। यह झरना इंद्रावती नदी की खूबसूरती पर चार चांद लगा देता है। बाधा रूप में आने वाली चट्टानों से लड़ता, उन्हें रौंदता, वृक्ष-कुंजों के बीच से गुज़रता, विशाल जलराशि खुद में समेटे हुए उमगता, गरजता यह प्रपात आगंतुकों को रोमांच और सिहरन से भर देता है। शहर की उमस भरी गर्मी से तपते तन-मन को इसका शीतल जल ऐसी शांति देता है कि पर्यटक कुछ वक्त के लिए खुद को, अपनी तमाम परेशानियों को भूल ही जाता है। विध्याचल पर्वत माता में स्थित चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन हैं, जो कि उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देते हैं। रात में इस जगह पर रोशनी का पर्याप्त प्रबंध किया गया है। ताकि यहाँ के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकें। झरने के पास आपको नाविक मिल जाएंगे जो आपको झरने के बीचोंबीच लेकर जाएंगे। अब यहां कैंपिग की भी व्यवस्था की गई है। जिससे पर्यटक चांदनी रात में ठहरकर द्वारने का सौंदर्य निहार सकें और पूर्ण शांति का अनुभव कर सकें।


जंगल सफारी, रायपुर

राजधानी रायपुर स्थित जंगल सफारी एशिया की पहली मानव निर्मित जंगल सफारी है। जंगल सफारी खंडवा ग्राम के नज़दीक नया रायपुर के बीच में स्थित है जो 800 एकड़ में फैला हुआ है। जंगल सफारी में आपको कई तरह के जानवर और हरियाली से परिपूर्ण वातावरण देखने को मिलेगा। साथ ही यहां 130 एकड़ में खंडवा जलाशय है जो सफ़ारी की सुंदरता में चार चांद लगा देता है। यह कई सारे प्रवासियों पक्षियों को अपनी ओर खींचता है। इसमें आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। जंगल सफारी में चार मुख्य बाड़े हैं, शाकाहारी वन्यप्राणी सफारी, भालू सफ़ारी, टाइगर सफारी और शेर सफ़ारी। यहां आप पिंजरे नुमा गाड़ी में घूमकर जंगली जानवरों को खुले में विचरते देख सकते हैं। परिवार के साथ घूमने के लिए यह एक शानदार ट्रिप होगी।


मैनपाट, सरगुजा

मैनपाट सरगुजा जिले का एक रोमांचक स्थल है, जहां माण्ड नदी का उद्म भी देखा जा सकता है। यहां आप ठिठुराने वाली ठंड महसूस कर सकते हैं, बर्फबारी का मजा ले सकते हैं और धरती पर बिछा बर्फ का श्वेत कालीन भी देख सकते हैं। इसी वजह से इसे छत्तीसगढ़ का शिमला कहा जाता है।यही नहीं, विंध्य पर्वतमाला पर बसे मैनपाट को भारत का तिब्बत भी कहा जाता है क्योंकि चीनी आक्रमण के बाद यहां भारत सरकार ने तिब्बतियों को शरण दी थी। यहां के विख्यात बुद्ध मंदिर, खान-पान और संस्कृति में भी तिब्बती पन का अहसास होता है। मैनपाट अपने अनोखे सौंदर्य के कारण पर्यटकों की भीड़ खींचता हैं। यहां देखने के लिए एक से एक जगहें हैं। टाइगर प्वाइंट मैनपाट का प्रमुख आकर्षण केंद्र है, यहां पर महादेव मुदा नदी झरने का निर्माण करती है। यह झरना लगभग 60 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। जब झरने का पानी ऊपर से नीचे जमीन की ओर गिरता है तो यहाँ पर टाइगर की दहाड़ की ध्वनि सुनाई पड़ती है इसलिए इसे टाइगर प्वाइंट कहा जाता है। टाइगर प्वाइंट जलप्रपात जंगल के बीच में स्थित है। इसके चारों ओर बड़े बड़े पहाड़ स्थित हैं। ये एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है जहां हर साल लाखों की संख्या में लोग घूमने आते हैं। मैनपाट के पास ही जलजली नाम का एक स्थान है। यहां लगभग तीन एकड़ ऐसी जमीन है, जो काफी नर्म है और इसपर कूटने पर ऐसा प्रतीत होता है धरती हिल रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के आंतरिक दबाव और पोर स्पेस (खाली स्थान) में सॉलिड के बजाए पानी भरे होने के कारण यह स्थान दलदली और स्पंजी लगती है। मैनपाट आने वाले सैलानियों के आकर्षण का एक कारण 'उल्टा पानी' भी है। यह एक ऐसी जगह है, जहां पानी का बहाव नीचे के बजाए ऊपर की ओर यानी ऊंचाई की तरफ है। इस स्थान पर अगर आप अपनी गाड़ी को न्यूट्रल में खड़ी करते हैं, तो अपने आप 110 मीटर तक पहाड़ी की ओर चली जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मैनपाट में मौजूद इस जगह में गुरुत्वाकर्षण बल से ज्यादा प्रभावी मैग्नेटिक फील्ड है, जो पानी या गाड़ी को ऊपर की तरफ खींचता है। बता दें कि भारत में ऐसी सिर्फ 5 और दुनिया भर में 64 जगह हैं।


अचानकमार टाइगर रिजर्व, मुंगेली

अचानकमार अभ्यारण्य की स्थापना 1975 में की गई। यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, उड़न गिलहरी, जंगली सुअर, बायसन, चिलीदार हिरण, भालू, लकड़बग्घा, सियार, चार सिंग वाले मृग, चिंकारा सहित 50 प्रकार स्तनधारी जीव एवं 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजीतियों के पक्षी देखे जा सकते हैं। अचानकमार टाइगर रिजर्व की गिनती देश के प्रमुख टाइगर रिजर्व के रूप में होती है। यह टाइगर रिजर्व मनोरम प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है।

इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान, बीजापुर

बीजापुर जिले में स्थित इंद्रावती नेशनल पार्क छत्तीसगढ़ राज्य को देश में पहचान देता है। इसका नाम निकटतम इंद्रावती नदी के कारण पड़ा है। बताते हैं कि यहाँ दुर्लभ जंगली भैंस की आखिरी आबादी बची हुई है। यह छत्तीसगढ़ में उदांति-सीतानदी के साथ दो परियोजना बाघ स्थलों में से एक है। इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान में आप बाध, चीतल, जंगली भैंसा, बार्किंग हिरण, बारहसिंघा, जंगली सुअर, धारीदार हाइना, उड़न गिलहरी, लंगूर, साही, पैंगोलिन, बंदर आदि जानवर देख सकते हैं। वहीं मॉनिटर छिपकली, मगरमच्छ, आम क्रेट, भारतीय गिरगिट, इंडियन रॉक पायथन, रसेल के वाइपर कोबरा जैसे रेप्टाइल भी यहां हैं। पक्षियों की बात करें तो यहाँ हिल मैना, चित्तीदार उल्लू, मोर, रैकेट-पूंछ वाले ड्रॉगो, तोते, स्टेपी ईगल्स, रेड स्पर फॉल, फाटक आदि देखे जा सकते हैं। गर्मी के मौसम में यहां गर्मी काफी ज्यादा लगती है, इसलिए यहां अक्टूबर से फरवरी महीने के बीच आना बेहतर है, इस दौरान यहां का मौसम भी काफी अच्छा होता है। प्राकृतिक सुंदरता एवं अद्वितीय वन्य जीवों के साथ खूबसूरत पर्वत श्रृंखलाएं इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान को प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाती है।



 



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