Patthar Seni Mandir: जानिए मां पत्थर सेनी के दरबार के बारे में, जहाँ रानी को आधी रात मिला था संतान का वरदान...

Patthar Seni Mandir: पत्थर सेनी मंदिर उड़ीसा राज्य के बरगढ़ जिले के भटली तहसील में स्थित है। प्राचीन समय में यहाँ घनघोर जंगल था। यहां आधी रात पत्थर सेनी देवी ने प्रकट हो निसंतान रानी को संतान प्राप्ति का वर दिया था।

Update: 2024-04-19 16:05 GMT

Patther seni mandir: पत्थर सेनी मंदिर उड़ीसा राज्य के बरगढ़ जिले के भटली तहसील में स्थित है। प्राचीन समय में यहाँ घनघोर जंगल था। यहां आधी रात पत्थर सेनी देवी ने प्रकट हो निसंतान रानी को संतान प्राप्ति का वर दिया था।

पत्थर सेनी मंदिर बरगढ़

पत्थर सेनी मंदिर उड़ीसा राज्य के बरगढ़ जिले के भटली तहसील में महानदी के तट पर बसा है। पहले यहां पर एक गांव अर्जुंदा था। पर वहा हीराकुंड बांध नहीं बना था। गांव घने जंगलों के बीच बसा था। यहां सोनपुर के राजा और रानी वनगमन करने व शिकार करने आए थे। शिकार खेलते–खेलते राजा– रानी अपने सिपाहियों से बिछड़ गए और घने जंगलों में बिछड़ गए। घने जंगलों में भटकते– भटकते रात हो गई।

रात को राजा रानी एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे। राजा को तो नींद आ गई पर रानी की आंखों से नींद ओझल हो गई थी। तभी रानी ने देखा कि घने जंगलों के बीच पत्थरों के बीच से प्रकट होकर माता पत्थर सेनी ने उन्हें दर्शन दिया माता के दिव्या आभामंडल को देख रानी अभिभूत हो गई। राजा–रानी के विवाह के वर्षों बाद भी उन्हें संतान नहीं हुआ था। रानी ने आशीर्वाद में माता पत्थर सैनी से संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की तब माता उन्हें तथास्तु कह अंतर ध्यान हो गई। सुबह राजा के जागने पर रानी ने राजा को सारा वृत्तांत कह सुनाया। तब राजा ने भी माता के प्रकट होने वाले स्थान पर माता को प्रणाम किया और फिर अपने राज्य वापस लौट गए। माता के आशीर्वाद से उन्हें घने जंगलों में से अपने राज्य का रास्ता भी सुगमता से ज्ञात हो गया। कुछ पश्चात रानी ने पुत्र रत्न को जन्म दिया। तब दोनों ने एकबार फिर जंगल जाकर माता के प्रकट होने वाले स्थान को प्रणाम किया और वहां मंदिर बनवाया।

महानदी के किनारे स्थित होने के चलते महानदी में एक मछुआरा अक्सर मछली पकड़ने आया करता था। उसके परिवार की जीविका का यही एकमात्र साधन था। एक बार मछुआरे का मछली पकड़ने वाला जाल चोरी हो गया। तब मछुआरे के सामने जीव कोपार्जन का संकट उत्पन्न हो गया। उसने माता के मंदिर में जाकर गुहार लगाई। अगले दिन उसका जाल मिल गया। इस तरह से माता की प्रसिद्धि फैलती गई और दूर दूर से भक्त माता के दर्शनों हेतु पहुंचते गए।

महानदी को चित्रोत्पला नदी भी माना जाता है। इसमें गंगा जल का धार भी समाहित होना माना जाता है। इसके जल में स्नान कर शुद्ध हो माता के स्नान कर दर्शन लाभ लेते है।

कैसे पहुंचे

पत्थर सेनी मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 300 किलोमीटर दूर स्थित है। रायगढ़ जिले से 70–75 किलोमीटर दूरी है। जबकि प्रसिद्ध देवी मंदिर चंद्रहासनी से व उड़ीसा के संबलपुर से भी उतनी ही दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से आसानी से सभी जगह से पहुंचा जा सकता है। महानदी के किनारे हीराकुंड डेम के जलभराव क्षेत्र के पास माता का मंदिर है।

मंदिर के बाहर छोटे-छोटे दुकान व खाने-पीने की सामग्री लगी है। मंदिर परिसर में बजरंगबली के अलावा अन्य देवी– देवताओं के भी मंदिर हैं। यहां नौका विहार का भी आनंद लिया जा सकता है।

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