High Court News: स्कूलों की मान्यताओं में गड़बड़ी से हाई कोर्ट नाराज, अब नई याचिकाएं होंगी मौजूदा केस के साथ मर्ज

High Court News: बिलासपुर हाई कोर्ट में RTE के तहत प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन के मुद्दे पर जारी पीआईएल में सुनवाई हो रही है। यह याचिका भिलाई निवासी भगवंत राव ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से दायर की है। इसी याचिका के साथ कांग्रेस नेता विकास तिवारी की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए दायर याचिका को मर्ज कर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पीआईएल की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने रजिस्ट्री को दिशा निर्देश जारी किया है।

Update: 2025-08-06 10:13 GMT

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High Court News: बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल के डिवीजन बेंच में स्कूल शिक्षा से संबंधित दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई चल रही है। मुख्य जनहित याचिका भिलाई निवासी सीवी भगवंत राव की है। इसी याचिका के साथ बेंच ने कांग्रेस नेता विकास तिवारी की याचिका को मर्ज कर दिया है। दोनों याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई चल रही है। सीवी भगवंत राव ने आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन का मुद्दा उठाया है। कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने अपनी याचिका में सीबीएसई के नाम पर प्राइवेट स्कूल मालिकों द्वारा बच्चों व पालकों के साथ की जा रही धोखाधड़ी का मामला सामने लाया है। दोनों गंभीर मुद्दों पर डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है।

सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया, वर्तमान जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे से संबंधित किसी भी मामले को सूचीबद्ध न किया जाए। बेंच ने यह भी कहा कि यदि ऐसा कोई मामला दायर किया जाता है, तो उसे इस याचिका के साथ संलग्न किया जाए। मसलन नई याचिका को दोनों पीआईएल के साथ मर्ज करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच के निर्देश से साफ है कि नई याचिकाओं की सुनवाई भी इन्हीं पीआईएल के साथ होगी।

स्कूल एजुकेशन सिकरेट्री की अनुपस्थिति में ज्वाइंट सिकरेट्री ने पेश किया जवाब-

संयुक्त सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग ने 03.अगस्त 2025 को दायर हलफनामे में कोर्ट का बताया कि सचिव स्कूल शिक्षा विभाग वर्तमान में अपने व्यक्तिगत कारणों से आधिकारिक कर्तव्यों से अवकाश पर हैं, लिहाजा उनकी अनुपस्थिति में वे शपथ पत्र के साथ जानकारी दे रहे हैं। दायर हलफनामा में बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक विद्यालयों के साथ-साथ नर्सरी विद्यालय चलाने वाले विद्यालयों/संस्थाओं को उनके आवेदन पत्र पर ही स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा विधिवत मान्यता प्रदान कर दी गई है। केवल उन्हीं विद्यालयों/संस्थाओं को मान्यता प्राप्त करने से छूट दी गई है जो केवल नर्सरी कक्षाएं चला रहे थे। चूंकि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधान कक्षा 1 से लागू होते हैं, इसलिए स्कूल शिक्षा विभाग से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

कोर्ट को बताया, DPI ने गठित की थी समिति, समिति की रिपोर्ट में यह सब-

07 जनवरी 2013 के परिपत्र का संबंध है, लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा केवल नर्सरी कक्षाएं संचालित करने वाले विद्यालयों के लिए मान्यता प्राप्त करने की आवश्यकता की जांच हेतु एक समिति गठित की गई थी। पांच सदस्यीय समिति ने निःशुल्क बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 के प्रावधानों और विद्यालयों के प्रशासन से संबंधित अन्य प्रासंगिक प्रावधानों की जांच के बाद 28 जुलाई.2025 को लोक शिक्षण संचालनालय, छत्तीसगढ़ के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। पांच सदस्यीय समिति द्वारा प्रस्तुत 28. जुलाई 2025 की रिपोर्ट में सिफ़ारिश के माध्यम से यह सिफ़ारिश की है कि 07 जनवरी 2013 के परिपत्र को प्रतिस्थापित करते हुए एक नया दिशानिर्देश/परिपत्र जारी किया जाना आवश्यक है। समिति का यह मत है कि केवल कक्षा 1 और उससे ऊपर की कक्षाओं वाले विद्यालयों को ही यह प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है।

इन स्कूलों को है मान्यता की जरुरत-

कक्षा 1 और उच्च कक्षाओं के साथ नर्सरी स्कूल चलाने वाले स्कूलों को बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत मान्यता की आवश्यकता है। समिति द्वारा यह भी सिफारिश की गई है कि केवल नर्सरी कक्षाएं चलाने वाले स्कूलों के लिए, नई शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दिशा निर्देशों और राष्ट्रीय प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा नीति, 2013 के अनुसार एक नया अधिनियम दिशा निर्देश जारी किए जाएं। 28 जुलाई 2025 की पांच सदस्यीय समिति की सिफारिश स्कूल शिक्षा विभाग के समक्ष सक्रिय रूप से विचाराधीन है और विभाग जल्द ही इस विषय पर आवश्यक कार्रवाई करेगा।

स्कूल एजुकेशन सिकरेट्री से शपथ पत्र के साथ कोर्ट ने मांगी ये जानकारी-

वर्तमान याचिकाओं में शामिल मुद्दे पर विचार करते हुए सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य रायपुर को निर्देश दिए गए हैं कि यदि वे सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले कार्यालय में कार्यभार ग्रहण करते हैं तो वे अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें कि उन स्कूलों संस्थानों के खिलाफ क्या कार्रवाई प्रस्तावित है जो परिपत्र 05 जनवरी 2013 का उल्लंघन करते हुए केवल नर्सरी कक्षाएं चला रहे हैं। हालांकि परिपत्र 05 जनवरी 2013 के अनुसार मान्यता प्राप्त करना आवश्यक है, लेकिन छात्रों का प्रवेश लेना अभी बाकी है, जिसके कारण छात्रों का करियर दांव पर लग रहा है तथा उनके अभिभावकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है और मान्यता प्राप्त करने के निर्देश दिए जाने के बावजूद भी उन्हें मान्यता नहीं दी गई है। डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ राज्य, रायपुर सुनवाई की अगली तारीख तक कार्यालय में कार्यभार ग्रहण नहीं करते हैं, तो संयुक्त सचिव उपरोक्त मुद्दे पर व्यक्तिगत शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करेंगे। अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 13 अगस्त की तिथि तय कर दी है।

ये हैं याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता, जिन्होंने की पैरवी-

याचिकाकर्ता सीवी. भगवंत राव की ओर से देवर्षि ठाकुर, छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर, प्भारत संघ की ओर से केंद्र सरकार के वकील तुषार धर दीवान, आधा दर्जन पक्षकारों की ओर से वीसी के जरिए वरिष्ठ अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव, वकील मनोज परांजपे, आस्था शुक्ला, विकास तिवारी की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की।

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