High Court News: पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड के आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने खारिज की याचिका

High Court News: बीजापुर के चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड के मामले में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने सड़क निर्माण का ठेका रद्द करने, अमानत राशि जब्त करने और 10 प्रतिशत जुर्माना लगाने के खिलाफ याचिका दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने सीधे हस्तक्षेप से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।

Update: 2025-08-22 12:56 GMT

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High Court News: बिलासपुर। बीजापुर के चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड के आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सड़क निर्माण से जुड़ी करोड़ों का ठेका रद्द किए जाने और सुरक्षा निधि जब्त करने के खिलाफ लगाई गई उसकी याचिका को बिलासपुर हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए इस मामले में किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।

आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से दायर याचिका में 37 लाख रुपये की सुरक्षा निधि जब्त करने और 10 प्रतिशत जुर्माना लगाए जाने को अनुचित ठहराया था। उसने कोर्ट से मांग की थी कि 2.58 करोड़ रुपये के अधूरे सड़क निर्माण कार्य को पूरा करने का अवसर दिया जाए। याचिका में कहा गया कि ठेकेदार को मनमाने ढंग से ठेका रद्द कर भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है। मामला नेलसनार-फोडोली-मिरतुर-गंगलूर रोड निर्माण कार्य से संबंधित है। इस विवाद को लेकर ठेकेदार ने कोर्ट से प्रत्यक्ष राहत की गुहार लगाई थी, लेकिन डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा है और इसका निपटारा अनुबंध की धारा 28 के अनुसार आब्रिट्रेशन के जरिए किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के विवादों में हाई कोर्ट सीधे दखल नहीं देगा। इसके साथ ही याचिका खारिज कर दी।

हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को यह छूट दी है कि वह अनुबंध की शर्तों के अनुरूप उपलब्ध उपायों का सहारा ले सकता है या फिर अन्य वैधानिक कानूनी रास्ते अपना सकता है। कोर्ट के इस आदेश के बाद अब ठेकेदार को अपने दावे और नुकसान की भरपाई के लिए मध्यस्थता या अन्य कानूनी विकल्प तलाशने होंगे। गौरतलब है कि सुरेश चंद्राकर का नाम पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड मामले में आरोपी के रूप में भी सामने आ चुका है। इस वजह से उसका मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। अब हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद यह देखना होगा कि ठेकेदार आगे किस कानूनी रास्ते का सहारा लेता है।


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