CM Vishnudeo Sai: मुख्यमंत्री विष्णुदेव के नेतृत्व में सशक्त हो रहा जनजातीय समाज, छत्तीसगढ़ में जनजातीय समाज के जीवन स्तर को उपर उठाने के लिए देशव्यापी आदि कर्मयोगी अभियान
CM Vishnudeo Sai: यह अभियान देश भर के 550 से ज्यादा जिलों और 1 लाख से अधिक आदिवासी बहुल गांवों में बदलाव के लिए काम करेगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अभियान को सेवा पर्व का रूप दिया है। उनका कहना है कि यह केवल योजनाओं की जानकारी देने का प्रयास नहीं, बल्कि समाज और शासन को जोड़ने वाला पुल है।
CM Vishnudeo Sai: रायपुर। देश की आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब किसी सरकार ने जनजातीय समाज के जीवन स्तर को उपर उठाने के लिए देशव्यापी अभियान छेड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनजातीय समाज के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार जैसे मूलभुत सुविधाओं से जोड़ने और इनका लाभ दिलाने के लिए आदि कर्मयोगी अभियान की शुरूआत की है। यह अभियान देशभर के 30 राज्यों में संचालित किया जा रहा है।
यह अभियान देश भर के 550 से ज्यादा जिलों और 1 लाख से अधिक आदिवासी बहुल गांवों में बदलाव के लिए काम करेगी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अभियान को सेवा पर्व का रूप दिया है। उनका कहना है कि यह केवल योजनाओं की जानकारी देने का प्रयास नहीं, बल्कि समाज और शासन को जोड़ने वाला पुल है।
छत्तीसगढ़ में इस अभियान के लिए वृहद स्तर पर आदिकर्म योगियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये कर्मयोगी जनजातीय परिवारों से घर-घर संपर्क कर उनकी आवश्यकताओं और जरूरतों को समझेंगे तथा केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करेंगे, राज्य और जिला स्तर पर इसकी मॉनिटरिंग की जाएगी। राज्य सरकार के सभी विभागों के अधिकारी इस कार्य में संवेदनशीलता के साथ सीधे जुड़ेंगे।
विकसित भारत की परिकल्पना
जब भारत 2047 में अपनी आज़ादी के 100 वर्ष पूरा करेगा। उस समय तक विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए यह जरूरी है कि समाज का कोई भी वर्ग पीछे न छूटे। आदिवासी समाज को आगे बढ़ाए बिना यह सपना अधूरा रहेगा। आदि कर्मयोगी अभियान इस अंतर को भरने के लिए एक ठोस कदम है। यह अभियान शासन और समाज के बीच की दूरी को कम करेगा, पारदर्शिता लाएगा और योजनाओं को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाएगा। आदि कर्मयोगी अभियान के पीछे एक गहरी सामाजिक सोच है। जब कोई स्थानीय युवा, महिला या स्वयंसेवक अपने ही गाँव में जाकर योजनाओं की जानकारी देता है, तो लोग उस पर भरोसा करते हैं और यह विश्वास ही बदलाव की असली ताकत है। अभियान का असर शिक्षा और स्वास्थ्य से लेकर आजीविका तक हर क्षेत्र में दिखेगा। जब एक वालंटियर किसी परिवार को यह बताता है कि उनकी बेटी को छात्रवृत्ति मिल सकती है, या बुजुर्ग को पेंशन का हक़ है, तो यह केवल सूचना नहीं होती, बल्कि उस परिवार की ज़िंदगी बदलने वाला अवसर होता है।
विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की क्रांतिकारी पहल
आदिकर्मयोगी अभियान का महत्व राष्ट्रीय स्तर पर इसलिए भी है क्योंकि भारत की जनजातीय आबादी लगभग 10 करोड़ से अधिक है। इतने बड़े समुदाय को मुख्यधारा में लाए बिना 2047 तक विकसित भारत का सपना अधूरा रहेगा। यह अभियान प्रधानमंत्री की उस सोच से जुड़ा है, जिसमें हर क्षेत्र, हर समाज और हर नागरिक को विकसित भारत” की यात्रा में समान अवसर देना है। भारत का विकास केवल शहरों और औद्योगिक क्षेत्रों तक सीमित नहीं रह सकता। एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र वही कहलाएगा, जहाँ समाज के हर तबके को समान अवसर मिले और उसकी संस्कृति को उचित सम्मान दिया जाए। इसी सोच को मूर्त रूप ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के जरिए दिया जा रहा है। यह वस्तुतः जनजातीय समाज को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है।
छत्तीसगढ़ में तैयार होंगे एक लाख 33 हजार से ज्यादा वालंटियर्स
छत्तीसगढ़ देश का वह राज्य है जहाँ सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या निवास करती है। इसीलिए इस अभियान का यहां विशेष महत्व है। आदिवासी समाज की असली चुनौती यही रही है कि अनेक योजनाएँ होते हुए भी उनकी जानकारी और लाभ ज़रूरतमंदों तक समय पर नहीं पहुँच पाते। ऐसे में लाखों कर्मयोगी स्वयंसेवक योजना और समाज के बीच सेतु बन सकेंगे। यह अभियान राज्य के 28 जिलों और 138 विकासखंडों के 6 हजार 650 गांवों में 1 लाख 33 हजार से अधिक वालंटियर्स तैयार करने का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में यह अभियान 17 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक पूरे राज्य में ग्राम पंचायत स्तर पर सेवा पखवाड़ा के रूप में मनाया जाएगा।
आदिम जाति कल्याण मंत्री राम विचार नेताम में अधिकारियों को पंचायतों में आदि सेवा केंद्र स्थापित करने और जनजातीय परिवारों को पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, छात्रवृत्ति, रोजगार, कौशल विकास जैसी सुविधाओं के लिए मार्गदर्शन और योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि इस अभियान को सेवा पर्व के रूप में मनाया जाए और जनजातीय योजनाओं को घर-घर तक पहुँचाने का ठोस प्रयास किया जाए।
आदि कर्मयोगी शिविर में मेघनाथ को मिली राहत, 10 माह के पेंशन का हुआ भुगतान
आदि कर्मयोगी अभियान के तहत जिले के जनजातीय बाहुल्य गांव में आदि सेवा पर्व के दौरान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामवासियों की मांगों एवं समस्याओं को लेकर आवेदन प्राप्त हुये और कई आवेदनों का त्वरित निराकरण भी किया गया। इसी क्रम में ग्राम पंचायत बड़ेकनेरा में आयोजित शिविर में कलेक्टर नुपूर राशि के समक्ष मेघनाथ बघेल ने पेंशन की राशि खाते में जमा नहीं होने की जानकारी दी थी। कलेक्टर ने समाज कल्याण विभाग को मामले की जांच कर राशि दिलाने हेतु निर्देशित किया था। जांच करने पर पाया गया कि पेंशन की राशि जिला सहकारी बैंक में जमा हो रहा था, जिसकी उन्हें जानकारी नहीं थी। समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के द्वारा हितग्राही मेघनाथ को 10 महीने की पेंशन की राशि का भुगतान कराया गया।
आदि कर्मयोगी अभियान‘‘ से जिले में हो रही आदिवासी सशक्तिकरण की नई गाथा
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला की माटी अपने भीतर परिश्रम, परंपरा और प्रकृति के प्रति गहरी आस्था को संजोए हुए है। यहाँ की धरती ने हमेशा समाज को यह सिखाया है कि विकास केवल योजनाओं से नहीं, बल्कि समाज की चेतना और सहभागिता से संभव होता है। यहाँ के जनजातीय समाज ने सदियों से इस धरती को अपनी मेहनत, संस्कृति और आत्मगौरव से जीवंत बनाए रखा है। इन्हीं जनजातीय समाज को शासन की योजनाओं से जोड़ने, आत्मनिर्भरता की राह पर ले जाने और विकास की मुख्यधारा में सहभागी बनाने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल की गई। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा “आदि कर्मयोगी अभियान” की शुरुआत किया गया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और “जनजातीय गौरव वर्ष” की प्रेरणा से प्रारंभ हुआ यह अभियान शासन की उस अवधारणा को साकार करता है जिसमें “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” को धरातल पर दिखाने के लिए अभियान को बनाया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है जनजातीय समाज में उत्तरदायी नागरिक का निर्माण करना, शासन और सेवा के बीच सीधे संवाद को सशक्त बनाना, और स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने की क्षमता व आत्मनिर्भरता विकसित करना मुल मकशद है ।
भारत सरकार ने इस अभियान के अंतर्गत देशभर में हजारों आदिवासी बसाहटों में “आदि सेवा केन्द्र” स्थापित करने की योजना बनाई है, जहाँ स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित “आदि साथी” और “आदि सहयोगी” समुदायों को शासन की योजनाओं से जोड़ रहे हैं। ये केन्द्र ग्राम स्तर पर सूचना, सेवाओं और सशक्तिकरण का संगम बनकर उभर रहा हैं। छत्तीसगढ़ का मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला “आदि कर्मयोगी अभियान” के क्रियान्वयन से एक मॉडल जिला बन गया है। यहाँ जिला प्रशासन ने न केवल इस अभियान को गंभीरता से लागू किया, बल्कि इसे स्थानीय समाज की संस्कृति और जरूरतों से जोड़कर एक जीवंत जनभागीदारी का स्वरूप दे दिया। जिला प्रशासन, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत और जनजातीय समुदाय ने मिलकर “सेवा से स्वावलंबन” की दिशा में ठोस कार्य किया है। इस जिले की संरचना और आंकड़े बताते हैं कि किस व्यापक दृष्टिकोण से यह अभियान यहाँ लागू हुआ है। विकासखंड मनेन्द्रगढ़ में कुल 54 ग्राम हैं जिनमें 8,421 परिवार निवास करते हैं और यहॉ की कुल जनसंख्या 37,093 है। वहीं विकासखंड खड़गवां में 42 ग्राम है, जिसमें 9,153 परिवार निवास करते हैं और यहां की कुल जनसंख्या 42,332 है। वहीं भरतपुर विकासखंड में 55 ग्रामों में 8,981 परिवार निवास करते है, और कुल जनसंख्या 34,453 निवासरत है। इन तीनों विकासखंडों का कुल योग 151 ग्राम में 26,555 परिवार निवास करते है, वहीं 1,13,878 की जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। जिसे “आदि कर्मयोगी अभियान” ने विकास के केंद्र में रखा है।
आदि सेवा केन्द्र से शासन की सभी योजनाएं सीधे गाँव तक पहुँच रही
एमसीबी जिले में इस अभियान की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है कि हर चिन्हांकित बसाहट में “आदि सेवा केन्द्र” की स्थापना की गई है जिले की 151 ग्राम बसाहटों में 151 केन्द्र स्थापित और संचालित किए जा चुके हैं। इन केन्द्रों के माध्यम से शासन की सभी योजनाएँ सीधे गाँव तक पहुँच रही हैं। प्रत्येक केन्द्र में स्थानीय समुदाय के ही “आदि साथियों” द्वारा संचालित किया जा रहा है, जो सरकार और समाज के बीच जनभागीदारी निभा रहे हैं। इन केन्द्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका, स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, डिजिटल साक्षरता और सामाजिक कल्याण से जुड़ी सेवाएँ उपलब्ध हैं। नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से समुदाय के लोग न केवल योजनाओं की जानकारी पा रहे हैं, बल्कि उनमें सहभागिता भी निभा रहे हैं। जिले में कुल 2686 “आदि साथी” और 473 “आदि सहयोगी” नियुक्त किए गए हैं, जो अपने ग्रामों में विकास की धारा प्रवाहित कर रहे हैं। इनकी भूमिका सिर्फ योजनाओं को पहुँचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि ये ग्राम स्तर पर नेतृत्व, प्रबंधन और संवाद की नयी संस्कृति विकसित कर रहे हैं। यह पहला अवसर है जब जनजातीय समाज के युवाओं को शासन व्यवस्था के साथ नेतृत्व करने की भूमिका में जोड़ा गया है।
Village Action Plan से तैयार होगा विकास का जमीनी खाका
“आदि कर्मयोगी अभियान” की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है कि प्रत्येक चिन्हित ग्राम के लिए Village Action Plan तैयार करना है। यह VAP प्रत्येक ग्राम की आवश्यकताओं, समस्याओं और संभावनाओं के आधार पर तैयार किया गया है। एमसीबी जिले के सभी 151 चिन्हित ग्रामों के VAP तैयार किए जा चुके हैं, और उन्हें पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है। यह प्रक्रिया प्रशासनिक पारदर्शिता और जन सहभागिता का अद्भुत उदाहरण है। इन VAP में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, स्वच्छता, कृषि, महिला सशक्तिकरण, आजीविका, पोषण, वन उत्पाद मूल्यवर्धन, पषुपालन, पर्यटन और डिजिटल साक्षरता जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। इन योजनाओं के माध्यम से प्रत्येक ग्राम को आत्मनिर्भर, सशक्त और स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामसभा और पंचायतों की सहभागिता के साथ यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी ग्राम का विकास बाहरी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि स्थानीय जरूरतों और संस्कृति को ध्यान में रखकर किया जाए। यही कारण है कि यह अभियान “नीति से नीति तक नहीं, नीति से नीति निर्माण तक” की दिशा में बढ़ता हुआ दिखता है।
प्रशासनिक प्रतिबद्धता और विभागीय समन्वय से गढ़ी जायेगी विकास की नई परिभाषा
एमसीबी जिले में इस अभियान का प्रशासनिक संचालन अत्यंत संगठित ढंग से किया जा रहा है। विभिन्न विभागों के समन्वित प्रयासों से यह सुनिश्चित किया गया है कि सभी विभाग अपने क्षेत्र की योजनाओं के अनुरूप संचालित किया जायेगा। सभी ग्रामों से प्राप्त VAP का अध्ययन कर विभागवार एक जिला स्तरीय कार्य योजना तैयार की जा रही है, इसमें प्रत्येक विभाग का दायित्व स्पष्ट किया गया है जिसमें शिक्षा विभाग को विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारनी है, स्वास्थ्य विभाग को दूरस्थ क्षेत्रों तक सेवाएँ पहुँचानी हैं, महिला एवं बाल विकास विभाग को पोषण मिशन को मजबूत बनाना है, कृषि विभाग को आत्मनिर्भर खेती मॉडल विकसित करना है, जबकि पंचायत विभाग को सामुदायिक संस्थाओं के प्रशिक्षण और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करना है।
‘‘आदि कर्मयोगी अभियान‘‘ जनजातीय गौरव और नवाचार का संगम
“आदि कर्मयोगी अभियान” ने यह सिद्ध किया है कि जनजातीय समाज को केवल योजनाओं का लाभार्थी बनाकर नहीं, बल्कि योजनाओं का निर्माता बनाकर सशक्त किया जा सकता है। यह अभियान सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की आधारशिला रख रहा है। इस अभियान ने शासन के पारंपरिक ढांचे को भी चुनौती दी है। पहले जहाँ योजनाएं ऊपर से नीचे आती थीं, अब योजनाएँ नीचे से ऊपर बन रही हैं। हर “आदि साथी” एक प्रेरक है, हर “आदि सेवा केन्द्र” एक परिवर्तन का स्थल है, और हर ग्राम अब एक जीवंत इकाई बन चुका है जो स्वयं निर्णय ले रहा है। मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिलों में यह अभियान जनजातीय गौरव को पुनर्स्थापित कर रहा है। गाँवों में अब युवा डिजिटल साक्षर हो रहे हैं, महिलाएँ स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका के नए अवसर खोज रही हैं, बच्चे शिक्षा की मुख्यधारा में लौट रहे हैं और समुदाय अपने पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखते हुए आधुनिकता की ओर अग्रसर हो रहे हैं।
भविष्य में ग्राम से राष्ट्र तक होगा आदि कर्मयोगी का विस्तार
“आदि कर्मयोगी अभियान” एक दीर्घकालीन दृष्टि का प्रतीक है। यह केवल वर्तमान की योजनाओं को लागू करने तक सीमित नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का माध्यम भी है। जब देश “विकसित भारत 2047” की ओर बढ़ रहा है, यह अभियान उस भारत की नींव तैयार कर रहा है जो आत्मनिर्भर, उत्तरदायी और समावेशी होगा। एमसीबी जिला “आदि कर्मयोगी अभियान” का प्रतीक बन चुका है। यहाँ की बसाहटों में स्थापित “आदि सेवा केन्द्र” और तैयार Village Action Plan ने देश के अन्य जनजातीय जिलों के लिए आदर्श बन चुके हैं। आने वाले समय में यह मॉडल पूरे भारत में जनजातीय विकास का मानक बनेगा।