Chhattisgarh: दुनियाभर में बिखर रही ’जशप्योर’ ब्रांड की खुशबू

CM Vishnudeo: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों से देश-विदेश के विभिन्न जगहों में जशप्योर ब्रांड के उत्पादों की बढ़ी डिमांड

Update: 2024-10-15 14:30 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ जिसे धान के कटोरे के नाम से जाना जाता है, वही छत्तीसगढ़ अब जशपुर ब्रांड के नाम से पहचान बना रहा है। यहां का ’जशपुर’ ब्रांड अब केवल स्थानीय बाजार तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत में अपनी जगह बना चुका है। जशपुर ब्रांड के अंतर्गत कई प्रकार के प्रोडक्ट उपलब्ध हैं। जिनमें सबसे ज्यादा मांग वाले प्रोडक्ट ढेकी, कुटा, जवा फूल चावल है, जो अपनी गुणवत्ता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। महिला समूह की ओर से इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। पारंपरिक विधियों से तैयार किए गए चावल की सुगंध और स्वाद अनूठा है।

वहीं महुआ मिलेट लड्डू जो महुआ और मिलेट से बने यह लड्डू पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं। यह लड्डू विशेष रूप से बच्चों और स्वास्थ्य प्रेमियों के बीच लोकप्रिय हैं। ऑनलाइन बिक्री के मामले में भी जशपुर ब्रांड के प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ती जा रही है। जशप्योर के तहत बने ’जशपुर ब्रांड’ का उद्देश्य केवल व्यापार नहीं है, बल्कि यह आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में भी कार्यरत है। इस ब्रांड के माध्यम से जिले की महिलाओं को रोजगार का अवसर मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली है।

इसी तरह मिलेट आधारित पास्ता, यह पास्ता पारंपरिक गेहूं के पास्ता का एक स्वस्थ विकल्प है, जो स्वास्थ्य के प्रति सजग लोगों के लिए एक उत्तम विकल्प है। इनके अलावा कोदो, कुटकी, रागी, टाऊ और महुआ से बने कई प्रोडक्ट ने पूरे भारत में अपनी पहचान बनाई है। जशप्योर ब्रांड के उत्पादों की मांग अब केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है। जम्मू और कश्मीर से लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तक, जशप्योर के उत्पादों को व्यापक सराहना मिल रही है।

उत्पादों की गुणवत्ता और स्वास्थ्यवर्धक गुण इसका मुख्य कारण है। जशप्योर के तहत ‘जशपुर ब्रांड’ का हर उत्पाद इन महिलाओं की मेहनत और समर्पण का प्रतीक है। जशपुर ब्रांड के उत्पाद अब रेंचनतम.बवउ पर उपलब्ध हैं, जहां से इन्हें आसानी से खरीदा जा सकता है। इसके साथ ही, देशभर में विभिन्न ऑफलाइन स्टोर्स पर भी ये उत्पाद उपलब्ध हैं, जो इस ब्रांड की व्यापक पहुंच का प्रमाण हैं।

मुख्यमंत्री ने गांव को दिलाई अलग पहचान

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का नाता जशपुर जिले की बगिया गांव से है। इस गांव की महिलाएं और स्व सहायता समूह के जरिए जिन उत्पादों का निर्माण किया जाता है, उन्हें अब देश में एक अलग पहचान मिल रही है। इन्हीं उत्पादों को जशपुर ब्रांड के नाम से बाजार में बेचा जा रहा है। बगिया वही गांव है, जहां मुख्यमंत्री साय का बचपन बीता और यहीं से सरपंच का चुनाव जीतकर उन्होंने अपने सियासी सफर की शुरुआत की। वे प्रदेश के सबसे बड़े राजनीतिक पद पर पहुंच गए हैं और प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में अपने गांव को विश्व में एक अलग पहचान दिला रहे हैं। मुख्यमंत्री साय ने पिछले दिनों अपने गृह ग्राम बगिया में स्व-समूह की महिलाओं से मुलाकात कर उनकी गतिविधियों की जानकारी ली और महिलाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की तारीफ की थी। मुख्यमंत्री का कहना है कि स्व-सहायता समूहों में महिलाओं को अधिक से अधिक जोड़ें ताकि महिलाओं को रोजगार मिल सके और वे आर्थिक रूप से स्वाबलंबी हो सकें।

’जशप्योर’ ब्रांड की मुंबई में बढ़ी डिमांड

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जशपुर के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सार्थक प्रयास कर रहे हैं। स्थानीय आदिवासी स्व-सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा तैयार उत्पादों को मुम्बई में भी पसंद किया जा रहा है। प्रदर्शनी का अवलोकन करके बड़ी मात्रा में खरीदी भी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर जशपुर कलेक्टर डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जशप्योर ब्रांड का मुंबई के विभिन्न स्थानों पर स्टॉल लगाई गई है। जहॉ जशपुर जिले के स्थानीय कच्चे माल से बने उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा है।

जशपुर की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार किए गए उत्पाद अपनी शुद्धता और स्वास्थ्य लाभ के कारण उच्च मांग में हैं, क्योंकि इनमें कोई रसायन नहीं होते हैं, जिससे वे बाजार के अन्य उत्पादों की तुलना में स्वस्थ विकल्प बन जाती हैं। इन स्टॉल गतिविधियों को महाराष्ट्र के जवाहर जिले के स्थानीय आदिवासी किसानों द्वारा निष्पादित किया जाता है। जिला प्रशासन की इस पहल से जशपुर जिले के आदिवासियों के साथ-साथ जवाहर जिले के आदिवासियों को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।

लोगों की पसंद ’महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के उत्पाद

खाद्य प्रसंस्करण सलाहकार एवं युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन बताते हैं कि महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के उत्पाद, जैसे महुआ सिरप (शहद का महुआ आधारित विकल्प), महुआ आधारित चीनी मुक्त च्यवनप्राश विकल्प फॉरेस्टगोल्ड वन्यप्राश और बाजरा पास्ता के नियमित ग्राहक खरीदी कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त छिन्द घास के हाथ से बने टोकरियॉ त्यौहारी मौसम के दौरान मांग बढ़ी हुई हैं। जशप्योर ब्रांड का स्टॉल डीसीबी बैंक मुख्यालय, मुंबई कैफे लीप लॉजिस्टिक्स, कांदिवली पश्चिम, गेब्स कैफेटेरिया, साकी नाका, अंधेरी वेस्ट, आदित्य बिड़ला अहुरा सेंटर वेस्ट, आईआईटी-मुंबई, पवई, सेंट्रल सबर्ब, गोरेगांव वेस्ट, वीवर्क-एक्सप्रेस टावर्स, नरीमन पॉइंट, दक्षिण, आनंद मेला, विक्रोली, सेंट्रल सबन, पवई, केंद्र, लोअर परेल, मुंबई, लीप लॉजिस्टिक्स, कांदिवली मुंबई, गेब्स-अंधेरी, साकी नाका, वीवर्क-स्पेक्ट्रम टावर्स, वेस्ट सबअर्ब मुंबई, वीवर्क-जेनिया बिल्डिंग ठाणे मुंबई सहित अन्य जगहों में लगाए गए हैं।

आदिवासियों को स्थायी रोजगार

स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और जशपुर और जवाहर जिले के दोनों के आदिवासियों को स्थायी रोजगार प्रदान करने में जिला प्रशासन के प्रयास सराहनीय हैं। यह पहल न केवल आदिवासी समुदायों को सशक्त बना रही है बल्कि इन अद्वितीय, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के माध्यम से उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को भी बढ़ावा दे रही है। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि समूहों द्वारा महुआ, कोदो, चावल, हर्रा, टाऊ कटहल, इमली चाय, माउथ फ्रेशनर आदि बनाने का काम किया जा रहा है।

वहीं उनके समूह द्वारा महुआ से लड्डू बनाया जा रहा है। साथ ही कई महिलाएं खुद ही आनलाइन उन उत्पादों को बेचने का काम करती हैं, जिससे उनकी कमाई होती है। स्व-सहायता समूहों के उत्पादों को मार्केट उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन की पहल से जशपुर ब्रांड के नाम से उत्पादों को बेचा जा रहा है। इसके लिए एक अलग से वेबसाइट भी बनाई गई है, ताकि इन उत्पादों की बिक्री के लिए आसानी से मार्केट उपलब्ध हो सके और लोगों तक जल्द से जल्द और आसानी से इन उत्पादों की जानकारी पहुंच सके।

हरी सब्जी, फलों की खेती में भी नंबर वन

जशपुर में अधिकांश आबादी का कृषि मुख्य आधार है। जिला की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से वर्षा कृषि, बागवानी और पशुपालन पर निर्भर है। यहां चावल की कई किस्में सुगंधित चावल, दालें, मक्का, रामिल और गेहूं सहित। पिछले दो दशकों में बागवानी ने गति प्राप्त की है और यहां आम, लिची, नाशपाती, काजू और स्ट्रॉबेरी की खेती भी हो रही है। जशपुर जिला तेजी से राज्य का सब्जी केंद्र बन रहा है। यह अन्य हरी सब्जियों के साथ बड़ी मात्रा में टमाटर और मिर्च का उत्पादन करता है।

जशपुर के भौगोलिक क्षेत्र में लगभग 42þ वन कवर है। वानिकी गतिविधियों और वन उत्पादन संग्रह इसकी पारंपरिक आर्थिक गतिविधि रही है। फिर भी, कई वन उत्पादन हैं जो स्थानीय आबादी के लिए अच्छी बाजार क्षमता प्रदान करते हैं। तेंदु पट्टा, चिरौन्जी, शतावार, गम, साल, हारा, लाख आदि यहां के प्रमुख वन उत्पाद हैं। जशपुर नगर जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है और आसपास के जिलों में इसी तरह की गतिविधियों की तुलना में इसे औद्योगिक क्षेत्र में काफी हद तक नहीं बनाया गया है।

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