CG High Court News: शहर के बीचों-बीच कृषि जमीन का हो गया खेला, महुआ होटल की जमीन को टुकड़ों में बेचने का मामला पहुंचा हाई कोर्ट

CG High Court News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में भू माफियाओं की दखल और रसूख का आप अंदाजा नहीं लगा सकते। शहर के बीचो-बीच किसी जमाने में कृषि जमीन को बिना डायवर्सन कराए पहले आलीशान होटल बना लिया।

Update: 2024-11-26 05:00 GMT

CG High Court News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में भू माफियाओं की दखल और रसूख का आप अंदाजा नहीं लगा सकते। शहर के बीचो-बीच किसी जमाने में कृषि जमीन को बिना डायवर्सन कराए पहले आलीशान होटल बना लिया। होटल बनाते वक्त नाले की जमीन पर भी कब्जा कर लिया। होटल को ढहाने के बाद जमीन को टुकड़ों में बांटकर इसे बेच दिया है। अपनी तरह के अनोखे फर्जीवाड़े का मामला जनहित याचिका के रूप में हाई कोर्ट पहुंच गया है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर व नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी जवाब-तलब किया है। दूसरे दिन 28 नवंबर को दोनों आला अफसरों को कोर्ट के सामने उपस्थित होकर जवाब पेश करना होगा।

बिलासपुर शहर के पुराने बस स्टैंड के पास एक साल पहले तक शहर के पुराने होटल महुआ होटल हुआ करता था। इसके निर्माण में जिस तरह भूमि स्वामियों ने फर्जीवाड़ा किया था अब वह परत-दर-परत खुलने लगा है। जब जमीन पर होटल बना हुआ था पहले वह कृषि भूमि के नाम से राजस्व दस्तावेजों में दर्ज थी। होटल बनाते वक्त लैंड यूज नहीं बदला गया। ना ही जिम्मेदार विभाग व अफसरों से अनुमति ही ली गई। एक और बड़ी गड़बड़ी ये कि नाले की जमीन को पाटकर होटल खड़ा किया गया था। होटल को ढहाकर इसकी जमीन को ऊंची कीमत की लालच में भूमि स्वामी ने टुकड़ों में बेच दी है। सिंधी कालोनी निवासी शंकर लाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगए़ हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर होटल महुआ के मालिकों व भूमि स्वामी द्वारा किए गए फर्जीवाड़े का दस्तावेजों के साथ खुलासा किया है।

दस्तावेजों के साथ लगाया आरोप

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि पुराना बस स्टैंड के पास कृषि भूमि पर बिना डायवर्सन होटल महुआ का निर्माण किया गया था। होटल को ढहाने के बाद जमीन को टुकड़ों में बांटकर 56 करोड़ में बेच दिया है। पीआईएल में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि यह सब करने से पहले होटल संचालक ने जिम्मेदार विभाग व अफसरों ने अनुमति नहीं ली है। होटल संचालक ने होटल बनाते वक्त जिस निस्तारी नाले पर कब्जा किया था उसे भी अपनी जमीन के साथ मिलाकर नाले की जमीन को भी बेच दिया है।

हाई कोर्ट की नाराजगी आई सामने

जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। पीआईएल में लगाए गए आरोप को पढ़कर चीफ जस्टिस की नाराजगी भी सामने आई। चीफ जस्टिस ने बिलासपुर कलेक्टर व नगर निगम बिलासपुर के कमिश्नर को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ इस पूरे मामले का जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने पीआईएल में राज्य शासन के अलावा बिलासपुर नगर निगम, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग,तहसीलदार बिलासपुर व भूमि स्वामी प्रदीप बजाज सहित 15 अफसरों को पक्षकार बनाया है।

नाले की जमीन को मुक्त करने की मांग

पीआईएल में याचिकाकर्ता ने निस्तारी नाले की जमीन को मुक्त करने की मांग हाई कोर्ट से की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि निस्तारी नाले की जमीन पर कब्जा करने के कारण बारिश के दिनों में जल निकासी लगातार प्रभावित होती है। पुराना बस स्टैंड के अलावा निराला नगर, श्रीकांत वर्मा मार्ग,हंसा विहार कालोनी सहित आसपास के कालोनियों व प्रमुख सड़कों पर जल जमाव की स्थिति बनी रहती है।


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