CG: चीफ जस्टिस ने ऐसा क्यों कहा-बलात्कार केवल शारीरिक हमला नहीं,पीड़िता के पूरे व्यक्तित्व को कर देता है.....
CG: 5 साल की बच्ची के साथ रेप के आरोपी को अब भुगतनी पड़ेगी 20 साल की सजा रेप की इस घटना को लेकर हाई कोर्ट की नाराजगी सामने आई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने दो अलग-अलग धाराओं में दुष्कर्म के आरोपी को 20 व 10 साल की सजा सुनाई है। हाई कोर्ट ने दोनों सजाओं को साथ-साथ चलाने का निर्देश दिया है। बलात्कार के आरोपी को 20 साल की सजा भुगतनी पड़ेगी। खास बात ये कि डिवीजन बेंच ने पाक्सो कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
बिलासपुर। मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने अपने फैसले में कड़ी टिप्प्णी की है। बलात्कार केवल शारीरिक हमला नहीं है। यह अक्सर पीड़िता के पूरे व्यक्तित्व को नष्ट कर देता है। जिसे जीवन भर इस कड़वी सच्चाई को झेलना पड़ता है। फैसले में किए गए कड़ी टिप्पणी के साथ ही डिवीजन बेंच ने बलात्कार के आरोपी को दो अलग-अलग धाराओं में 20 व 10 साल की सजा सुनाई है। दोनों सजाओं को साथ-साथ चलाने का निर्देश दिया है।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में अपराध की गंभीरता और पीड़िता को हुए मानसिक नुकसान पर ज्यादा फोकस किया है। डिवीजन बेंच ने साफ कहा है कि यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़िता, खासकर नाबालिग पीड़िता की गवाही को तव्वजो दिया जाना चाहिए। खासकर तब जब घटना की पुष्टि ना हो रहा है। दुष्कर्म पीड़िता की मानसिक और शारीरिक पीड़ा को हमें समझना होगा।
क्या है मामला
22 नवंबर, 2018 को पांच साल की बच्ची राजधानी रायपुर स्थित एक दुकान में चाकलेट खरीदने गई थी। दुकान के मालिक ने उसे मिठाई देने के बहाने अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना के बाद पीड़िता की मां ने अपनी बेटी की असामान्य स्थिति देखी सा ही उसे परेशानी में भी पाया। मां के पूछने पर बेटी ने रोते हुए आपबीती बताई। बेटी की आपबीती सुनने के बाद मां बेटी को लेकर टिकरापारा पुलिस थाना पहुंची व बेटी के साथ घटित घटना की जानकारी देते हुए शिकायत दर्ज कराई।
मां की लिखित शिकायत के आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज किया और आरोपी दुकान मालिक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
Forensic जांच में सामने आया मामला
मेडिकल जांच के अलावा फोरेंसिक जांच की गई। पीड़िता की सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान दर्ज किया गया। जांच पड़ताल और रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 एबी और 376(2) (एन) के तहत मुकदमा चलाया गया।
Trial Court ने पीड़िता की गवाही, Medicle और Forensic report सहित प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया था। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई बाद पाक्सो कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए आरोपी को धारा 376 AB के तहत 20 साल के कठोर कारावास और धारा 376(2)(N) के तहत अतिरिक्त 10 साल की सजा सुनाई। डिवीजन बेंच ने दोनों सजाओं का साथ-साथ चलाने का निर्देश दिया है।
सीजे ने अपने फैसले में की टिप्पणी
Chief Justice रमेश सिन्हा ने अपने फैसले में लिखा है कि “बलात्कार केवल शारीरिक हमला नहीं है; यह अक्सर पीड़िता के पूरे व्यक्तित्व को नष्ट कर देता है। एक बलात्कारी असहाय महिला की आत्मा को अपमानित करता है। यह ऐसी पीड़ा है जो जीवन भर उसके साथ चलेगी। यह ऐसी पीड़ा है जो उसे समय-समय पर भीतर ही भीतर विचलित भी करती रहेगी। भावनात्मक रूप से भी असहज करती रहेगी। ऐसी पीड़ा देने वाली दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए। कानून में दिए गए प्रावधान के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। ऐसे अपराध अक्ष्म्य है।