CG: सभी स्कूलों में मनाया जाएगा शिक्षा सप्ताह, भारत सरकार ने जारी की गाइडलाइन...पढ़ें

CG: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत चार वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश जरी किया...CG News, CG

Update: 2024-07-14 07:56 GMT

रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत चार वर्ष पूरे होने पर भारत सरकार ने सभी राज्यों को स्कूलों में शिक्षा सप्ताह का आयोजन करने के दिशा निर्देश दिये हैं। स्कूलों में ये आयोजन 22 जुलाई से 28 जुलाई तक किया जाएगा। नीचे देखें दिशा-निर्देश...




 “शिक्षा सप्ताह” के आयोजन हेतु दिशानिर्देश

आप सभी को विदित ही है कि दिनांक २९ जुलाई, २०२० को हमारे राष्ट्र ने केन्द्रीय मंत्रीमंडल से मंजूरी लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० को लागू किया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के चार वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक सप्ताह का “शिक्षा सप्ताह” कार्यक्रम (22-28 जुलाई 2024) आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. शिक्षा सप्ताह का आयोजन निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाना प्रस्तावित किया गया है:

i. शिक्षा क्षेत्र में शिक्षार्थियों, शिक्षकों, नीति निर्माताओं और हितधारकों के बीच सहयोग और नवाचार की भावना को बढ़ावा देना

ii. सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, चुनौतियों पर चर्चा करने और जमीनी स्तर पर NEP 2020 में उल्लिखित दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में आगे का रास्ता तय करने के लिए एक मंच प्रदान करना

शिक्षा सप्ताह के आयोजन हेतु दिवसवार फोकस क्षेत्र इस प्रकार से तय किए गए हैं:

दिन दिनांक वार कार्य के फोकस क्षेत्र

पहला २२.०७.24 सोमवार TLM दिवस- शिक्षकों को स्थानीय सामग्री के प्रदर्शन एवं कक्षा में इनके उपयोग हेतु प्रोत्साहित करना

दूसरा २३.०७.24 मंगलवार FLN दिवस- FLN के क्रियान्वयन हेतु सभी हितधारकों के मध्य जागरूकता विकसित करना

तीसरा २४.०७.24 बुधवार खेल दिवस- खेल और फिटनेस के महत्व हेतु प्रतियोगिताओं का आयोजन करना

चतुर्थ २५.०७.24 गुरुवार सांस्कृतिक दिवस- विद्यार्थियों मे विविधता में एकता की भावना विकसित करने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम

पांचवा २६.०७.24 शुक्रवार कौशल एवं डिजिटल पहल दिवस- विभिन्न कौशलों को बढ़ावा देना, सीखने में डिजिटल पहल को प्रोत्साहित करना

छठवां २७.०७.24 शनिवार मिशन लाइफ/इको क्लब दिवस- स्कूलों में इको क्लब का गठन, एक पेड़ मां के नाम का आयोजन, स्कूलों में वृक्षारोपण

सातवाँ २८.०७.24 रविवार सामुदायिक भागीदारी दिवस- स्थानीय समुदाय, जन-प्रतिनिधि, पालक, एस.एम.सी., पीटीए, पंचायती राज संस्थाओं से मिलकर अधिकतम भागीदारी, न्यौता भोज

पहला दिन: सोमवार: २२.०७.२०२४: TLM दिवस

स्कूलों/ संकुल स्तर पर TLM के स्टाल लगाने एवं प्रदर्शनी के आयोजन के लिए एक सप्ताह पहले से तैयारी शुरू कर देनी होगी. इस हेतु जिले, विकासखंड एवं संकुल स्तर पर TLM निर्माण में कुशल एवं नवाचारी शिक्षकों का एक प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी बनाकर उनके मार्गदर्शन में निम्नलिखित कार्य किया जाना सुनिश्चित करें-

१. अलग-अलग स्तर के लिए अलग अलग TLM का निर्माण किया जाए. स्तर का निर्धारण NEP के अनुसार ५+३+३+४ अनुरूप किया जाए

२. पहले स्तर में ३ से ८ आयु वर्ग के बच्चे अर्थात आंगनबाडी (तीन वर्ष) से लेकर कक्षा दूसरी कुल पांच कक्षाओं को शामिल किया जाए

३. दूसरे स्तर पर कक्षा तीन से पांच तक की कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों के लिए सामग्री तैयार की जाए

४. तीसरे स्तर में कक्षा छ्ह से आठ तक की कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों के लिए सामग्री तैयार की जाए

५. चौथे स्तर में कक्षा नवमीं से बारहवीं तक की कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों के लिए सामग्री तैयार की जाए

६. प्राथमिक शालाओं/ आंगनबाड़ियों को प्रदत्त खेल-खिलौना संबंधी सामग्री का भी समुदाय के समक्ष प्रदर्शन कर बच्चों को उनके सम्मुख खेलने के अवसर दिए जाएं

७. पढ़ई तिहार के अंतर्गत माताओं एवं बच्चों के साथ विभिन्न कौशलों के विकास हेतु उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री का भी प्रदर्शन इस अवसर पर किया जाए

८. शिक्षकों द्वारा तैयार जादुई पिटारा एवं ई-जादुई पिटारे का उपयोग पालकों को सिखाया जाए और उन्हें उनके मोबाइल में ये एप्लीकेशन डाउनलोड कर दिया जाए. ई-जादुई पिटारे का उपयोग कर रहे पालकों को इस अवसर पर अपने अनुभव साझा करने का अवसर देवें

९. इस अवसर का उपयोग कर संकुल/ विकासखंड स्तर पर विभिन्न स्तरों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कर सहायक सामग्री निर्माण किया जा सकता है. सहायक शिक्षण सामग्री निर्माण हेतु प्रति इच्छुक शिक्षक शाला अनुदान से 500/- का अधिकतम व्यय किया जा सकता है

१०. शिक्षकों के मध्य जादुई पिटारे में किए गए नवाचार पर भी आगे प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा. इस अवसर पर इसके लिए संकुल/ विकासखंड अपने प्रत्येक शाला में मोडल जादुई पिटारा तैयार करवाते हुए अभी से उसका नियमित उपयोग करवा सकते हैं

११. CCRT से प्रशिक्षित शिक्षक उनको प्राप्त प्रशिक्षण एवं किट आदि का इस अवसर पर उपयोग कर समुदाय एवं अन्य शिक्षक साथियों के साथ जानकारियाँ एवं कौशल साझा कर सकते हैं

१२. विभिन्न स्तरों के आधार पर आपके लिए कुछ सुझावात्मक TLM इस प्रकार हैं-

• अंगूठे/ हाथ में रंग डालकर पेंटिग करना

• मुखौटों, विभिन्न प्रकार की कठपुतलियों के माध्यम से सीखना

• प्रत्येक कक्षा के लिए बच्चों द्वारा कम से कम दस प्रयोगों को तैयार कर प्रदर्शन

• खिलौना कार्नर बनाकर उनके माध्यम से toy pedagogy का कक्षा में उपयोग

• प्रत्येक लर्निंग आउटकम के सीखने/ आकलन के लिए सहायक सामग्री बनाना

• गाँव का स्थानीय इतिहास लिखने के अवसर बच्चों को देना

• विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर पोस्टर बनाकर उन्हें समझाने का अवसर देना

• शालाओं को शाला सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदत्त वैगन व्हील को समझाना

• शालाओं को प्रदत्त विभिन्न पोस्टर्स को प्रदर्शित करते हुए बच्चों द्वारा समझाना

• बड़े-बुजुर्गों से स्थानीय कहानियाँ सुनना एवं उन पर आधारित कहानी पुस्तक निर्माण

• स्थानीय भाषा में वर्णमाला चार्ट/ डिक्शनरी/ वार्तालाप पुस्तिका तैयार करना

• वर्षामापी यंत्र एवं इसी प्रकार के साधारण उपकरण बनाकर उनका उपयोग करना

• बस्ताविहीन कक्षाओं में स्थानीय लोक कलाकारों का सहयोग लेकर विभिन्न सामग्री निर्माण

• विभिन्न मुद्दों पर पोस्टर, नारे एवं स्लोगन बनाकर उसकी प्रदर्शनी

• स्थानीय संस्कृति के आधार पर शालाओं में म्यूजियम तैयार करना

• विभिन्न प्रकार के स्थानीय वाद्य यंत्रों, खेती में काम आने वाले उपकरणों, औजारों का संग्रह

इस दिन सभी शिक्षक यह प्रण लेवें कि वे अपनी कक्षा को रोचक बनाने विभिन्न प्रभावी सहायक सामग्री, गणित विज्ञान किट आदि का उपयोग नियमित रूप से करेंगे.

दूसरा दिन: मंगलवार: २३.०७.२०२४: FLNदिवस

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत बच्चों में सन २०२६-२७ तक निपुण भारत के लक्ष्यों को प्राप्त कर लेना है. छत्तीसगढ़ में निपुण भारत को छलांग कार्यक्रम (Chhattisgarh Literacy & Numeracy Gain)के नाम से जाना जाता है. FLN दिवस के अवसर पर राज्य की सभी प्राथमिक कक्षाओं में निम्नलिखित गतिविधियों का आयोजन किया जाए-

• सभी शालाओं में खिलौना कार्नर तैयार कर बच्चों के उपयोग के लिए उपलब्ध करवाएं. खिलौना कार्नर का शुभारंभ समुदाय के किसी प्रभावशाली व्यक्ति के माध्यम से किया जा सकता है

• बच्चों की भाषा में सीखने के अवसर तैयार करने में शिक्षक का सहयोग करने एक कुशल टीम का गठन कर उनकी आवश्यकतानुसार सहयोग लेना सुनिश्चित किया जाए

• शिक्षक द्वारा बच्चों को दो-दो या तीन-तीन के समूह में बिठाकर एक दूसरे को सहयोग कर सीखने की व्यवस्था की जाए और उसका निरंतर सीखने-सिखाने में उपयोग किया जाए

• छोटे बच्चों की माताओं को एकत्र कर उनका समूह बनाकर उन्हें घर पर रहकर घर में आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग कर बच्चों को सीखने में सहयोग देने हेतु तैयार करें

• स्थानीय स्तर पर सबसे सक्रिय माता को उस क्षेत्र में स्मार्ट माता का खिताब देकर सम्मानित करें

• स्मार्ट माताएं अपनी टीम के साथ आंगनबाडी, बालवाडी एवं प्राथमिक कक्षाओं में पढने वाले बच्चों को FLN के लिए निर्धारित लर्निंग आउटकम में अभ्यास करवाएं

• बच्चों को उपलब्ध अभ्यास पुस्तिकाओं पर नियमित रूप से घर पर काम करवाएं

• स्कूल में भाषा एवं गणित सीखने के लिए पर्याप्त संख्या में सहायक सामग्री उपलब्ध हो

• बच्चों को शाला परिसर एवं गाँव में दीवारों पर प्रिंट रिच वातावरण देते हुए उन्हें पढवाएं

• निपुण भारत से संबंधित शपथ जिसका स्थानीय भाषा में अनुवाद किया गया है, उसे समुदाय के साथ लेते हुए शपथ अनुसार लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में खूब मेहनत करें

• बच्चों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण (health & wellness)हेतु निकट के स्वास्थ्य केंद्र के संपर्क में रहें और उन्हें हमेशा खुश रखने का प्रयास करें ताकि भविष्य में वे बेहतर नागरिक बन सकें

• बच्चों को प्रभावी संवाद कौशल (effective communicator) विकसित करने विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करें और पालकों को भी अपने बच्चों के साथ नियमित बातचीत करने को कहें. बड़े-बुजुर्गों से कहानी सुनकर उस पर आधारित प्रश्न पूछने का अवसर देवें

• बच्चों को अपने आसपास से सक्रिय होकर सीखने (involved learner)हेतु तैयार करें

इस दिन सभी शिक्षक एवं समुदाय स्थानीय भाषा में निपुण भारत की शपथ लेवें. प्रत्येक प्राथमिक शाला में खिलौना कार्नर तैयार कर जनप्रतिनिधि से उसका शुभारंभ किया जाए. पुस्तकालय की पुस्तकें पालकों को पढने के लिए भी उपलब्ध करवाई जाए

तीसरा दिन: बुधवार: २४.०७.२०२४: खेलदिवस

खेलों का सभी के जीवन में बहुत अधिक महत्व है. स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है. आज के युग में हर कोई फिट रहना चाहता है. फिट रहने के लिए योग एवं खेल से बढ़कर कोई चीज नहीं है. लेकिन मोबाइल के इस युग में बच्चे धीरे-धीरे खेल से विलग होते जा रहे हैं.

“शिक्षा सप्ताह” का तीसरा दिन स्थानीय खेलों को समर्पित है. इस दिन को एक उत्सव के रूप में आयोजित करते हुए बच्चों एवं बड़ों सभी के लिए खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करें. माताओं एवं बुजुर्गों को खेलों के माध्यम से उनका बचपन याद दिलवाएं.

इस दिन गाँव/ वार्ड में निम्नलिखित गतिविधियों के आयोजन के लिए आवश्यक तैयारी कर लेवें-

• कुछ दिन पहले से सुबह प्रभात फेरी निकालकर समुदाय को इस दिन शाला आने आमंत्रित करें

• इस दिन सुबह एक जगह सभी एकत्रित होकर योग के विशेषज्ञ की सेवाएं लेते हुए बड़े मैदान में सभी मिलकर योग एवं प्राणायाम का अभ्यास करें

• दिन में विभिन्न आयु वर्ग के बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए खेल प्रतियोगताओं का आयोजन करें

• यह ध्यान रखें कि इस दिन स्थानीय खेलों का अधिक से अधिक उपयोग किया जाए

• खेलगढ़िया कार्यक्रम के अंतर्गत शालाओं को प्रदत्त खेल-खिलौनों का भी उपयोग करें

• खेलो इंडिया में शामिल विभिन्न खेलों में बच्चों को अभ्यस्त करने स्थानीय विशेषज्ञों का सहयोग लेवें

• खेल-खेल में पढाई किस प्रकार से की जा सकती है इसके लिए यूनिसेफ के सहयोग से विकसित स्पोर्ट्सफॉरडेवेलपमेंट पुस्तक अपनी शाला के पुस्तकालय से खोजकर उसका अध्ययन कर लागू करें

• आपकी शाला को प्रदत्त खेलगढ़िया पुस्तक में उपलब्ध विभिन्न स्थानीय खेलों की जानकारी प्राप्त कर बच्चों को खिलवाएं

• खेलों के आयोजन के दौरान सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाए एवं फर्स्ट एड बोक्स अपने साथ रखें

• विभिन्न स्थानीय खेलों को खेले जाने हेतु समुदाय से खेल-खिलौने एकत्रित करवाएं

• सभी शालाओं में अनिवार्य रूप से गेडी बनाकर अवश्य रखवाएं और उस पर अभ्यास करवाएं

• यदि आसपास के स्कूल में/ पुलिस में/ सेना से रिटायर व्यक्ति किसी विशेषज्ञ खेल के लिए कोच के रूप में उपलब्ध हों तो उन्हें बच्चों को सीखने में सहयोग करने समयदान देने का अनुरोध करें

• आपके आसपास किसी खेल में विशेषज्ञ प्रतिभा उपलब्ध हो तो उन्हें इस दिन अवश्य आमंत्रित करें

• खेलों के माध्यम से बच्चों में टीम भावना, देशप्रेम, नैतिक मूल्यों के विकास आदि पर भी ध्यान देवें

• विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों को भी इस दिन उनकी सुविधा के कुछ खेल में सहभागी बनाएं

• प्रत्येक शाला में खेल के लिए अलग से कालखंड रखते हुए खेल गतिविधियाँ एवं योग अवश्य करवाएं इस दिन को स्कूल में एक उत्सव के रूप में आयोजित कर स्थानीय खेलों को बढ़ावा देवें और प्रत्येक बच्चे एवं शिक्षक अपने फिटनेस के प्रति जागरूक रहें

चौथा दिन: गुरुवार: २५.०७.२०२४: सांस्कृतिक दिवस

आजकल इलेक्ट्रोनिक मीडिया के दौर में हम अपनी संस्कृति एवं परंपराओं से बहुत तेजी से दूर होते जा रहे हैं. मीडिया के माध्यम से देश-विदेश की संस्कृतियों ने हमारी प्राचीन परंपराओं को हमसे दूर कर दिया है. बच्चों को अपनी संस्कृति एवं परंपराओं का सही ज्ञान नहीं है और इसकी वजह से उनमें आत्म-गौरव या सेल्फ-एस्टीम में कमी दिखाई देती है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० में भारत के गौरवशाली इतिहास को सबके सामने लाने एवं हमें अपनी समृद्ध इतिहास एवं प्राचीन युग में हमारे देश में शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा एवं खगोल विज्ञान में हुए आविष्कारो से परिचित करवाने पर जोर दिया गया है.

“शिक्षा सप्ताह” के चौथे दिन हम अपनी सांस्कृतिक विरासत एवं धरोहर को संभालने की दृष्टि से निम्नलिखित गतिविधियों का आयोजन अपनी शालाओं में करेंगे-

• इस दिन के कार्यक्रमों के लिए आपके जिले, विकासखंड अथवा संकुल से CCRT के प्रशिक्षण में शामिल शिक्षकों को कार्यक्रम डिजाइन करने का अवसर प्रदान करें

• शाला में सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन की सूचना बहुत पहले से समुदाय एवं स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों को देवें ताकि वे इसके लिए पर्याप्त तैयारी कर सकें

• स्थानीय लोक कलाकारों, नर्तकों. वादकों, गायकों, नाट्य-कलाकारों, कला मंडलियों आदि के आयोजन में शामिल संस्थाओं को इस अवसर पर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अवसर दें

• कार्यक्रम के विषयवस्तु ऐसे हों जो हम सबको एक सूत्र में बाँधने में सक्षम हो

• स्थानीय संगीत के उपकरणों का उपयोग कर स्कूलों में इस अवसर पर म्यूजिकल बैंड का गठन किया जा सकता है. इसके लिए समुदाय का सहयोग लेवें

• शिक्षकों की प्रतिभाओं को सम्मानित करने हेतु भी इस दिन का उपयोग कर उन्हें प्रस्तुतीकरण का अवसर दिया जा सकता है

• विभिन्न क्षेत्रों में बोले जाने वाली भाषा, पहनने वाली वेशभूषा, खान-पान आदि से भी इस दिन परिचित करवाया जा सकता है

• इस अवसर पर शिक्षक इस बात की पड़ताल करें कि किस प्रकार से लोक कला और संस्कृति को सीखने के साथ जोड़कर सीखना रुचिकर बनाया जा सकता है

• चौथे दिवस के कार्यक्रम की सफलता को ध्यान में रखते हुए ऐसे सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन प्रत्येक त्रैमास में किया जा सकता है

• कला के क्षेत्र में महारथ हासिल किए हुए प्रतिभाओं को भी इस अवसर पर स्कूल में आमंत्रित करें

• बच्चों को अपने गौरवशाली इतिहास पर छोटे-छोटे वृत्त चित्र दिखाते हुए उन्हें गौरवान्वित करें

“शिक्षा सप्ताह” का चौथा दिन समुदाय को शाला से जोड़ने की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है.

पांचवा दिन: शुक्रवार: २६.०७.२०२४: कौशल एवं डिजिटल पहल दिवस

राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० में शिक्षा को व्यवसाय से जोड़ने हेतु विभिन्न कौशलों के विकास पर फोकस करने का सुझाव है. उच्च प्राथमिक स्तर से ही कक्षाओं में विभिन्न कौशलों से परिचय करवाया जाता है. हाई-हायर सेकन्डरी स्कूलों में विभिन्न विषयों में व्यवसायिक शिक्षा लेने के अवसर भी प्रदान किए जा रहे हैं. शिक्षा को प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने हेतु भी विशिष्ट पहल की गयी है. कक्षाओं को स्मार्ट कक्षाओं में परिवर्तित करने के साथ-साथ शालाओं में आई सी टी लैब की सुविधा भी प्रदान की जा रही है. शालाओं में इंटरनेट की सुविधा भी दी जा रही है.

“शिक्षा सप्ताह” के पांचवें दिन हम बच्चों में विभिन्न कौशलों के विकास एवं सीखने-सिखाने में डिजिटल पहल हेतु निम्नलिखित गतिविधियों का आयोजन करेंगे-

• इस दिन अब तक आपके जिले में उच्च प्राथमिक से लेकर हायर सेकन्डरी स्तर तक जहां जहां व्यवसायिक शिक्षा का कार्यक्रम संचालित हो रहा है, उनके निर्देशन में इस दिन का आयोजन डिजाइन करें और व्यापक सुझाव लेते हुए शालाओं को उनके आयोजन हेतु निर्देशित करें

• बच्चों को आसपास के मार्केट सर्वे करने एवं किन उत्पादों की डिमांड है और उन्हें ध्यान में रखकर कैसे व्यवसाय किया जा सकता है इस पर पूरी रणनीति अर्थात विज्ञापन से लेकर ब्रांडिंग तक करवाएं

• विभिन्न स्थानीय लोक कलाकारों की सेवाएं लेकर बच्चों में लोक कला का हुनर सीखने का अवसर देते हुए बैग्लेस डे का आयोजन करें

• बच्चों को निकट के कार्यालयों, बैंक, पुलिस स्टेशन एवं विभिन्न औद्यौगिक संस्थाओं का भ्रमण करवाते हुए उनके मन में कुछ करने की आकांक्षा विकसित करें

• शालाओं में उपलब्ध स्मार्ट कक्षाओं का नियमित उपयोग करें और बच्चों को भी पारंगत बनाएं

• आई सी टी का अधिकतम उपयोग कर बच्चों के कौशल का विकास करने का अवसर देवें

• मोबाइल से क्रिएटिव फोटोग्राफी, विभिन्न शैक्षिक महत्व के मुद्दों पर रील बनाना सिखाएं

• बड़े-बुजुर्गों द्वारा कही जा रही स्थानीय कहानियों को मोबाइल से रिकार्ड कर उनका पोडकास्ट बनाएं

• बच्चों को विभिन्न घरेलू कामों जैसे खाना बनाना, खेती करना, बैंक के काम करना आदि भी सिखाएं

• देश-विदेश में कहीं जाना हो तो कैसे जाएँ, क्या-क्या देखें, इसकी पड़ताल हेतु प्रोजेक्ट बनाने को कहें

• गूगल मैप के माध्यम से किसी रास्ते की पहचान कैसे करेंगे, इसका अभ्यास करवाएं

• अपने स्कूल, घर एवं प्रमुख जगहों को गूगल मैप में डलवाएं ताकि खोजने में आसानी हो

• बच्चों के मन में उनके भविष्य के लिए सपने दिखाना और कैरियर के निर्धारण में सहयोग करें

• आसपास के सफल व्यक्तित्वों से “हमार पहुना” कार्यक्रम के माध्यम से परिचय करवाकर रोल मोडल बनवाएं और उनके जिअसे जीवन में सफल बनने की चाह विकसित करने में सहयोग करें

आज के दिन बच्चों को विभिन्न कौशल सीखने, लोक विद्या, डिजिटल तकनीक जानने समझने स्कूल में अवसर देवें

छठवां दिन: शनिवार: २७.०७.२०२४: मिशन लाइफ/इको क्लब दिवस

राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० में प्राथमिक से लेकर हायर सेकन्डरी स्तर तक बच्चों का क्लब बनाकर उनके रचनात्मक कौशल को बढ़ावा देने विभिन्न गतिविधियों का आयोजन एवं शाला को समुदाय के साथ और अधिक निकटता से जोड़ने हेतु नवाचारी प्रयास के अवसर प्रदान करना है. इस क्लब के माध्यम से कार्यक्रम के छठवें दिवस मिशन लाइफ/ इको क्लब दिवस का आयोजन किया जाना है. इसके लिए इसके पूर्व सभी प्राथमिक शालाओं में बाल सभा, उच्च प्राथमिक शालाओं में बाल केबिनेट एवं हाई-हायर सेकन्डरी शालाओं में युवा एवं इको क्लब का गठन कर विभिन्न पदों पर मंत्रियों का चयन चुनाव के माध्यम से संपन्न करवा लेना है. “शिक्षा सप्ताह” के छठवें दिन हम बच्चों के इको क्लब के माध्यम से निम्नलिखित गतिविधियों का आयोजन करेंगे-

• समुदाय को आमंत्रित कर उनके समक्ष मंत्रियों को शपथ दिलवाते हुए विभिन्न मंत्रियों के कार्यों/ जिम्मेदारियों/ इस सत्र में उनके द्वारा किए जाने वाले कार्यों से सभी को अवगत करवाएंगे

• शाला में नियमित रूप से पढाई हो, सभी बच्चे नियमित रूप से समय पर शाला आएं, इस पर ध्यान देना और इस दिन शाला से बाहर के बच्चों का पूर्व से सर्वे करते हुए उन्हें भी शाला में प्रवेश दिलवाना

• शाला परिसर में स्वच्छता बनाए रखने ड्यूटी रोस्टर लगाकर उसका पालन, बच्चों के नाखून, बाल, कपडे आदि की जाँच कर प्रतिदिन नहाकर आने एवं साफ़-सुथरा रहने के लिए प्रेरित करना

• शाला परिसर में पौधारोपण हेतु विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित करना एवं उनके सहयोग से “एक पेड़ अपनी मां केनाम” कार्यक्रम का आयोजन करेनेग

• ”शाला हेतु एक बढ़िया पोषण वाटिका तैयार कर सब्जियों का उपयोग बच्चों के भोजन के लिए करना, इसी प्रकार औषधीय पौधों की वाटिका भी तैयार की जा सकती है

• वर्षा जल संग्रहन हेतु स्थानीय स्तर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था स्कूल के साथ-साथ सभी घरों में किए जाते हुए पानी की बचत एवं अपव्यय रोकने हेतु जागरूकता फैलाना

• क्लब के सदस्य स्कूल एवं आसपास के क्षेत्रों में घूमकर जल अपव्यय का अध्ययन कर उसे रोकेंगे

• खेती योग्य जमीन की उर्वरा शक्ति की पहचान कर उसमें खाद आदि के लिए कम्पोस्ट पिट बनाएंगे

• वर्षा ऋतू के दौरान बच्चों से सीडबाल बनवाकर उसे खाली जगह में फेंकने का अवसर प्रदान करें

• समुदाय से बड़े-बुजुर्गों का सहयोग लेकर बच्चों को आसपास के पेड़-पौधों, उनकी विशेषताओं आदि से परिचित करवाएं ताकि बच्चों को उनके नाम पता रहे एवं वे पौधों को पहचान सके

• बच्चों को अपने आसपास का इतिहास जानने और समझने के लिए प्रोजेक्ट कार्य देवें

• बच्चों के माध्यम से विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर मोबाइल से छोटी-छोटी रील बनवाएं

आज के दिन क्लब के सदस्यों का समुदाय के समक्ष शपथ ग्रहण आयोजित करते हुए उनके विभागों के माध्यम से समुदाय के साथ मिलकर पूरे सत्र में क्या-क्या काम करेंगे इस पर नीतिगत निर्णय लेवें.

सातवां दिन: रविवार: २८.०७.२०२४: सामुदायिक भागीदारी दिवस

राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० में सामुदायिक सहभागिता को प्रोत्साहित किया गया है. प्रत्येक शाला में शाला प्रबन्धन समिति, उनके माध्यम से आगामी तीन वर्ष की शाला विकास योजना, नियमित बैठकों के माध्यम से स्कूल विकास पर चर्चा, शाला प्रबन्धन समिति के सदस्यों का प्रशिक्षण, विद्यान्ज्ली कार्यक्रम के माध्यम से शालाओं को उनकी आवश्यकतानुसार सी एस आर एवं अन्य निधियों से समर्थन, पुराने विद्यार्थियों का एलुमिनी ग्रुप बनाकर उन्हें विद्यालय से जोड़े रखना, अपने करीबी के स्मृति में स्कूल को उनकी आवश्यक्तानुसार दान या अतिरिक्त कक्ष का निर्माण, पुस्तकालय के लिए पुस्तकों के सब्सक्रिप्शन दिलवाना, खेल मैदान का समतलीकरण, छोटे-मोटे मरम्मत जैसे विभिन्न कार्यों को समुदाय के सहयोग से किया जा सकता है. इस एक सप्ताह के कार्यक्रम के समापन अवसर पर रविवार को अधिक से अधिक सदस्यों को समुदाय से आमंत्रित कर निम्नलिखित गतिविधियाँ आयोजित की जाए-

• समुदाय का शाला प्रबन्धन समिति के सदस्यों से परिचय एवं समिति द्वारा शाळा विकास के लिए उनकी प्रस्तावित योजना से परिचय एवं आवश्यक सहयोग की मांग

• समुदाय के समक्ष विद्यान्जली योजना से परिचय एवं शाला की आवश्यकतानुसार शाला को दान देने के अवसर एवं प्रक्रिया की जानकारी

• शाळा विकास के लिए दानदाताओं का विवरण शाला की दीवार पर लिखने की व्यवस्था

• शाला प्रबन्धन समिति के सदस्यों के नाम एवं मोबाइल नंबर भी दीवार पर लिखवाना

• बच्चों को शाला समय से अतिरिक्त समय या शाला में शिक्षक के कमी होने पर अतिरिक्त शिक्षक की व्यवस्था कर उनके नियमित कोचिंग की व्यवस्था

• माताओं को प्रशिक्षित करउनके घर में उपलब्ध सामग्री से बच्चों को सीखने में सहयोग हेतु दक्ष करना

• शाला को जमीन दान में देते हुए उसकी आय से शाला संचालन में आवश्यक सहयोग हेतु नियमित आय का स्रोत उपलब्ध करवाना

• बड़े-बुजुर्गों को आमंत्रित कर उनके माध्यम से बच्चों को स्थानीय कहानियाँ सुनाने की व्यवस्था

• शाला में नियमित रूप से पढाई हो, सभी बच्चे नियमित रूप से समय पर शाला आएं, इस पर ध्यान देना और इस दिन शाला से बाहर के बच्चों का पूर्व से सर्वे करते हुए उन्हें भी शाला में प्रवेश दिलवाना

• क्लब के सदस्यों के नेतृत्व में स्थानीय हात-बाजार एवं सामुदायिक केन्द्रों की साफ़-सफाई/ श्रमदान

• समुदाय के सदस्यों द्वारा आसपास के क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण एवं वर्षा जल संचय

• विद्यालय से पढ़कर निकले पुराने विद्यार्थियों की पहचान कर उनका एक एलुमिनी ग्रुप बनाना

आज के दिन क्लब के सदस्यों के सहयोग से शाला क्षेत्र में पूर्व में किए गए सर्वे के आधार पर एक भी ड्राप आउट या शाला से बाहर बच्चे न मिले तो उस गाँव को “ड्राप -आउट विहीन गाँव” घोषित किया जाए.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० से परिचय एवं विभिन्न ज्वलंत मुद्दों पर सेमीनार का आयोजन

राज्य के शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० से परिचय करवाने हेतु प्रत्येक विकासखंड में दो दो सेमीनारों का आयोजन प्रत्येक स्तर पर किया जाएगा. प्रत्येक सेमीनार में उस स्तर के सौ सौ शिक्षकों को आमंत्रित किया जाएगा. इस प्रकार पूरे राज्य में कुल १५००० शिक्षक प्रत्येक सेमीनार में शामिल हो सकेंगे और राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के उन घटकों से जिनका सीधा सीधा संबंध उनके दैनिक जीवन से हैं, जानकार समझकर उसे अपना सकेंगे.

विभिन्न स्तरों के लिए सेमीनारों के आयोजन के लिए विषयवस्तु इस प्रकार हैं-

प्राथमिक शिक्षकों के लिए विकासखंड स्तर पर सेमीनार-

सेमीनार एक- बच्चों की भाषा में सीखने के अवसर देने हेतु अपनी शाला में की जा रही कार्यवाहियां

सेमीनार दो- आंगनबाड़ियों को प्राथमिक शालाओं के साथ लिंकेज एवं घर पर सीखने हेतु माताओं की भूमिका

उच्च प्राथमिक शिक्षकों के लिए विकासखंड स्तर पर सेमीनार-

सेमीनार एक: कक्षा शिक्षण के दौरान प्रयोग प्रदर्शन एवं करके सीखने का कल्चर विकसित करना (प्रयोग प्रदर्शन)

सेमीनार दो: धीमी गति से (Slow Learner) और तेज गति से सीखने वाले बच्चों (Gifted Children) के लिए विभिन्न रणनीतियां (अपने अपने अनुभव)

हाई स्कूल/ हायर सेकन्डरी स्तर पर शिक्षकों के लिए सेमीनार-

सेमीनार एक: NEP के अनुरूप कक्षागत प्रक्रियाओं में परिवर्तन हेतु निरंतर अभ्यास हेतु रणनीति का निर्धारण

सेमीनार दो: बच्चों की नियमित उपस्थिति, ड्राप आउट विहीन गाँव एवं पलायन रोकने कार्यवाहियां (तथ्य के साथ आइडियाज)

यह कार्यक्रम पूरे दिन भर चलेगा जिसमें पूर्व से चयनित वक्ता निर्धारित विषय पर अपने अपने विचार रखेंगे. सभी स्तर के सेमीनारों में एक कोमन सत्र NEP 2020 से परिचय एवं इसमें प्रस्तावित सुधारों में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा. इस हेतु राज्य से एक पीपीटी तैयार कर सभी विकासखंडों को उपलब्ध करवाया जाएगा.विकासखंड के अधिकारियों के मार्गदर्शन में प्रतिभागी अपने पेपर प्रस्तुतीकरण तैयार कर सकेंगे और उनके माध्यम से इनके क्रियान्वयन हेतु रोडमैप बन सकेगा.

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