CG News: किसानों की परेशानी खत्म! सहकारी बैंक के खाते होंगे आधार लिंक, किसानों की लाइन होगी खत्म

CG News: धान खरीदी के पैसे निकालने के लिए सहकारी बैंकों में किसानों की लाइन लगनी आम बात है। कई बार घंटों लाइन में लगने के बाद ही किसान को पैसे मिल पाते हैं। अब यह सिलसिला खत्म हो रहा है। किसान किसी भी एटीएम से पैसे निकाल सकेंगे और ऑनलाइन भुगतान भी कर सकेंगे।

Update: 2025-08-22 05:57 GMT

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CG News: रायपुर। केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्यों के सभी सहकारी बैंकों को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से लिंक करने का फैसला किया है। खाते के आधार लिंक होते ही किसानों को बैंकिंग सेवाओं की तरह कई सुविधाएं मिल जाएंगी। सब- कुछ ऑनलाइन हो सकेगा और बैंकों का चक्कर काटने से मुक्ति मिल जाएगी। अभी छह जिला सहकारी बैंकों की 14 शाखाओं के जरिए प्रदेश के 33 जिलों में सेवाएं दी जा रही हैं। जबकि दो हजार से अधिक सहकारी समितियों के अधीन प्रदेशभर में 2739 धान खरीदी केंद्र हैं। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में कम से कम तीन और जिला सहकारी बैंकों की स्थापना की जरुरत बताई है।

यूआईडीएआई ने अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में सहकारी बैंकों को आधार-आधारित प्रमाणीकरण सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए नया ढांचा तैयार किया है, जिससे बैंक की लोगों तक पहुंच बढ़ाने और डिजिटल समावेशन को काफी बढ़ावा मिलेगा। यह ढांचा सहकारिता मंत्रालय, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक-नाबार्ड, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम-एनपीसीआई और सहकारी बैंकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद विकसित किया गया है। देश भर के सभी 34 राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के लिए यह सहायक होगा।

सहकारी बैंकों को अलग से आईटी सिस्टम बनाने की जरुरत नहीं-

नई प्रणाली के तहत, आधार सेवा अपनाने की प्रक्रिया सरल और सस्ती बनाई गई है। इसमें केवल राज्यों के सहकारी बैंक ही भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के साथ प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियों (एयूए) और ई-केवाईसी उपयोगकर्ता एजेंसियों (केयूए) के रूप में पंजीकृत होंगे। जिला केंद्रीय सहकारी बैंक अपने राज्य सहकारी बैंकों के आधार प्रमाणीकरण अनुप्रयोग और सूचना प्रोद्यौगिकी ढ़ांचे का निर्बाध उपयोग कर सकेंगे। इससे जिला केंद्रीय सहकारी बैंक को अलग से आईटी प्रणाली विकसित करने या रखने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी जिससे बचत होगी और सुचारू संचालन सुनिश्चित होगा।

सब्सिडी सीधे जाएगी खाते में-

इस ढांचे से, सहकारी बैंक आधार सेवाओं से ग्राहकों को तेज़, अधिक सुरक्षित और सुगम सेवा प्रदान कर सकेंगे। बायोमेट्रिक ई-केवाईसी और चेहरे की पहचान से खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खाता खोलना आसान हो जाएगा। आधार के उपयोग से सब्सिडी और कल्याणकारी भुगतान सीधे ग्राहकों के सहकारी बैंक खातों में जमा किए जा सकेंगे । इसके अलावा यह ढांचा सहकारी बैंकों को आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) और आधार पेमेंट ब्रिज जैसी सेवाओं का विस्तार करने, डिजिटल लेनदेन व्यापक बनाने और सहकारी क्षेत्र में वित्तीय समावेशन बढ़ाने में सक्षम बनाएगा। आधार की पहुंच और उसके लाभ व्यापक बनाने में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे भारत के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में सहकारी बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहेगी।


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