CG News: डिलीवरी में लापरवाही से प्रसूता की मौत, प्राइवेट हॉस्पिटल का लाइसेंस सस्पेंड, अस्पताल पर जुर्माना

कोरबा के श्वेता हॉस्पिटल में डिलीवरी के दौरान लापरवाही बरतने पर प्रसूता की मौत हो गई थी। शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया था। निरीक्षण में कई अनियमितताएं पाई गई थी। जिसके बाद अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करते हुए 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। न्यू कोरबा हॉस्पिटल के निरीक्षण में भी कई खामियां मिली। जिस पर न्यू कोरबा हॉस्पिटल पर भी 20 हजार रुपए का जुर्माना किया है।

Update: 2025-06-28 12:33 GMT

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कोरबा। श्वेता हॉस्पिटल में प्रसव के बाद प्रसूता अंजलि की हुई इलाज में लापरवाही और मौत के मामले को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर अजीत बसंत ने निरीक्षण दल बनाकर अस्पताल का निरीक्षण करने भेजा था। अस्पताल में नर्सिंग होम एक्ट का उल्लंघन पाए जाने पर अस्पताल के लाइसेंस को 15 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया है। सस्पेंड ऑर्डर एक जुलाई से 15 जुलाई तक जारी रहेगा। इस अवधि में अस्पताल का प्रबंधन न तो मरीजों की जांच कर सकेगा और न ही किसी मरीज को भर्ती कर सकेगा। यह पहली बार हुआ है, जब स्वास्थ्य विभाग ने नियम कानून को ठेंगा दिखाकर कार्य करने पर किसी निजी अस्पताल के लाइसेंस को पखवाडे़ भर के लिए निलंबित किया है।

रजगामार रोड पर रिस्दी स्थित जिला जेल के पास श्वेता हॉस्पिटल स्थित है। अस्पताल में एक गर्भवती महिला अंजलि को प्रसव के लिए जून के प्रथम सप्ताह में भर्ती कराया गया था। बच्चे के जन्म के बाद प्रसूता की तबीयत बिगड़ गई थी। उसे आनन-फानन में अस्पताल की ओर से कोरबा के एक दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया था। इलाज के दौरान प्रसूता की मौत हो गई थी। घटना से आक्रोशित परिवार ने हंगामा किया था। इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई थी। जिसके बाद कलेक्टर ने जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को जांच और कार्यवाही के निर्देश दिए थे। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम ने श्वेता हॉस्पिटल का निरीक्षण किया। नर्सिंग एक्ट के मानकों पर अस्पताल को परखा गया। इसकी जांच की गई थी कि श्वेता हॉस्पिटल का संचालन नर्सिंग एक्ट में किए गए प्रावधानों के अनुसार हो रहा है या नहीं। इस टीम में तीन डॉक्टरों को शामिल किया गया था। टीम ने नर्सिंग एक्ट के मानकों को निरीक्षण किया। यहां तैनात डॉक्टरों से लेकर अन्य स्टॉफ के संबंध में जानकारी एकत्र किया। मामले से संबंधित रिपोर्ट जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दी गई थी।

अस्पताल में नर्सिंग एक्ट का उल्लंघन पाए जाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की ओर से एक नोटिस जारी किया गया था। अस्पताल प्रबंधन से 24 घंटे में जवाब मांगा गया था। श्वेता हॉस्पिटल के प्रबंधन ने निर्धारित समय के भीतर जवाब जमा किया था। लेकिन इस जवाब से चिकित्सा विभाग संतुष्ट नहीं हुआ। श्वेता हॉस्पिटल पर कार्रवाई के लिए फाइल कलेक्टर अजीत बसंत के पास प्रस्तुत की गई। उनसे अनुमोदन मिलने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने श्वेता हॉस्पिटल के लाइसेंस को निंलबित करने का आदेश जारी किया। यह आदेश एक जुलाई से प्रभावशील होगा, जो 15 जुलाई तक जारी रहेगा। इस अवधि में श्वेता हॉस्पिटल का प्रबंधन किसी भी मरीज का इलाज नहीं कर सकेगा, न ही उन्हें भर्ती कर सकेगा।

तीन दिनों में दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करना होगा मरीजों को-

स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया है कि यह कार्रवाई इस कारण से की गई है कि तीन दिन में अस्पताल का प्रबंधन अपने यहां भर्ती मरीजों को किसी अन्य अस्पताल में शिफ्ट कर सके। प्रबंधन चाहे तो यहां के मरीजों को सरकारी अस्पताल में या जिले के किसी अन्य या बाहर के अस्पताल में मरीजों की इच्छा के अनुसार रेफर कर सकता है।

20 बेड पर एक डॉक्टर का होना जरूरी-

स्वास्थ्य विभाग की ओर से बताया गया है कि श्वेता हॉस्पिटल को 30 बेड की अनुमति है। अस्पताल का प्रबंधन ३० बेड लगाकर मरीजों को अस्पताल में इलाज कर सकता है। यह अनुमति इन शर्तों पर दी गई है कि 20 बेड पर अस्पताल में आठ घंटे के लिए एक एमबीबीएस डॉक्टर की ड्यूटी अनिवार्य है। 24 घंटे में आठ-आठ घंटे यानी तीन शिट की ड्यूटी के लिए श्वेता हॉस्पिटल को तीन डॉक्टर रखने थे। लेकिन अस्पताल में इतने डॉक्टर नहीं रो और न ही इनके यहां अन्य प्रशिक्षित कर्मचारी पाए गए।

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