CG News: 83 साल के इस शख्सियत की जीवटता की कहानी: रिश्वत के झूठे केस में बेगुनाही साबित करते तबाह हो गया परिवार, बीत गया जीवन, हारी नहीं हिम्मत

CG News: मध्य प्रदेश राज्य परिवहन निगम MPSRTC अविभाजित मध्य प्रदेश के दौर में सड़क मार्ग से परिवहन का यह सबसे बड़ा और मजबूत साधन हुआ करता था। इस विभाग में काम कर रहे थे जागेश्वर अवधिया। अपनी ईमानदारी और ड्यूटी के लिए उनका एक नाम था। तब उसकी जिंदगी पटरी पर दौड़ रही थी। ईमानदारी को किसी की ऐसी नजर लगी कि रिश्वतखोरी का आरोप लग गया। इस आरोप ने उसकी पूरी जिंदगी ही बदल दी। हंसते खेलते दुनिया उजड़ गई। एक दो साल हो तो बात दूसरी, रिश्वत के दाग को धोने में पूरी जवानी बीत गई। वे तो वे बच्चे अब बूढ़े हो चले हैं। 100 रुपये के रिश्वत के आरोप ने जागेश्वर की जिंदगी ही बदल दी। जो सपने में नहीं सोचा था वह हकीकत की दुनिया में देख लिया।

Update: 2025-09-25 09:37 GMT

रायपुर। जागेश्वर के लिए राहत और संतोष की बात ये कि अदालत ने 100 रुपये के रिश्वत के आरोप से उसे बरी कर दिया है। जोगेश्वर के जीवन अब संतोष करने के अलावा बचा ही क्या है। जीवन संगिनी अभाव को तो झेल ली पर तनाव और दबाव को सहन नहीं कर पाई और जागेश्वर को अकेला लड़ने के लिए जिंदगी से मरहूम हो गई। पत्नी की मौत के बाद जागेश्वर टूट गया था। बच्चों की चिंता और उससे बढ़कर घर चलाने की पहाड़ जैसे चुनौती।

अभाव,तनाव,दबाव और अपमान के बाद भी जागेश्वर ने हार नहीं मानी। परिवार बिखर गया, बच्चों की पढ़ाई छूट गई। अपने आपको बेगुनाह साबित करने अदालती लड़ाई लड़ते रहे। पूरे 39 साल केस लड़े। अब तो उनकी खुद की उम्र 83 साल की हो गई है। बड़ा बेटा 50 का हो गया है।

जागेश्वर MPSRTC रायपुर में बिल असिस्टेंट के पद पर काम कर रहे थे। विभाग का कर्मचारी अशोक वर्मा ने जागेश्वर की जिंदगी में भूचाल मचा दिया। अशोक ने ऐसा कुछ किया जिसकी टीस जागेश्वर आतलक भूला नहीं पा रहे हैं। अशोक ही वह शख्स है जिसने जागेश्वर की जिदंगी में भूचाल लाया और परिवार बिखरकर रह गया। बिल पास कराने के एवज में 50 50 रुपये के दो नोट उसकी जेब में जबरिया डाल दिया। नोट निकाल ही रहा था कि एसीबी की टीम पहुंच गई। जागेश्वर पर रिश्वतखोरी का आरोप लग गया।

अशोक की चालबाजी ने पूरी दुनिया ही बदल दी

अशोक और रिश्वतखोरी के आरोप ने जागेश्वर की जिंदगी की दिशा ही बदल दी। खुशहाल परिवार में दुखों का ऐसा पहाड़ टूटा जिसका दर्द आज भी परिवार के सदस्यों के चेहरे पर साफतौर पर देखा जा सकता है। एक ऐसी टीस जो जीवनभर सालते रहेगी। जो अपराध किया नहीं उसकी सजा उसे और पूरे परिवार को भुगतना पड़ रहा है।

1986 में जो दाग लगा, उसने जागेश्वर के पूरे परिवार का भविष्य निगल लिया। नौकरी में तरक्की रुक गई, वेतन आधा हो गया, बच्चों की पढ़ाई अधूरी रह गई और पत्नी का साथ भी छिन गया। अब 83 साल की उम्र में उनके पास बचा है तो बस थकान से झुका हुआ शरीर और आंखों में वो खालीपन, जो इंसाफ मिलने के बाद भी खत्म नहीं होता। जागेश्वर बताते हैं,मैं उस आदमी को जानता तक नहीं था। लेकिन उसी दिन से मेरी और मेरे परिवार की पूरी दुनिया बदल गई।

कड़वा सच जो भुलाए नहीं भूलता

1988 से 1994 तक वे सस्पेंड रहे। फिर रीवा ट्रांसफर कर दिया। आधी सैलेरी काम करना पड़ा। प्रमोशन, इंक्रीमेंट सब ब्रेक हो गया। ढाई हजार रुपए की सैलरी में घर कैसे चलता, चारों बच्चों की पढ़ाई छूट गई। पत्नी लगातार तनाव में रहती थी और इसी तनाव के चलते चल बसी। मैं पूरे समाज और दफ्तर में ईमानदारी के लिए जाना जाता था लेकिन सब खत्म हो गया। रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी नहीं मिली। पेट पालने के लिए स्कूल में चौकीदारी की, कभी छोटे-मोटे काम किए।

Tags:    

Similar News