CG BJP Politics: भाजपा कहीं क्षेत्रीय असंतुलन की ओर तो नहीं? जिन विधानसभा क्षेत्रों में हारी, वहां बोर्ड, निगम से लेकर मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं...
CG BJP Politics: जिन विधानसभा सीटों में भाजपा हारी, ज्यादातर में निगम मंडल या संगठन का प्रतिनिधित्व नहीं है। रायपुर संभाग और दुर्ग संभाग की तुलना में बिलासपुर संभाग भेदभाव का शिकार हो गया है। सियासी पंडितों का मानना है कि बिलासपुर संभाग में ही प्रतिनिधित्व देकर संगठन को मजबूत करने की ज्यादा जरूरत है।
CG BJP Politics: रायपुर। भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों के बाद अब साय मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो गया है। इन दोनों कवायदों के बीच यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या भाजपा क्षेत्रीय असंतुलन की शिकार हो रही है! इसकी मुख्य वजह यह है कि भाजपा के अंदरखाने में चर्चा चल रही है कि प्रदेश में जिन इलाकों में भाजपा की हार हुई है, वहां से न तो कोई संगठन में प्रतिनिधित्व कर रहा है और न तो निगम या मंडल में किसी को जगह मिली है। ऐसे में चुनाव के वक्त वरिष्ठ नेता वहां कार्यकर्ताओं के पास कौन-सा मुंह लेकर जाएंगे। यह भी स्वाभाविक होता है कि कोई भी राजनीतिक दल जिन सीटों पर जीतता है, वहां पर अगले चुनाव में हार का अनुपात बढ़ता है और हारी सीटों पर जीत के अवसर बढ़ जाते हैं। यदि ये पांच साल हारी सीटों की उपेक्षा में निकल गए, तो संगठन कैसे और किस तरह चुनाव को मैनेज कर पाएगा।
सरगुजा संभाग में भाजपा को सभी 14 सीटें हासिल हो गई थीं। संयोग से वहीं से मुख्यमंत्री मिल गए और उनके सहित अब पांच लोग मंत्रि मंडल में हैं। कल के विस्तार में पांचवे मंत्री के रूप में अंबिकापुर विधायक राजेश अग्रवाल शामिल हो गए। यह भी दिलचस्प है कि छत्तीसगढ़ भाजपा के महामंत्री का पावरफुल पद अंबिकापुर के ही अखिलेश सोनी को दिया गया है। विधानसभा चुनाव में जांजगीर में भाजपा को सबसे अधिक नुकसान हुआ था। यहां की सभी 12 सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। अब इसी इलाके के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता सरकार अथवा संगठन में प्रतिनिधित्व मिलने का बाट जोहते रह गए। प्रदेश संगठन में केवल एक सक्ती से मंत्री के रूप में विद्या सिदार को लिया गया है। जबकि निगम मंडल में अकलतरा के पूर्व विधायक सौरभ सिंह को छत्तीसगढ़ खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। कहा जा सकता है कि इलाके के हिसाब से और संगठन की उपयोगिता के महत्व से यह नाकाफी है। इनके अलावा बिलासपुर संभाग के कोटा, मस्तूरी, खरसिया, धर्मजयगढ़, सारंगढ़, चंद्रपुर, जैजेपुर, चांपा, पामगढ़ सहित कसडोल, भाटापारा भी करीब- करीब खाली हैं।
रायपुर पर ज्यादा मेहरबानी
दूसरी ओर रायपुर शहर की चारों सीटों से भले ही अभी किसी को मंत्री नहीं बनाया गया हो, मगर रायपुर जिले से ही निगम मंडलों में 15 लोगों को जगह मिल चुकी है। यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है। राजनीतिक रूप से विश्लेषण करें तो बिलासपुर संभाग में सक्ती कांग्रेस की गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि यहां से नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके मुकाबले संभाग में भाजपा का कोई ऐसा केंद्र नहीं बन सका है, जहां राजनीतिक रूप से हलचल दिख सके। इसके लिए तर्क दिया जा सकता है कि इस इलाके से केंद्रीय मंत्री तोखन साहू और उप मुख्यमंत्री अरुण साव हैं, लेकिन भौगोलिक नजरिए से देखें तो पता चलता है कि इसका प्रभावी असर पार्टी कार्यकर्ताओं में नहीं दिखेगा। दूसरी ओर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज बस्तर से हैं तो भाजपा के भी प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव भी उसी इलाके से हैं। बस्तर में दोनों पार्टियों का समीकरण बराबर चल रहा है। दुर्ग संभाग को सरकार में पर्याप्त वजन मि चुका है। सरकार के पास अभी भी कुछ निगम मंडल बाकी हैं, अब उसका इंतजार किया जा रहा है।