CG: बिलासा एयरपोर्ट को सेना ने जमीन देने से किया इनकार, रक्षा मंत्रालय ने कलेक्टर को लौटाए 90 करोड़ रुपये
0. बिलासा एयरपोर्ट की जमीन आवंटन का मामला फिर अटका... 0. हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से सेना से जमीन वापसी पर स्थिति साफ़ करने की मांग की है...
बिलासपुर। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा जमीन वापसी के एवज में जमा किये गए 90 करोड़ की राशि कलेक्टर बिलासपुर को लौटा दी है। समिति ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस मामले पर स्थिति साफ़ करे और सारे तथ्य जनता के सामने लाया जाए।
हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने जानकारी देते हुए बताया कि अब रक्षा मंत्रालय के द्वारा "नए रायपुर" में जमीन की मांग की गई है और उसके बदले ही बोदरी चकरभाटा की एयरपोर्ट के चारो ओर की जमीन वापस की जायेगी। समिति ने कहा कि इस तरह की मांग सेना 2021 में भी कर चुकी है। परन्तु उस समय राज्य सरकार ने नया रायपुर की जमीन की कीमत अधिक होने के कारण अतिरिक्त धनराशि की मांग की थी जिस पर सेना तैयार नहीं हुई थी। इसके बाद राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहण में
खर्च पैसा वापस होने पर जमीन वापसी की सैद्धांतिक सहमति दे दी थी
जिस से आज रक्षा मंत्रालय पलट गया है।
हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने कहा कि 1012 एकड़ जमीन अधिग्रहण के
एवज में रक्षा मंत्रालय के द्वारा 90 करोड रुपए खर्च किए गए थे। वह पूरी की पूरी
राशि राज्य सरकार ने पिछले साल ही वापस कर दी थी।
यह है नियम
समिति ने बताया कि नियमानुसार जिस सार्वजनिक कार्य के लिए भूमि का अधिग्रहण किया गया है यदि वह पांच साल में नहीं किया जाता है तो भूमि अधिग्रहण रद हो जाता है और अधिग्रहित भूमि शासन के लैंड बैंक में चली जाती है।
10 साल में कुछभी नही हुआ
सेना के द्वारा 2011 में भूमि अधिग्रहण करने के बाद 2021 तक 10 साल में भी कोई कार्य नहीं किया गया और आज 13 साल बीत चुके हैं सेना अपना प्रोजेक्ट ड्रॉप कर चुकी है और वह पूरी की पूरी 1012 एकड़ जमीन खाली पड़ी है। हवाई सुविधा जन संघर्ष समिति ने कहा कि कायदे से यह जमीन अधिग्रहण। को रद कर एयरपोर्ट को दे दी जानी चाहिए थी। परंतु राज्य सरकार ने बड़ा दिल दिखाते हुए रक्षा मंत्रालय को 90 करोड़ की राशि वापस कर दी है। इसके बाद भी सेवा के द्वारा जमीन वापस न करना जनहित के खिलाफ है।
00 हाई कोर्ट के निर्देश की अवहेलना
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय को 287 एकड़ जमीन वापस करने का निर्देश दिया था। रक्षा मंत्रालय द्वारा राशि लौटाए जाने के बाद विधि विशेषज्ञ इसे कोर्ट की अवमानना के नजरिये से देख रहे हैं।