Bilaspur News: कुलपति प्रो0 चक्रवाल बोले...सिर्फ बातों से राष्ट्र का विकास नहीं, दायित्वों का निर्वहन करना होगा, सीयू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारा...

Bilaspur News: गुरू घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने कहा कि विश्वविद्यालयों को तीर्थ की तरह विकसित करनी चाहिए, जिसमें शिक्षक पुजारी की भूमिका में हो।

Update: 2024-11-11 14:48 GMT

Bilaspur News: बिलासपुर। गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालय) नैक से ए$$ ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ संयुक्त तत्वावधान में “विकसित भारत 2047 में एनईपी-2020 की भूमिका” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह रजत जयंती सभागार में किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में महेन्द्र कपूर, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उपस्थित रहे। मुख्य वक्ता प्रो. नारायण लाल गुप्ता अध्यक्ष अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ रहे। उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने की।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को संपूर्ण स्वरूप में धरातल पर उतारने की दिशा में सक्रिय है। सिर्फ बातों से राष्ट्र का विकास नहीं होगा बल्कि हम सभी को एकजुट होकर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में अपने दायित्वों का निर्वहन करना होगा।

कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में अनुभवजन्य शिक्षा के जिस प्रादर्श की चर्चा की गई है उसके अनुरूप गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए रोजगार उन्मुखी, सामाजिक दायित्वबोध एवं कौशल विकास से संबंधित विभिन्न प्रकल्प स्थापित किये गये हैं। श्रवण लाइन योजना में वृद्ध जनों की सहायता के लिए समूह, स्वाभिमान थाली योजना के तहत प्रतिदिन एक हजार छात्र-छात्राओं को दस रुपये में भोजन की सुविधा एवं सुदामा योजना के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों की मदद की जा रही है।

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि महेंद्र कपूर, संगठन मंत्री, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने कहा कि सबके सहयोग से ही भारत एक विकसित राष्ट्र हो सकता है। हम सभी को मिलकर उस दिशा में कार्य करना होगा। हम सभी को मिलकर विश्वविद्यालय को तीर्थ स्थल जैसा बनवाना होगा जहां शिक्षक पुजारी की भूमिका में हों। एक दिन में कोई बड़ा कार्य नहीं होता है धीरे-धीरे निरन्तर कार्य करने से सफलता मिलती है।

मुख्य वक्ता एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि शिक्षा व संस्कृति के जरिए ही भारत को विकसित किया जा सकता है। ज्ञान व अर्थव्यवस्था को अलग नहीं कर सकते। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम जी का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश में सबसे बड़ी युवा शक्ति है जो आने वाले समय भारत को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

पुनरुत्थान विद्यापीठ की कुलपति प्रो. इंदुमती काटदरे ने कहा भारत में विश्व गुरु बनने की पूरी क्षमता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र, राष्ट्रीय और राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अंतर समझना जरूरी है। देश, समाज और अर्थव्यवस्था की जरुरत के अनुरूप ही विश्वविद्यालय में शिक्षण होना चाहिए। विश्व भारत को गुरु मानने के लिए तैयार है।

विशिष्ट अतिथि एवं सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. नीलांबरी दवे ने चाणक्य की बात को दोहराते हुए कहा कि प्रलय व निर्माण शिक्षक की गोद में पलते हैं। ऐसे में समस्त विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षक को सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की महासचिव प्रो. गीता भट्ट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षा के जरिए ही विकसित भारत बनने की कल्पना कर सकते हैं।

इससे पूर्व अतिथियों को नन्हा पौधा भेंट कर स्वागत किया गया। मंचस्थ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर मां सरस्वती एवं बाबा गुरु घासीदास जी के चित्र पर पुष्प अर्पित किये। तरंग बैंड के छात्र- छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं कुलगीत प्रस्तुत किया। स्वागत उदोबधन संगोष्ठी के संयोजक प्रो. रामकृष्ण प्रधान ने दिया। मंचस्थ अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। मंचस्थ अतिथियों द्वारा संगोष्ठी की स्मारिका एवं शैक्षिक मंथन पत्रिका का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव एच एन चौबे एवं संचालन डॉ. प्रिंसी मतलानी ने किया। कार्यक्रम में देश भर के शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, शिक्षक और शैक्षिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्षगण, अधिकारीगण, शिक्षणगण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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