Bilaspur Highcourt News: हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश: प्रीमियम जमा होते ही प्रभावी हो जाता है बीमा कवर, भले ही पॉलिसी फॉर्मल रूप से बाद में हुई हो जारी
Bilaspur Highcourt News: बाइक खरीदने के बाद युवक नई बाइक से अपने गांव जा रहा था। रास्ते में बाइक का पहिया जाम हो गया और बाइक के पेड़ से टकराने व गंभीर चोट की वजह से उसकी मौत हो गई। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण ने इसमें मुआवजा आदेश जारी किया था। जिसके खिलाफ बीमा कंपनी ने हाई कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने मुआवजे का आदेश बरकरार रखते हुए बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी है।
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Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि यदि वाहन बीमा का प्रीमियम जमा हो गया हो, तो बीमा पॉलिसी तकनीकी विलंब से जारी होने के बावजूद प्रभावी मानी जाएगी। अदालत ने एक सड़क हादसे में मृतक के परिजनों को 4.17 लाख रुपए मुआवजा देने संबंधी मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के फैसले को सही ठहराते हुए बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लाेंबार्ड की याचिका खारिज कर दी।
सूरजपुर निवासी देवचंद जायसवाल ने 25 अक्टूबर 2017 को नई बाइक खरीदी थी। उसी दिन वे बाइक से अपने गांव महुली से जनपद पंचायत ओड़गी बैठक में जा रहे थे, तभी बाइक का पहिया जाम हो गया और वाहन पेड़ से जा टकराया। हादसे में उन्हें सिर और छाती में गंभीर चोटें आई। अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई।
देवचंद की पत्नी और बच्चों ने मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 163-A के तहत बीमा कंपनी के खिलाफ दावा प्रस्तुत किया था। उन्होंने कुल 35.55 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (MACT) ने आंशिक रूप से दावा स्वीकार करते हुए 4 लाख 17 हजार 500 रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया।
बीमा कंपनी ने दिया समय का हवाला
बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोंबार्ड ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में कंपनी ने तर्क दिया कि हादसा दोपहर 12.30 बजे हुआ, जबकि बीमा पॉलिसी शाम 4.52 बजे जारी हुई। ऐसे में दुर्घटना के समय बीमा प्रभावी नहीं था और मुआवजे की जवाबदारी उस पर नहीं बनती।
हाई कोर्ट ने खारिज की दलील, कहा- बीमा प्रीमियम सुबह जमा हुआ था
मामले की सुनवाई जस्टिस पीपी साहू के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने बीमा कंपनी की दलील खारिज कर दी। कोर्ट ने पाया कि वाहन की खरीदी के साथ ही सुबह 11.31 बजे बीमा प्रीमियम का भुगतान कर दिया गया था। डीलर आनंद ऑटोमोबाइल्स बीमा कंपनी का अधिकृत एजेंट था और उसने उसी दिन पॉलिसी जारी की।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बीमा अधिनियम की धारा 64VB के अनुसार, जैसे ही बीमा प्रीमियम जमा हो जाता है, बीमा कवर प्रभावी हो जाता है, भले ही पॉलिसी फॉर्मल रूप से बाद में जारी हुई हो। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि “बीमा पॉलिसी की वैधता प्रीमियम की तिथि से मानी जाती है, न कि दस्तावेज़ जारी होने के समय से। बीमा कंपनी पर मुआवजे की जवाबदेही बनती है।”