Bilaspur Highcourt News: पुलिस आवास के लिए वित्त विभाग ने जारी किए 520 करोड़, फिर भी पुलिस विभाग ने नहीं की मांग, डीजीपी से मांगा गया व्यक्तिगत हलफनामा
Bilaspur Highcourt News:– पुलिस आवास के लिए वित्त विभाग ने 520 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। बावजूद इसके पुलिस विभाग से कोई औपचारिक मांग अब तक नहीं हुई है,जिसके चलते पुलिस आवासों का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। मामले में डीजीपी से हाईकोर्ट ने शपथ पत्र मांगा है।
Bilaspur बिलासपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग की आवासीय और भवन मरम्मत संबंधी लापरवाही पर गंभीर रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की खंडपीठ ने राज्य सरकार को कड़े निर्देश देते हुए पूछा कि पुलिस आवास निर्माण और भवन मरम्मत के लिए भारी-भरकम बजट मिलने के बावजूद अब तक वित्त विभाग से धनराशि मांगने की प्रक्रिया क्यों पूरी नहीं की गई। इस मामले में डीजीपी से व्यक्तिगत शपथ पत्र मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी।
सुनवाई के दौरान वित्त विभाग के सचिव द्वारा पेश किए गए हलफनामे में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए गृह (पुलिस) विभाग को नए भवन निर्माण के लिए 520.79 करोड़ रुपये और मरम्मत व रखरखाव के लिए 10 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। लेकिन पुलिस विभाग की ओर से अब तक कोई औपचारिक मांग प्राप्त नहीं हुई है। इसी कारण राशि जारी नहीं हो पाई।
पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन की रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक ने अपने शपथपत्र में कहा कि 2024-25 तक उन्हें केवल भवन निर्माण का कार्य सौंपा गया था, मरम्मत की जिम्मेदारी नहीं थी। 2025-26 से पहली बार मरम्मत कार्य का आवंटन मिला है। इसके तहत पुराने भवनों की सूची तैयार कर मरम्मत और नए निर्माण के प्रस्ताव बनाए गए हैं। इसमें नए मकानों के लिए 390.52 करोड़, भवन मरम्मत के लिए 16.63 करोड़ और 11.72 करोड़ के अलग-अलग प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को भेजे गए हैं, जिनकी मंजूरी का इंतजार है।
डीजीपी को नोटिस जारी
अदालत ने पुलिस महानिदेशक से व्यक्तिगत हलफनामा मांगते हुए स्पष्ट करने को कहा है कि बजट उपलब्ध होने के बावजूद आवास निर्माण और मरम्मत के लिए वित्त विभाग को मांग क्यों नहीं भेजी गई। मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर 2025 को होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश तत्काल डीजीपी तक पहुंचाने का निर्देश भी दिया है।