Bilaspur High Court News: ट्रांसफर के बाद कर्मचारी को अपनी पद पर बने रहने का अधिकार नहीं, हाई कोर्ट का बड़ा फैसला

Bilaspur High Court News: स्थानांतरण आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि एक बार ट्रांसफर आदेश पूरी तरह से निष्पादित हो जाने के बाद उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, समाधान नए या उचित आदेश जारी करने में निहित है, न कि पहले से निष्पादित स्थानांतरण को चुनौती देने में। याचिकाकर्ता लेक्चरर ट्रांसफर विद्यालय में काम कर रहा है,जिससे ट्रांसफर के कार्यान्वयन की पुष्टि हुई। डिवीजन बेंच ने माना कि ट्रांसफर आदेश लागू होने के बाद याचिकाकर्ता को अपनी पूर्व नियुक्ति पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।

Update: 2025-11-02 12:19 GMT

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। स्थानांतरण आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि एक बार ट्रांसफर आदेश पूरी तरह से निष्पादित हो जाने के बाद उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, समाधान नए या उचित आदेश जारी करने में निहित है, न कि पहले से निष्पादित स्थानांतरण को चुनौती देने में। याचिकाकर्ता लेक्चरर ट्रांसफर विद्यालय में काम कर रहा है,जिससे ट्रांसफर के कार्यान्वयन की पुष्टि हुई। डिवीजन बेंच ने माना कि ट्रांसफर आदेश लागू होने के बाद याचिकाकर्ता को अपनी पूर्व नियुक्ति पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि कर्मचारी के ट्रांसफर, पोस्ट पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद ट्रांसफर आदेश को चुनौती देना सामान्यतः स्वीकार्य नहीं होता।

इतिहास विषय के लेक्चरर संजय कुमार यादव ने स्थानांतरण आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दायर याचिका में लिखा है कि वह शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अभनपुर में इतिहास विषय के लेक्चरर के पद पर कार्यरत थे। राज्य शासन की युक्तियुक्तकरण नीति के तहत अतिशेष घोषित करते हुए उसे राजपुर के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ट्रांसफर कर दिया। काउंसलिंग के दौरान बताया कि स्कूल में इतिहास विषय का पद रिक्त ना हाेने के कारण संभागीय काउंसलिंग समिति के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराने का आदेश दिया गया। संभागीय समिति के समक्ष काउंसलिंग के बाद उसका तबादला बस्तर जिले में कर दिया गया। याचिका के अनुसार इसी बीच अभनुपर के प्रभारी प्राचार्य का प्राचार्य के पद पर पदोन्नत हो गया और राज्य शासन ने अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया। प्रभारी प्राचार्य के स्थानांतरण के चलते उसके मूल विद्यालय, अभनपुर में लेक्चरर (इतिहास) का एक पद रिक्त हो गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि मूल विद्यालय में पद रिक्त होने की स्थिति में उसे अभनपुर में ही रखा जाना चाहिए था। याचिका के अनुसार स्थानांतरण आदेश को रद्द करने समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया। इस बीच उन्होंने नई पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता डिवीजन बेंच के समक्ष याचिका पेश की थी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य शासन का ट्रांसफर आदेश मनमाना और अनुचित था। उन्होंने कहा कि सिंगल बेंच ने रिट याचिका को केवल इसलिए खारिज कर दिया, याचिकाकर्ता पहले ही ट्रांसफर पद पर कार्यभार ग्रहण कर चुके थे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि याचिकाकर्ता पर राज्य शासन के प्राधिकारियों का दबाव था। इसके चलते उसने नई पदस्थापना वाले स्कूल में ज्वाइनिंग देनी पड़ी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय एवं अन्य बनाम आर. अगिला एवं अन्य में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि इस तरह कार्यभार ग्रहण करने से आदेश को चुनौती देने पर कोई रोक नहीं लगती।

याचिकाकर्ता के आरोपों का राज्य शासन ने दिया जवाब

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में लिखा है कि अभनपुर स्कूल के प्रभारी प्राचार्य ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के समक्ष याचिकाकर्ता को अतिशेष घोषित नहीं करने का अनुरोध किया था।प्रभारी प्राचार्य के अनुरोध को विभागीय अधिकारियों ने सिरे से खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता शिक्षक ने कहा कि तबादला आदेश राज्य शासन की युक्तियुक्तकरण नीति का सीधेतौर पर उल्लंघन करता है, क्योंकि अभनपुर स्कूल में इतिहास का कोई लेक्चरर नहीं रह गया, जो शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण नीति के मूल उद्देश्य को ही कमजोर करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राधिकारियों ने काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान अभनपुर में इतिहास विषय के लेक्चरर सहित उपलब्ध रिक्तियों के बारे में जानकारी छिपाई, जिससे उसे विचार के लिए उचित अवसर नहीं मिल पाया।

राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसरों ने कहा कि स्थानांतरण आदेश कानून और प्रशासनिक नीति के अनुसार जारी किया गया। याचिकाकर्ता पहले ही नए पद पर कार्यभार ग्रहण कर चुका था। इसलिए ट्रांसफर अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण और परामर्श प्रक्रिया के बाद किया गया।

डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले का रखा बरकरार, लेक्चरर की याचिका खारिज

मामीले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता लेक्चरर ने ट्रांसफर स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही ट्रांसफर का विरोध करते हुए याचिका दायर की है। यू.पी. सिंह बनाम पंजाब नेशनल बैंक मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि एक बार जब कोई कर्मचारी ट्रांसफर पोस्ट पर कार्यभार ग्रहण कर लेता है तो आदेश स्वीकार कर लिया गया माना जाता है।

अनुपालन से पहले कोई भी शिकायत दर्ज की जानी चाहिए। तरुण कानूनगो बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले में दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह माना गया कि एक बार ट्रांसफर आदेश पूरी तरह से निष्पादित हो जाने के बाद उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। इसके अलावा, समाधान नए या उचित आदेश जारी करने में निहित है, न कि पहले से निष्पादित स्थानांतरण को चुनौती देने में।

यह देखा गया कि लेक्चरर ट्रांसफर विद्यालय में काम करता रहा, जिससे ट्रांसफर के कार्यान्वयन की पुष्टि हुई। डिवीजन बेंच ने माना कि ट्रांसफर आदेश लागू होने के बाद याचिकाकर्ता को अपनी पूर्व नियुक्ति पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

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