Bastar Loksabha Chunav 2024: बस्तर में 60 हजार जवान पहले से, 350 कंपनी चुनाव के लिए भी, फिर भी बारुदी सुरंगों का खतरा इतना ज्यादा कि 150 से अधिक पोलिंग बूथों पर हेलिकाप्टर का सहारा

Bastar Loksabha Chunav 2024: कश्मीर के बाद बस्तर देश का दूसरा संसदीय क्षेत्र होगा, जहां सबसे अधिक केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान तैनात हैं। पैरा मिलिट्री और छत्तीसगढ़ आर्म्स फोर्स को मिला दें तो करीब 60 बटालियन। असल में, बस्तर में आमने-सामने की लडाई नहीं। नक्सली गुरिल्ला वार और बारुदी सुरंगों के जरिये फोर्स को नुकसान पहुंचाते हैं।

Update: 2024-04-05 08:29 GMT

Bastar Loksabha Chunav 2024: जगदलपुर/रायपुर। देश के सर्वाधिक नक्सल हिंसा प्रभावित बस्तर में शांतिपूर्ण मतदान कराना भारत निर्वाचन आयोग के लिए हमेशा चुनौती भरा रहता है। हर बार आयोग को सुरक्षा की तगड़ी तैयारी करनी पडती है। इस बार लोकसभा चुनाव के पहले फेज में छत्तीसगढ़ में एक सीट पर वोटिंग होनी है, वह बस्तर संसदीय सीट है। बस्तर के लिए चुनाव आयोग ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की 350 कंपनियांं की तैनाती की स्वीकृति दी है। इनमें करीब 111 कंपनी बाहर से आएगी, और बची कंपनियों को बस्तर में तैनात बटालियनों में से निकाली जाएंगी।

बस्तर में 62 हजार हथियारबंद जवान

फोर्स की तैनात के मामले में कश्मीर के बाद बस्तर देश का दूसरा इलाका है जहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की करीब 45 बटालियन तैनात हैं। हालांकि, छत्तीसगढ़ में सीआरपीएफ, बीएसएफ और आईटीबीपी की 49 बटालियन तैनात हैं। मगर इनमें से कुछ गरियाबंद, सरगुजा और राजनांदगांव में हैं। एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने एनपीजी न्यूज को बताया कि 49 में से 45 बटालियन बस्तर में तैनात हैं। एक बटालियन में एक हजार जवान होते हैं। याने 45 हजार। और 17 बटालियन छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के हैं। याने करीब 62 हजार। इसके अलावे थानों में राज्य पुलिस के जवान हैं।

बारुदी सुरंगों का जाल

बस्तर में केंद्रीय और राज्य सशस्त्र बलों की तैनाती तो बड़ी संख्या में है मगर बस्तर के भूगोल और वर्तमान परिस्थितियों के बारे में जिसे पता है, उसे आश्चर्य नहीं होगा। बस्तर एक तो क्षेत्रफल के मामले में केरल राज्य से बड़ा है। इतना बड़ा कि बेल्जियम और इजराईल जैसे देश भी उससे पीछे हैं। मणिपुर बस्तर से काफी छोटा ही नहीं बल्कि आबादी के मामले में भी कम है। बस्तर के सघन जंगल, सर्पिली सड़कें, उंचे पहाड़ नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं। फिर माओवादियों ने सड़कों में बारुदी सुरंगों का जाल बिछा दिया है। बस्तर में पोस्टेड रहे एक रिटायर आईजी ने बताया कि पुरानी सड़कों में बारुदी सुरंगे तो बिछी ही है, नई सड़कों पर भी कई वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। वे बताते हैं, बारुदी सुरंगे नक्सलियों के लिए बड़ा हथियार हैं। बस्तर के नक्सली इलाकों में वाहन से फोर्स नहीं जाते। अलबत्ता, पैदल जाते सुरक्षा बलों को भी वे बारुदी सुरंगों को विस्फोट कर भगदड़ मचा देते हैं और उसके बाद फिर अंधाधुंध फायरिंग। बस्तर में 95 प्रतिशत नक्सली घटनाएं बारुदी सुरंगों के जरिये की गई है। नक्सलियों ने सड़कों पर विस्फोटक इतने गहरे लगाए हैं कि फोर्स के सुरक्षा उपकरण भी वे पकड़ नहीं पाते।

196 मतदान केंद्र क्रीटिकल

निर्वाचन आयोग ने बस्तर संभाग के छह जिलों के 196 मतदान केंदों को बेहद क्रीटिकल बूथ के तौर पर चिन्हित किया है। इन सभी केंद्रों में केंंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया जाएगा। इन बूथों पर निगरानी के लिए माईक्रो आब्जर्बर नियुक्त किए जाएंगे। वेबकास्टिंग के जरिये भी इन बूथों की मानिटरिंग की जाएंगी।

156 केंद्रों पर हेलिकाप्टर से पोलिंग पार्टी

बस्तर के छह जिलों के 156 मतदान केंद्रों तक पहुंचने का रास्ता नक्सलियों के गढ से होकर जाता है। उन सड़कों पर माओवादियों ने अनगिनत बारुदी सुरंगे बिछा रखी है। नक्सली उन सड़कों पर कई बड़े वारदातों को अंजाम देकर 300 से अधिक सुरक्षा बलों के जवानों की जान ले चुके हैं। इसलिए चुनाव आयोग इन इलाकों में हेलिकाप्टर से मतदान दल भेजेगा। इसके लिए 10 एमआई हेलिकाप्टरों की सेवाएं ली जाएंगी। अफसरों ने बताया कि हेलिकाप्टरों की लैंडिंग के लिए 44 बेस बनाए गए हैं।

234 मतदान केंद्र शिफ्ट

निर्वाचन आयोग ने सुरक्षा की दृष्टि से बस्तर संभाग के आठ में से पांच जिलों के 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्थ किया है। ये 234 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां बिना रोड ओपनिंग के सुरक्षा बलों की टुकड़िया भी नहीं जा सकती। इनमें से कई स्थानों पर सुरक्षा बलों के कैंपों में तैनात जवानों के लिए हेलिकाप्टर से जरूरी सामान भेजे जाते हैं। या फिर रोड ओपनिंग के बाद गाड़ियों का काफिल रवाना होता है।

2 एयर एंबुलेंस तैयार

बस्तर में आपात स्थिति में मतदान कर्मी या जवानों को बेहतर इलाज के लिए शिफ्थ करने दो एयर एंबुलेंस तैयार रहेंगे। इनमें एक हेलिकाप्टर और एक चार्टर प्लेन शामिल हैं। दोनों जगदलपुर पहुंच चुके हैं। और 21 अप्रैल तक यहीं रहेंगे। किसी हादसे में जख्मी मतदान कर्मी या जवानों को रायपुर से बाहर मेट्रो सिटी में शिफ्थ करना होगा, तो उसके लिए एयर एंबुलेंस के रूप में एयरफोर्स का चार्टर प्लेन 24 घंटे अलर्ट मोड में रहेगा।

पैदल चलना होगा

बस्तर में सुरक्षा की दृष्टि से 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्थ किया गया है, इससे सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा के मतदान केंद्र 196 के वोटरों को 18 किलोमीटर पैदल चलकर मुर्लिगुदा मतदान केंद्र के कक्ष क्रमांक-2 जाना होगा। ये इलाके बारुदी सुरंगों से इस कदर पटे हुए हैं कि न चुनाव आयोग और न ही राजनीतिक पार्टियों वहां के वोटरों के लिए कोई वाहन का इंतजाम कर सकते। क्योंकि, नक्सली हमेशा वोटिंग का विरोध करते हैं। वे नहीं चाहेंगे कि कोई ग्रामीण उन बूथों पर आसानी से पहुंच जाएं।

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