Patwari Strike: पटवारी राज होगा खत्‍म! पटवारियों की हड़ताल से सरकार प्रेशर में नहीं, रेवेन्यू रिकार्ड का ऑनलाइन अपलोडिंग महीने भर से बंद

Patwari Strike: छत्तीसगढ़ में महीने भर से पटवारी हड़ताल पर हैं। वे दैनंदिनी काम तो कर रहे हैं मगर ऑनलाइन वाला काम रोक दिया है। मगर सरकार भी इस बार प्रेशर में नहीं है। जबकि, जमीनों का खसरा, नक्शा, नामंतरण को ऑनलाइन अपलोडिंग का काम ठप्प पड़ा हुआ है। दरअसल, सब कुछ ऑनलाइन हो जाएगा तो पटवारियों के पास कुछ बचेगा नहीं। जाहिर है, सबका एक टाईम होता है। देश में नरेंद्र मोदी सरकार ने लैंड रिफर्म का काम प्रारंभ किया है, उससे अब पटवारियों का महत्व खतम कर देगा।

Update: 2025-01-15 09:41 GMT
Patwari Strike: पटवारी राज होगा खत्‍म! पटवारियों की हड़ताल से सरकार प्रेशर में नहीं, रेवेन्यू रिकार्ड का ऑनलाइन अपलोडिंग महीने भर से बंद
  • whatsapp icon

Patwari Strike: रायपुर। वैसे तो पटवारियों की हड़ताल आमतौर पर चलती रहती है। मगर इस बार की हड़ताल जरा लंबी हो गई है। महीने भर से पटवारी बाकी काम तो कर रहे हैं मगर ऑनलाइन अपलोडिंग का काम बंद कर दिया है।

इससे छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन खसरा, बटांकन और नामांतरण का काम रुक गया है। जाहिर है, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सभी कलेक्टरों को राजस्व दुरूस्त करने कहा था। इसके बाद सभी जिलों में खसरा, बटांकन काम चल रहा है।

पटवारियों की हड़ताल से ऑनलाइन रिकार्ड अपडेट नहीं हो पा रहा। वहीं, नकल भी नहीं निकल रहा। किसी को जाति प्रमाण पत्र बनाना है या फिर आय प्रमाण पत्र...इस कार्य में दिक्कत जा रही है।

पटवारियों की मांग है कि कंप्यूटर, इंटरनेट जैसे ऑनलाइन काम करने वाले टूल की सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की है, इसलिए वे इसे नहीं करेंगे। उनकी मांग है कि कंप्यूटर, इंटरनेट के साथ ही कंप्यूटर हैंडिल करने वाला आदमी दिया जाए। सरकार जब ये सुविधाएं मुहैया कराएगी, तभी वे ऑनलाइन काम करेंगे। हालांकि, अधिकांश पटवारियों ने ये सुविधाएं अपने स्तर पर जुटा रखी है मगर वे चाहते हैं कि सरकार ये काम करें।

उधर, पटवारियों की हड़ताल के महीने भर हो गए हैं मगर अभी तक सरकार के स्तर पर कोई बातचीत की कोशिश नहीं हुई है। जाहिर है, सरकार भी समझ रही कि जब पूरे देश में लैंड रिकार्ड का डिजिटलाइजेशन हो रहा है तो छत्तीसगढ़ में भी करना ही होगा।

असल में, लैंड रिकार्ड का अगर डिजिटलाइजेशन हो गया तो फिर सारा चीज आम आदमी के हाथ में आ जाएगा। जैसे पहले रेलवे की टिकिट या रिजर्वेशन के लिए बिना काउंटर पर लाइन लगाए संभव नहीं था। बैंकों से पैसा निकालने में दिन का आधा समय निकल जाता था।

उसी तरह जमीनों का डिजिटलाइजेशन होने के बाद सब कुछ मोबाइल पर उपलब्ध होगा। जमीनों को बेचने या खरीदने से पहले अभी आदमी सबसे पहले पटवारी के दरवाजे पर दौडकर जाता है। बिना पटवारी के एक इंच इधर-से-उधर आप नहीं कर सकते।

मगर अब जीपीएस की तरह आप अपने मोबाइल पर लोकेशन डाल अपने प्लॉट पर पहुंच सकते हैं...जमीन का खसरा, चौहदी सभी कुछ ऑनलाइन निकाल सकते हैं।

कुल मिलाकर आने वाले समय में पटवारियो का मोनोपल्ली समाप्त हो जाएगा। जाहिर है, छत्तीसगढ़ में सबसे भ्रष्ट कोई विभाग है तो वह है रेवेन्यू। जमीनों की रजिस्ट्री के साथ ही आटोमेटिक नामंतरण का काम कई राज्यों में प्रारंभ हो चुका है मगर छत्तीसगढ़ के राजस्व अधिकारी नहीं चाहते कि उनकी कमाई का जरिया बंद हो।

असल में, लाखों की संख्या में जमीनों का नामंतरण होता है। सामान्य साइज के प्लॉट के नामंतरण का 10 हजार रुपए फिक्स है। अगर आटोमेटिक नामंतरण होने लगा तो फिर मोटी कमाई से राजस्व विभाग के लोगों को वंचित होना पड़ेगा।

Tags:    

Similar News