IPS Satish Gajabhiye Biography in Hindi: जानिए बिलासपुर विधानसभा सीटों के लिए पर्यवेक्षक बने उड़ीसा कैडर के IPS सतीश गजभिए के बारे में

Update: 2023-10-29 13:35 GMT

बिलासपुर। बिलासपुर जिले की 6 विधानसभा सीटों में निर्वाचन आयोग द्वारा पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में उड़ीसा कैडर के आईजीपी रैंक के सतीश गजभिए को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है। सतीश गजभिए बिलासपुर पहुंच गए हैं।

नामांकन सहित अन्य निर्वाचन संबंधित शिकायत या बाधाओं के लिए कोई भी व्यक्ति सीधे उनसे संपर्क कर अपनी परेशानियों को दूर करने के लिए उनसे व्यक्तिगत रूप में मिल सकते हैं। IPS गजभिए एसीसीएल गेस्ट हाउस इंदिरा विहार में ठहरेंगे और प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक इस स्थान पर शिकायतों के समाधान के लिए उपलब्ध रहेंगे।

सतीश गजभिए लगातार 14 सालों की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद एक साथ तीन प्रमोशन पाए हैं। जाने उनके बारे में..

सतीश गजभिए उड़ीसा कैडर के 2002 बैच के आईपीएस है। सतीश गजभिए के खिलाफ एक जांच के बाद उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई थी। जिसके परिणामस्वरूप उनका प्रमोशन एसपी से ऊपर के रैंक में नहीं हो पा रहा था।

दरअसल मामला तब का है जब गजभिए सन 2008 में मलकानगिरी जिले के एसपी हुआ करते थे। उस समय सीपीआई माओवादी की केंद्रीय समिति के सदस्य, माओवादी नेता श्रीरामुलु श्रीनिवास उर्फ सुदर्शन को मलकानगिरी जिले में गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान एसपी रहे सतीश गजभिए को काफी प्रशंसा मिली थी। उग्रवादी श्रीरामुलु उर्फ सुदर्शन उड़ीसा के अलावा आंध्रप्रदेश में भी सक्रिय था। उड़ीसा सरकार के अलावा आंध्र प्रदेश सरकार ने भी सतीश गजभिए की प्रशंसा की थी।

हालांकि कुछ दिनों बाद गजभिए पर आरोप लगें कि उन्होंने वामपंथी उग्रवादियों की गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण के लिए अनुदान का दुरुपयोग किया है। जो इनामी राशी छह पुलिस अधिकारियों और दो नागरिकों को सौंपी जानी थी, जिन्होंने मुखबिर के रूप में काम किया था। उस इनामी राशि को हड़पने का आरोप सतीश गजभिए पर लगा था। उन के खिलाफ एक विभागीय जांच शुरू की गई। जांच के बाद सतीश गजभिए का प्रमोशन गृह मंत्रालय ने रोक दिया था। गजभिए ने इसके खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण कैट में अपील की थी। पर कैट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद गजभिए ने उड़ीसा हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई लगभग 14 साल चली। और पिछले साल 2022 को हाईकोर्ट ने सतीश गजभिए के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने माना कि बगैर वैध जांच प्रक्रियाओं का पालन किए और गजभिए को सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिए बिना एक पक्षीय आदेश जारी किया गया है, जो कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। अतः राज्य सरकार को उनके प्रमोशन संबंधी समस्त लाभ उनके बैचमेट के समान ही पूर्ववर्ती तिथियों से दिए जाने चाहिए।

जब फैसला आया तब सतीश गजभिए पुलिस अधीक्षक रैंक में यातायात प्रशिक्षण संस्थान के एसपी के रूप में कार्यरत थे। उन्हें एसपी से एसएसपी रैंक प्रदान करने के अलावा 23 फरवरी 2016 की तिथि में डीआईजी का रैंक, व 1 जनवरी 2020 की तिथि से आईजी का रैंक राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया गया। उनके बैचमेट के समान ही समस्त सेवा लाभ प्रदान करने के आदेश भी राज्य सरकार ने जारी कर दिए। सतीश गजभिए वर्तमान में भुवनेश्वर में आईजीपी (संचार) के रूप में तैनात हैं।

Tags:    

Similar News