Chhattisgarh CM Secretariat: सीएम विष्णुदेव के सचिवालय में एक लास्ट वेकेंसी और, कोई एडिशनल चीफ सिकरेट्री या प्रिंसिपल सिकरेट्री होगा नियुक्त

Chhattisgarh CM Secretariat: आमतौर पर वर्कलोड की दृष्टि से किसी भी मुख्यमंत्री के सचिवालय में ऑल इंडिया सर्विस के चार अफसर होते हैं। विष्णुदेव के सचिवालय में राहुल भगत को मिलाकर अब तीन अफसर हो गए हैं। चूकि तीनों अफसर एकाध बैच आगे-पीछे के हैं, लिहाजा, एक सीनियर अफसर की गुंजाइश बनी हुई है।

Update: 2024-02-03 15:15 GMT

NPG Story

Chhattisgarh CM Secretariat: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सचिवालय में आईजी रैंक के आईपीएस राहुल देव को सिकरेट्री अपाइंट कर दिया। राज्य बनने के बाद आईपीएस से सिकरेट्री टू सीएम बनने वाले राहुल सूबे के पहले आईपीएस होंगे। बहरहाल, मुख्यमंत्री सचिवालय में सचिवों की संख्या अब तीन हो गई हैं।

छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री का दायित्व संभालने के करीब दसेक दिन बाद विष्णुदेव साय ने पी दयानंद को अपना पहला सिकरेट्री नियुक्त किया था। दयानंद 2006 बैच के आईएएस हैं। दयानंद सुकमा, कवर्धा, कोरबा और बिलासपुर जैसे बड़े जिलों के लगातार कलेक्टर रह चुके हैं। दयानंद के बाद एस. बसव राजू को दूसरा सिकरेट्री बनाया गया। बसव 2007 बैच के सिकरेट्री रैंक के आईएएस हैं। बसव बेमेतरा और रायपुर के कलेक्टर रह चुके हैं। उनके बाद आज राहुल भगत का आदेश निकाला गया। राहुल कांकेर, नारायणपुर, रायगढ़ और कवर्धा के एसपी रह चुके हैं। अभी वे आईजी राजनांदगांव थे। वे भारत सरकार में विष्णुदेव साय के केंद्रीय राज्य मंत्री रहने के दौरान उनके पीएस रह चुके हैं। इसके अलावा केंद्र में डायरेक्टर भी।

याने तीनों आईएएस, आईपीएस 2005, 2006 और 2007 बैच के हैं। आमतौर पर सीएम सचिवालय के कोआर्डिनेशन के लिए तीन-चार बैच सीनियर अफसरों की जरूरत पड़ती है। याने एडिशनल चीफ सिकरेट्री या फिर प्रिंसिपल सिकरेट्री रैंक का। इस दृष्टि से विष्णुदेव सचिवालय में एक वैकेंसी अभी बनी रहेंगी। हालांकि, शीर्ष लेवल पर अधिकारियों की काफी कमी है। एसीएस में तीन ही आईएएस हैं। रेणु पिल्ले, सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ। रेणु और सुब्रत सीएम के सचिव बन नहीं सकते। बचे मनोज। मनोज भी भारत सरकार में काम कर चुके हैं। उनके बाद छत्तीसगढ़ में प्रमुख सचिव की बात करें तो सिर्फ एक नाम है...निहारिका बारिक की। दिल्ली में जरूर गौरव द्विवेदी, डॉ0 मनिंदर कौर द्विवेदी, सुबोध सिंह और सोनमणि बोरा...ये चार नाम हैं। तीनों सेंट्रल डेपुटेशन पर हैं। अब देखना है कि सरकार इन विकल्पों में से किसका चयन करती है।


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