अरुण गोविल का जीवन परिचय (जीवनी) : Arun Govil Biography in Hindi

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Update: 2024-04-15 14:28 GMT

Arun Govil Biography in Hindi, Age, Wiki, Wife, Family, Election, Date of Birth, Wife, Family, Height, Career, Net Worth, Daughter, Children, Politics, Party, Quotes: अरुण गोविल का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में 12 जनवरी 1958 को हुआ था। उनका बचपन शाहजहांपुर में बीता। उनके पिता का नाम श्री चन्द्र प्रकाश गोविल है, वो एक सरकारी अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। अरुण गोविल ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढाई की।

अरुण गोविल ने श्रीलेखा गोविल से शादी की। दोनों के दो बच्चे हैं, वो अपने परिवार के साथ मुंबई में ही रहते हैं। अरुण गोविल का बेटा मुंबई में बैंकर के तौर पर काम करता है, वहीं बेटी विदेश में पढ़ाई कर रही हैं।

अरुण गोविल का फ़िल्मी कैरियर

1975 में अरुण गोविल अपने भाई के साथ कारोबार करने आएथे लेकिन इस कार्य में रूचि न होने की वजह से उन्होंने सिनेमा में अभिनय करने का निर्णय किया।फ़िल्मी पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड) न होने की वजह से शुरूआती दिनों में अरुण गोविल को काफी संघर्ष भी झेलने पड़े। उन्हें भारतीय सिनेमा में अभिनय करने का पहला मौका 1977 में राजश्री प्रोडक्शन के द्वारा बनी फिल्म पहेली से मिली। इस फिल्म में उनका किरदार छोटा था लेकिन अभिनय को लेकर लोगों की अच्छी सराहना मिली।

अरुण गोविल ने बड़े पर्दे पर

पहेली में किये गए अभिनय से प्रभावित राजश्री प्रोडक्शन के संस्थापक ताराचंद बडजात्या ने अरुण गोविल के साथ तीन फ़िल्में करने की घोषणा की जिसमे अरुण गोविल मुख्य कलाकर की भूमिका निभाई। ये तीन फ़िल्में ‘सावन को आने दो’, ‘राधा और सीता’ और ‘सांच को आंच नहीं’ 1979 में बनी. जिसमे सावन को आने दो और सांच को आंच नही ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता पायी जिसने अरुण गोविल को उस दौर का स्टार अभिनेता के रूप में पहचान दिलाई. हिंदी फिल्मों के अलावा अरुण गोविल ने बंगाली, तेलुगु, कन्नड़ और भोजपुरी भाषा की कई फिल्मों में काम किया जो सफल रहीं।

अरुण गोविल छोटे पर्दे पर

अरुण गोविल ने बड़े पर्दे के अलावा छोटे पर्दे पर भी काम किया, उन्होंने कई टेलीविज़न धारावाहिकों में अभिनय किया जिसमे विक्रम बेताल, रामायण, लव कुश, विश्वामित्र, बसेरा, बुद्ध आदि प्रसिद्ध रहे।अरुण गोविल को रामानंद सागर ने टेलीविज़न धारावाहिक विक्रम और बेताल (1985) में विक्रमादित्य (1985) के रूप में अभिनय का मौका दिया, लेकिन उनको देशव्यापी प्रसिद्धि रामानंद सागर के द्वारा हीं बनाई गई धारावाहिक रामायण (1986) से मिली जिसमे अरुण गोविल ने भगवन राम की भूमिका निभाई। गोविल के द्वारा राम के निभाए गये किरदार ने भारतीय टेलीविज़न हीं नही लोगों के मानस में भी जगह बनाई।

रामायण की प्रसिद्धि को लेकर टेलीविज़न पर दिए गए एक वक्तव्य में अरुण गोविल कहते हैं कि “जब मुझे पता चला कि वे (रामानंद सागर) रामायण बना रहे हैं, तो मैंने उनसे कहा कि मैं राम की भूमिका करना चाहूंगा। मेरे दिमाग में आया कि मुझे वह किरदार निभाना चाहिए। मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि मुझे लगा कि यह मेरे करियर के लिए बहुत अच्छा होगा। प्रोजेक्ट ऐसा था कि मुझे ऐसा करने का मन हुआ। यह मेरे करियर और जीवन में बहुत महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। लोग आज भी मुझे राम के नाम से जानते हैं। यहां तक कि एयरपोर्ट जैसी जगहों पर भी वे मेरे पैर छूते हैं। यह 30 से अधिक वर्षों से हो रहा है। यह अभी भी लोगों के मन में अटका हुआ है। न केवल पुरानी पीढ़ी, बल्कि नई पीढ़ी ने भी इसे देखा है। यह न केवल भारतीय टेलीविजन, बल्कि भारतीय जनमानस में भी बस गया है।"

माना जाता है की उनके द्वारा भगवान् राम की निभाए गये उस किरदार ने एक लोगों के मन में अमिट छाप छोड़ी, तब से लोग उन्हें राम ही मानाने लगे थे। जिसने उनके फ़िल्मी करियर को भी प्रभावित किया। रामायण के बाद के जो अलग अलग किरदार उन्होंने फिल्मों में निभाए वो लोगों द्वारा सहज स्वीकार्य नही हुए जिसकी वजह से उन्हें फिल्मों तथा टेलीविज़न से दूरी बनानी पड़ी।

अरुण गोविल का निजी जीवन

अरुण गोविल अपने चार भाई और दो बहनों में चौथे नंबर पैर थे उनके पिता का नाम श्री चन्द्र प्रकाश गोविल है। अरुण गोविल की शादी अभिनेत्री श्रीलेखा से हुई, उनके दो बच्चे अमल (बेटा) तथा सोनिका (बेटी) हैं. अरुण गोविल के बेटे अमल की शादी दिव्या से हुई जिनके पुत्र का नाम आर्यवीर और पुत्री आरियाना है। अरुण गोविल के बड़े भाई विजय गोयल हैं जिनकी शादी तबस्सुम से हुई, तबस्सुम दूरदर्शन पर प्रसारित सेलेब्रिटी टॉक शो 'फूल खिले हैं गुलशन गुलशन' के मेजबान (होस्ट) के रूप में जानी जाती हैं। यह टॉक शो 21 साल तक दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। विजय गोविल और तबस्सुम के पुत्र का नाम होशांग गोविल है जो फिल्म तथा टेलीविज़न में काम करते हैं।

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