Chhattisgarh News: सजा तो आखिर सजा है, छह महीने हो या फिर छह घंटे.....इस महिला के साथ कुछ ऐसा ही हुआ

Chhattisgarh News: चेक बाउंस के मामले में निचली अदालत ने महिला को सुनाया था छह महीने की सजा,ऊपरी अदालत ने कोर्ट उठने तक दी सजा और ठोंक दिया 50 हजार का जुर्माना,कोर्ट ने 6 महीने की दी है मोहलत, तब भुगतना पड़ेगा 6 महीने का सश्रम कारावास

Update: 2024-08-11 07:34 GMT

Chhattisgarh High Court

Chhattisgarh News: बिलासपुर। ब्यूटी पार्लर और पति के लिए किराना दुकान खोलने एक महिला ने अपने रिश्तेदार से 7 लाख रुपये उधार ली। उधार लेते वक्त रकम कब तक देना है यह भी तय हो गया था। तय समय पर रकम जमा ना कर पाने पर उसने रिश्तेदार को चेक थमा दी। चेक बाउंस हो गया। मामला कोर्ट पहुंचा।

मामले की सुनवाई के बाद निचली अदालत ने छह महीने सश्रम कारावास की सजा के साथ ही उधारी की रकम जमा करने का निर्देश दिया था। महिला ने इसे सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। सेशन कोर्ट ने 50 हजार रुपये का जुर्माना ठोंकते हुए कोर्ट उठने तक सजा सुनाई। सेशन कोर्ट ने महिला को यह भी चेतावनी दी है कि 60 दिन के भीतर उधारी की रकम 7 लाख रुपये और 50 हजार जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने पर 6 माह का सश्रम कारावास भुगतना पड़ेगा।

सजा तो आखिर सजा होती है। छह महीने का हो या फिर छह घंटे। अदालत के रिकार्ड में सब-कुछ चढ़ जाता है। ऐसे लोगों के लिए खास मायने रखता है जिनको राजनीति करनी होती है। छह घंटे की सजा भी उनके भी तब भारी पड़ जाता है, जब छोटे से लेकर बड़े चुनाव में आपत्ति होती है और चुनाव अधिकारी पर्चा को झटके में खारिज कर देता है। कुछ ऐसा तो फिलहाल नहीं हुआ। मामला जरुर रोचक है।

बिलासपुर के राजेंद्र नगर निवासी सुरैया बेगम ने खुद के लिए ब्यूटी पार्लर और पति के लिए किराना दुकान खोलने अपने रिश्ते के देवर से आर्थिक सहयोग मांगा था। मदद के दौरान उसने यह भी आश्वासन दिया था कि मायके में संपत्ति बंटवारा हो रहा है। यह काम होते ही वह रकम लौटा देगी। उनकी बातों में भरोसा करते हुए और जल्द राशि देने के वायदे को सही मानते हुए रिश्ते के देवर सिराज मोहम्मद ने उसे अपनी पत्नी के जेवर बैंक में गिरवी रखकर और एसबीआई से लोन लेकर 7 लाख रुपए दिए। यह राशि जून 2012 से लेकर मई 2013 तक के लिए था। सुरैया ने तय तिथि में राशि लौटा देने की बात भी कही थी।

दिए गए समय पर रकम वापस न मिलने पर सिराज ने उससे संपर्क किया, तो उसने 25 अक्टूबर 2014 को एक चेक साइन करके उसे दे दिया। चेक देते वक्त उसने सिराज से 5 दिसंबर को बैंक से रकम निकाल लेने की बात कही। सिराज ने सुरैया ने जो तिथि बताई थी उसके एक दिन बाद 6 दिसंबर को बैंक में चेक लगाया। बैंक के कैशियर ने जब सुरैया का अकाउंट चेक किया तो अकाउंट में उतनी राशि ही नहीं थी। लिहाजा चेक बाउंस हो गया। इसकी जानकारी सिराज ने सुरैया को दी। इसके बाद भी उसने उधार लिए रकम नहीं लौटाई। इसके बाद सिराज ने निचली अदालत में परिवाद पेश कर कार्रवाई की मांग की थी।

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