Bilaspur News: करोड़ों के सरकारी जमीन के खेला में तहसीलदार की भूमिका आई सामने: पर्दे के पीछे एक डिप्टी कलेक्टर ने रची साजिशें
Bilaspur News: करोड़ों के सरकारी जमीन के खेला में एक तहसीलदार की भूमिका सामने आई है। ऐसा इसलिए हुआ कि एक ही मामले में तहसीलदार ने दो दिनों के भीतर दो आदेश जारी कर दिया है। पहले आदेश को डिलीट करते हुए तहसीलदार ने 24 घंटे के भीतर दूसरा आदेश जारी कर दिया। तहसीलदार कागजों में फंस गया, पर भीतर ही भीतर इस पूरे खेल में एक डिप्टी कलेक्टर की भूमिका और उनके द्वारा रची गई साजिशों की चर्चा अब भी प्रशासनिक स्तर पर हो रही है। देखें तहसीलदार का एक ही मामले में दो आदेश।

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Bilaspur News: बिलासपुर। बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए बिलासपुर तहसीलदार मुकेश देवांगन ने बड़ा खेला कर दिया। किसान की जमीन के पीछे स्थित बिल्डर को रास्ता देने के लिए तहसीलदार ने पहले शुक्रवार 31 जनवरी के दिन आदेश जारी कर किसान को सात दिनों में जमीन खाली करने का आदेश जारी किया था। दूसरे दिन तहसीलदार ने अपने ही आदेश को पलटते हुए किसान को दो दिनोें की मोहलत दी। सात दिन काे दो दिन करने के पीछे किसान को हाई कोर्ट तक पहुंचने न देने की मंशा झलक रही है। जब तहसीलदार ने अपना आदेश पलटा और किसान काे जब दो दिन का अल्टीमेटम दिया उन दो दिनों में अवकाश था।
सरकारी जमीन का फर्जी दस्तावेज तैयार कर कालोनी बनाने की तैयारी में लगे बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए तहसीलदार और एक डिप्टी कलेक्टर ने कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी दिखाई है। बिल्डर को रास्ता देने के लिए तहसीलदार मुकेश देवांगन ने किसान गेंदराम साहू को 31 जनवरी शुक्रवार को तहसीलदार मुकेश देवांगन ने बेदखली आदेश जारी किया था। इसके बाद शनिवार और रविवार को अवकाश था। इसके पहले 7 दिनों तक का समय किसान को बेजा कब्जा हटाने के लिए दिया गया था। किसान के पास अदालत जाने और अपनी बात रखने पर्याप्त समय था। यह देखते हुए या फिर दबाव के चलते तहसीलदार ने दूसरे दिन पहले के आदेश को पलटते सात दिन के बजाय दो दिन का समय दिया। जब तहसीलदार ने आदेश पलटते हुए किसान को दो दिन की मोहलत दी थी तब आने वाले दो दिनों तक शासकीय अवकाश था। हालांकि किसान हाई कोर्ट में अर्जेंट हियरिंग के तहत मामला दायर कर सकता था। जैसे ही किसान को तहसीलदार के कोर्ट से बेजा कब्जा हटाने दो दिनों की मोहलत मिली,उसी रात बिल्डर ने किसान के खड़ी फसल पर एक्सीवेटर चलवा दिया और रातों-रात गिट्टी मुरुम व मिट्टी पाटकर सड़क बना दी। सुबह जब किसन खेत गया तब वह ह देखकर हैरान रह गया कि एक ही रात में ऐसा क्या हो गया कि खेत में सड़क बन गया।
क्या है मामला
कोनी के पटवारी हल्का नंबर 46 के खसरा नंबर 1307/1 व खसरा नंबर 1308 के कुल रकबा 0.234 हेक्टेयर की जमीन राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार गेंदराम साहू पिता स्व. दुर्जन साहू व चिरौंजी बाई पति दुर्जन साहू के नाम दर्ज है। किसान की जमीन के पास ही अज्ञेय नगर निवासी सुभाष चंद्र मिश्रा पिता आरएस मिश्रा का खसरा नंबर 1309/3 और 1305/1 की जमीन है। सुभाष चंद्र मिश्रा जय गुरुदेव इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक फर्म का संचालन करते हैं। सुभाष चंद्र मिश्रा ने अपनी जमीन पर रास्ता दिए जाने हेतु तहसीलदार के न्यायालय में प्रकरण लगाया था। तहसीलदार के आदेश अनुसार पटवारी किसान गेंदराम साहू ने अपनी जमीन के अतिरिक्त खसरा नंबर 1309/1 की 0.40 एकड़ सरकारी जमीन पर काबिज है। रिकॉर्ड के अनुसार यह रास्ते की जमीन है, तहसीलदार ने किसान को खुद से रास्ते की जमीन खाली करवाने के निर्देश दिए थे। ऐसा नहीं करने पर बलपूर्वक जमीन खाली करवाने की बात कही थी। पर बिल्डर ने बिना किसान को सूचना दिए रातों रात खड़ी फसल पर मिट्टी पटवा दी। इसके अलावा सरकारी जमीन पर भी मिट्टी पटवा दी। किसान ने जब जनदर्शन में कलेक्टर अवनीश शरण से शिकायत की तब कलेक्टर ने एसडीएम मनीष साहू से जांच करवाई और मामले का खुलासा हुआ।
एसडीएम की जांच रिपोर्ट में यह सब
एसडीएम मनीष साहू की जांच रिपोर्ट में सेंदरी पटवारी हल्का नंबर 46 स्थित भूमि खसरा नंबर 1309 रकबा 7.57 एकड़ भूमि मिसल बंदोबस्त के अनुसार घास मद में दर्ज है। अधिकार अभिलेख उक्त खसरा के दो बटांकन खसरा नंबर 1309/1 रकबा 4.27 एकड़ रघुवीर सिंह आदि के नाम दर्ज थी। निस्तार पत्रक में खसरा नंबर 1309/1 रकबा 4.27 एकड़ भूमि चराई मद में दर्ज है। अनावेदक ईश्वर पिता कुंजराम ने अपने बयान में बताया है कि शासन से उसे कोई पट्टा प्राप्त नहीं हुआ है। उक्त भूमि पर उनका कब्जा था,जिसे उसने राजेश अग्रवाल पिता बजरंग अग्रवाल को पांच लाख रुपए में विक्रय किया था।
राजेश अग्रवाल और सुभाष चंद्र मिश्रा ने अपने संयुक्त जवाब में बताया है कि 1309/3 रकबा एक एकड़ भूमि को कलेक्टर बिलासपुर से 4 फरवरी 2009 को विक्रय के लिए आदेश प्राप्त कर ईश्वर पिता कुंजराम से खरीदा है। खास बात यह है कि प्रकरण में प्रस्तुत बैनामा दिनांक 23/4/2009 में खसरा नंबर ,1309/9 रकबा एक एकड़ भूमि को राजेश अग्रवाल पिता बजरंग अग्रवाल ने कुंजराम से क्रय किया है। जबकि खसरा नंबर 1309/9 राजस्व अभिलेखों में दर्ज ही नहीं रहा।
सरकारी दस्तावेजों में शामिल किया जमीन
खसरा नंबर 1309/3 रकबा 1.00 एकड को विलोपित करते हुये, ख.नं. 1309/1 रकबा 4. 27 एकड़ भूमि छग शासन के नाम पर दर्ज किये जाने का आदेश प्रकरण की जांच के बाद एसडीएम मनीष साहू ने दिया है।
यहां देखिए आदेश..