Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने डीजे संग लेजर और बीम लाइट से होने वाली परेशानियों पर जताई चिंता और कहा....

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में कानफोड़ू डीजे पर बैन लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने आम लोगों को हो रही परेशानी को लेकर चिंता जताई। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह स्वाभाविक बात है, डीजे के साथ लेजर और बीम लाइट ने लोगों की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ा दी है। चीफ जस्टिस ने डीजे पर प्रभावी अंकुश लगाने लगातार कार्रवाई और मानिटरिंग का निर्देश दिया है।

Update: 2024-11-21 07:58 GMT

Bilaspur High Court: बिलासपुर। डीजे से हो रहे ध्वनि प्रदूषण और कानफोड़ू आवाज के कारण इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि डीजे के भारी शोर के साथ ही लेजर और बीम लाइट से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसकी तेज रोशनी आंखों को नुकसान भी पहुंचा रहा है। राज्य शासन को निर्देशित किया कि समय-समय पर इसकी निगरानी की जाए। डीजे पर सख्ती बरतने ओर पूर्व के निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है।

कानफोड़ू डीजे पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने ध्वनि प्रदूषण नियम को अल्ट्रावायरस घोषित करने की मांग की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोलाहल अधिनियम में कड़े प्रावधान नहीं है,जिसके प्रभावी होने से इस पर अंकुश लगाया जा सके। एक या फिर दो बार 500 से एक हजार रुपये का जुर्माना कर छोड़ दिया जाता है। कोलाहल अधिनियम में प्रावधान ही कुछ ऐसा है कि सामान की जब्ती नहीं कर सकते। और ना ही कड़े नियम ही बनाए गए हैं। इसका फायदा डीजे सहित ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले लोग कर रहे हैं। याचिकाकर्ता के इस मांग के बीच राज्य शासन की ओर पैरवी कर रहे महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने कोर्ट को बताया कि राज्य शासन द्वारा इस संबंध में लगातार कार्रवाई की जा रही है। डीजे संचालकों की बैठक लेकर हाई कोर्ट के निर्देशों की जानकारी भी दी गई है। इस पर लगातार मानिटरिंग की जा रही है।

 राज्य शासन को कार्रवाई और गाइड लाइन की देनी होगी जानकारी

महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों के जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर पूछा है कि हाई कोर्ट के निर्देश के बाद प्रदेशभर में कितने डीजे संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण पर प्रभावी रोक लगाने के लिए क्या दिशा निर्देश दिए गए हैं। विस्तृत जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

 कोर्ट ने कहा, राज्य शासन को करना होगा रोकथाम के उपाय

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि डीजे से हार्ट को खतरा बना रहता है। तेज आवाज से नुकसान पहुंच सकता है। लेजर लाइट से आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। लोगों की जानमाल की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। इस दिशा में गंभीरता के साथ प्रयास किया जाना चाहिए।

 डीजे की तेज आवाज कितनी खतरनाक

WHO के अनुसार, तेज music और ज्यादा समय तक तेज शोर में रहने की वजह से सेहत को कई नुकसान हो सकता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, तय लिमिट से ज्यादा डेसिबल लेवल होने पर सुनने की क्षमता प्रभावित होने के अलावा कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना रहता है। चिड़चिड़ापन के अलावा दिल की बीमारी भी हो सकती है।

 तेज आवाज से इन बीमारियों का रहता है खतरा

बहरापन, मानसिक तनाव, चिड़चिड़ाहट, तेज सिरदर्द, हाई ब्लड प्रेशर,अनिद्रा, याददाश्त कमजोर होना

ब्रेन हैमरेज, किसी चीज पर फोकस न कर पाना, हार्ट अटैक का खतरा।

 बढ़ती है हार्ट बीट

जब लगातार डीजे का साउंड कानों में पड़ता है तो हार्ट बीट बढ़ जाती है, जो स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डर को बढ़ा सकती है। इन परिस्थितियों में कान की नसों का खून गाढ़ा होने लगता है औऱ लंबे समय तक ऐसा रहने से हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।

 इससे ज्यादा आवाज सेहत के लिए बेहद खतरनाक

ध्वनि की तीव्रता डेसिबल (DB) से मापी जाती है. हियरिंग हेल्थ फाउंडेशन के अनुसार हम सबके लिए 70 डेसिबल या उससे कम आवाज सुरक्षित होती है। इससे ज्यादा का शोर खतरनाक हो सकता है।

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