स्कूल में आग लगने से 20 बच्चों की मौत: मृतक छात्रों में ज्यादातर 3 से 8 साल के... दर्जनों घायल

Update: 2021-11-09 11:51 GMT

नईदिल्ली 9 नवम्बर 2021. पश्चिम अफ्रीका के नियामी (नाइजर) के दूसरे सबसे बड़े शहर मरादी के एक स्कूल में आग लगने के कारण 20 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई और दर्जनों जख्मी हुए हैं. सरकार ने सोमवार देर शाम बताया कि एएफएन नाम के प्राथमिक विद्यालय में तीन क्लासरूम आग की चपेट में आए जिससे तीन से आठ साल की उम्र के बच्चों की जान चली गई. क्लासरूम फूस के बने हुए थे. राष्ट्रीय शिक्षा विभाग ने पुष्टि की है कि आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गई है और यह भी देखा जाएगा कि आग कहां से शुरू हुई. पश्चिम अफ्रीका के नाइजर में छात्रों से भरे स्कूलों में अस्थायी क्लासरूम बनाए जाते हैं.

पश्चिम अफ्रीका के नाइजर में भीड़भाड़ वाले स्कूलों में अक्सर पुआल झोपड़ियों का इस्तेमाल अस्थायी क्लासरूम के रूप में किया जाता है. अप्रैल में नाइजर की राजधानी नियामी (Niamey) के बाहरी इलाके में एक प्राइमरी स्कूल में तेज हवाओं की वजह से लगी आग (Fire in Niger School) में 20 बच्चों की मौत हो गई थी. शिक्षकों और अभिभावकों ने कहा है कि मौतें अस्थायी क्लासरूम के खतरों को उजागर करती हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था UNICEF ने इस घटना पर दुख जताया है. संयुक्त राष्ट्र पश्चिमी अफ्रीका के इस गरीब देश को मदद पहुंचाने के लिए काफी योजनाएं चलाता है.

नाइजर में UNICEF के प्रतिनिधि स्टेफानो सावी ने एक बयान में कहा, 'आग लगने की इस घटना में प्रभावित हुए बच्चों और परिवारों के साथ हम खड़े हैं. पीड़ितों के परिवारों और उनके समुदायों के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं.' उन्होंने कहा, 'स्कूल में पढ़ते समय किसी भी बच्चे को कभी भी खतरा नहीं होना चाहिए. UNICEF देश भर में राष्ट्रीय अधिकारियों और भागीदारों के साथ काम करना जारी रखेगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चे स्कूल जा सकें और सुरक्षित वातावरण में सीख सकें.' नाइजर दुनिया के गरीब देशों में आता है और लोगों को यहां शिक्षा हासिल करने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

शिक्षकों ‍एवं माता-पिता ने कहा है कि ऐसी घटनाएं बताती हैं कि अस्थायी क्लासरूम कितने खतरनाक हैं। 

हिंसा, गृहयुद्ध के कारण नाइजर के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में 2017 से ही आपातकाल लागू है. यहां लगातार हिंसक वारदातों में हजारों नागरिक मारे जा चुके हैं और हजारों ने यहां से पलायन कर लिया है. ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) द्वारा पिछले सप्ताह जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस साल तिलबेरी और पड़ोसी क्षेत्र तहौआ में जिहादी हमलों में कम से कम 420 नागरिक मारे गए. 

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