कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर : अब ग्रेच्युटी के लिए 5 साल का इंतजार होगा खत्म!…. केंद्र सरकार कर रही है विचार…जल्द हो सकता है फैसला

Update: 2020-08-09 05:18 GMT

नयी दिल्ली 9 अगस्त 2020। अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में नौकरीपेशा लोगों को ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगा. आने वाले दिनों में ग्रेच्युटी की अवधि एक साल हो सकती है. मतलब ये कि अगर आप एक साल तक लगातार नौकरी कर रहे हैं तो ग्रेच्युटी के हकदार होंगे. अब तक ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारियों को किसी एक कंपनी में लगातार 5 साल काम करना होता है. दरअसल, संसद की स्थायी समिति की ओर से ग्रेच्युटी के लिए 1 साल की अवधि तय करने की सिफारिश की गई है. इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को रिपोर्ट भी सौंप दी गई है.

आपको बता दें कि ये रिपोर्ट सामाजिक सुरक्षा संहिता की है, जो 2019 के शीतकालिन सत्र में लोकसभा में पेश की गई थी. यह संहिता श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नौ कानूनों की जगह लेगी.

समिति की क्या है सिफारिश?

समिति ने बेरोजगारी बीमा और ग्रेच्युटी पाने के लिए लगातार काम करने की अवधि को पांच साल से कम करके एक साल करने की सिफारिश की है.इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को चलाने के लिए उनके वित्त पोषण के स्रोत को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है. हालांकि, सरकार संसदीय समिति की सिफारिश मानने के लिए बाध्य नहीं है.अगर सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में नौकरीपेशा लोगों को ग्रेच्युटी के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना होगा. आने वाले दिनों में ग्रेच्युटी की अवधि एक साल हो सकती है. हालांकि मृत्यु या अक्षम हो जाने पर ग्रेच्युटी अमाउंट दिए जाने के लिए नौकरी के 5 साल पूरे होना जरूरी नहीं है.

क्या है ग्रेच्युटी

ग्रेच्युटी कंपनी की तरफ से अपने कर्मचारियों को दी जाती है. यह एक तरह से कर्मचारी की तरफ से कंपनी को दी गई सेवा के बदले देकर उसका साभार जताया जाता है. इसकी अधिकतम सीमा 20 लाख रुपये होती है. वर्तमान में ग्रेच्युटी कर्मचारी को तभी मिलती है जब वो एक कंपनी में पांच साल तक काम करता है.re

मतलब ये कि अगर आप एक साल तक लगातार नौकरी कर रहे हैं तो ग्रेच्युटी के हकदार होंगे. अब तक ग्रेच्युटी के लिए कर्मचारियों को किसी एक कंपनी में लगातार 5 साल काम करना होता है.दरअसल, संसद की स्थायी समिति की ओर से ग्रेच्युटी के लिए 1 साल की अवधि तय करने की सिफारिश की गई है. इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को रिपोर्ट भी सौंप दी गई है.आपको बता दें कि ये रिपोर्ट सामाजिक सुरक्षा संहिता की है, जो 2019 के शीतकालिन सत्र में लोकसभा में पेश की गई थी. यह संहिता श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा से संबंधित नौ कानूनों की जगह लेगी.

समिति की क्या है सिफारिश?

समिति ने बेरोजगारी बीमा और ग्रेच्युटी पाने के लिए लगातार काम करने की अवधि को पांच साल से कम करके एक साल करने की सिफारिश की है.

इसके अलावा सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को चलाने के लिए उनके वित्त पोषण के स्रोत को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है. हालांकि, सरकार संसदीय समिति की सिफारिश मानने के लिए बाध्य नहीं है.

 

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