अष्टमी स्पेशल: आज है महागौरी का दिन, जानिए कैसे करें पूजा… क्या है विधि, मंत्र, आरती और कन्या पूजन का तरीका….

Update: 2020-04-01 06:29 GMT

रायपुर 1 अप्रैल 2020। 2020 की अष्टमी 1 अप्रैल को पूरे विधि विधान से मनाई जा रही है। नवरात्रि का सबसे खास दिन Maha Ashtami या Durga Ashtami (दुर्गाष्टमी) को ही माना जाता है। इस दिन पर दुर्गा मां के महागौरी स्‍वरूप की पूजा, अर्चना की जाती है। माता महागौरी का विधि- विधान से पूजन करेंगे तो माता उत्तम फल देंगी। मां दुर्गा को पूजने वालों की नजर में तो आज का पर्व काफी महत्वपूर्ण है, लॉकडाउन की वजह से आज लोग कन्या पूजन नहीं कर पा रहे हैं लेकिन आपको बता दें कि इसमें निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि कन्या पूजन का अर्थ होता है दूसरों की मदद करना इसलिए अगर आप चाहें तो कन्याओं के भोज की धनराशि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के कोष में जमा करा सकते हैं।

पूजा विधि: सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। मां सौंदर्य प्रदान करने वाली हैं। हाथ में सफेद पुष्प लेकर मां का ध्यान करें। अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं और उन्हें फल, फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। इसके बाद देवी मां की आरती उतारें। अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ माना जाता है। कन्याओं की संख्या 9 होनी चाहिए नहीं तो 2 कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं की आयु 2 साल से ऊपर और 10 साल से अधिक न हो। कन्याओं को दक्षिणा देने के बाद उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण बाहर से कन्याओं को घर पर बुलाना संभव नहीं है तो ऐसे में कैसे करें पूजा जानिए…

कौन हैं महागौरी?
महागौरी को लेकर दो पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं. एक मान्‍यता के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी, जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया.

एक दूसरी कथा के मुताबिक एक सिंह काफी भूखा था. वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी ऊमा तपस्या कर रही होती हैं. देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गई, लेकिन वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया. इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया. देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आ गई. मां ने उसे अपना वाहन बना लिया क्‍योंकि एक तरह से उसने भी तपस्या की थी.

मां महागौरी की प्रार्थना

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

मां महागौरी की स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मंत्र

1. माहेश्वरी वृष आरूढ़ कौमारी शिखिवाहना।

श्वेत रूप धरा देवी ईश्वरी वृष वाहना।।

2. ओम देवी महागौर्यै नमः।

मां महागौरी बीज मंत्र

श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

मां महागौरी की आरती/Maa Mahagauri Ki Aarti

जय महागौरी जगत की माया।

जया उमा भवानी जय महामाया।

हरिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरा वहां निवासा।

चंद्रकली और ममता अम्बे।

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे।

भीमा देवी विमला माता।

कौशिकी देवी जग विख्याता।

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।

तभी मां ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।

महागौरी की पूजा विधि
सबसे पहले अष्‍टमी के दिन स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनें.
अब लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्‍थापित करें.
अब हाथ में फूल लेकर मां का ध्‍यान करें.
अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक चलाएं.
इसके बाद मां को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें.
अब मां की आरती उतारें.
अष्‍टमी के दिन कन्‍या पूजन श्रेष्‍ठ माना जाता है.
नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें. उन्‍हें खाना खिलाएं और जय माता दी के जयकारे लगाएं.
कन्‍याओं और बाल को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें.
अब उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्‍हें विदा करें.

– इस बार नवरात्रि में घर पर बाहर से किसी भी कन्या को आमंत्रित नहीं कर सकते हैं तो ऐसे में आप कन्या पूजन के लिए घर की बेटी, भतीजी और कोई भी कन्या को भोजन करवाकर उनका पूजन करें। पूजन करने से पहले संकल्प लें कि नवरात्रि में मैं अपनी पुत्री को देवी मानकर उनका पूजन कर रही हूं या कर रहा हूं।

– कन्या को मीठा भोजन जरूर कराएं और उन्हें भेंट दें।

– अगर घर में छोटी कन्या न हो तो उस स्थिति में घर के मंदिर में माता का पूजन करें और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग लगाएं और माता को भेंट सामग्री चढ़ाएं।

– जो प्रसाद माता को चढ़ाएं उसका कुछ हिस्सा गाय को भी खिला दें। फिर माता के प्रसाद को घर के सभी लोग ग्रहण करें।

– कन्या पूजन में प्रसाद के तौर पर सूखे नारियल, मखाना, मूंगफली, मिसरी आदि चीजों की भी भेंट कर सकते हैं। ये चीजें जल्दी खराब नहीं होतीं जिस कारण आप स्थिति सामान्य होने के बाद इन्हें किसी कन्या को या फिर मंदिर में भेंट कर सकते हैं।

– नवरात्रि में देवी को सुहाग की सामग्री भी चढ़ाई जाती है। ज्यादातर लोग इसे माता के मंदिर में चढ़ाते हैं लेकिन इस बार मंदिर बंद होने के कारण आप सुहाग की सामग्री घर पर ही माता की मूर्ति को चढ़ा सकती हैं।
इसके लिए एक लाल वस्त्र में चावल, सिंदूर, हल्दी का टुकड़ा, चूड़ियां, बिंदी, काजल और कुछ पैसे रखकर माता के सामने रखें और उनसे सौभाग्य वृद्धि की प्रार्थना करें।

– नवरात्रि के बाद इस सुहाग की सामग्री को किसी सुहागन स्त्री को भेंट कर दें या खुद भी प्रयोग कर सकते हैं।

 

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