इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार के बाद यूपी सरकार ने विशेष सुरक्षा बल अधिनियम 2020 लागू किया..असीमित अधिकारों से लैस है यूपी विशेष सुरक्षा बल..नीजि कंपनियाँ भी भुगतान कर सेवा ले सकेंगी

Update: 2020-09-14 00:29 GMT

लखनउ,14 सितंबर 2020। उत्तर प्रदेश की अदालतों समेत मेट्रो रेल, प्रशासनिक कार्यालय, पूजा स्थल बैंक औद्योगिक प्रतिष्ठान की सुरक्षा की जवाबदेही के लिए कल देर शाम उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष सुरक्षा बल की अधिसूचना जारी कर दी है। यह विशेष सुरक्षा बल असीमित शक्तियों से लैस है, इसे बग़ैर वारंट के तलाशी लेने और किसी भी व्यक्ति को किसी भी मजिस्ट्रेट के किसी भी आदेश के बिना गिरफ़्तार करने की शक्ति प्राप्त है। बग़ैर राज्य सरकार की अनुमति के कोर्ट भी UPSSF के अधिकारी और कर्मचारियों के ख़िलाफ़ संज्ञान नहीं लेगा।
राज्य के ACS गृह एवं सूचना अवनीश कुमार अवस्थी ने कल देर शाम इसके गठन की जानकारी दी है। प्रदेश में शुरुआती दौर में 8 वाहिनियाँ ( कंपनी ) तैयार की जाएँगी जिनकी संख्या बढ़ेगी।बल का प्रत्येक सदस्य सदैव ड्यूटी पर तैनात माना जाएगा।
ACS अवनीश कुमार अवस्थी ने संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार जल्द ही अधिनियम को क्रियान्वित करने के लिए नियमावली जारी करेगी। प्रदेश के गृह सचिव अवनीश अवस्थी ने इसके गठन की जानकारी देते हुए कहा है
“UPSSF का गठन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है”
असीमित अधिकारों वाले UPSSF के गठन के बाद आलोचनाओं की बाढ़ आई हुई है। लेकिन इससे योगी सरकार पर कोई असर हमेशा की तरह नही पड़ते दिख रहा है। सरकार की सख़्ती के पीछे जो सबसे बड़ा आधार है वो इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी है।
उत्तर प्रदेश में कोर्ट के भीतर अपराधियों के दुर्दांत हरकतों की घटनाएँ हुई हैं। गवाही देते समय कोर्ट के भीतर अपराधियों ने गोलियों से गवाह की हत्या कर दी, कोर्ट कैंपस के भीतर वकीलों की हत्या हो गई। लगातार हुई इन घटनाओं को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट बिफर गई। हाईकोर्ट ने बेहद तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा
“अगर राज्य सुरक्षा बल कोर्ट को सुरक्षा देने में सक्षम है तो केंद्रीय सुरक्षाबलों को तैनात किया जाए”
हाईकोर्ट की यह टिप्पणी राज्य में संगठित और गैरसंगठित अपराधियों की बढ़ती ताक़त और राज्य की बेबस कानून व्यवस्था पर करारा प्रहार मानी गई थी, जिसके बाद असीमित शक्तियों वाले UPSSF का गठन तय हुआ जो कि अब अस्तित्व में आ गया है।

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