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कुलपति प्रो. चक्रवाल बोले...सीयू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने स्वयं को दधीचि की तरह समर्पित कर दूंगा, AICTE चेयरमैन सहस्त्रबुद्धे ने विवि में चल रहे विकास के कार्याे को सराहा

इस विश्वविद्यालय में पिछले पांच महीनों में कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने जो कायाकल्प किया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी पांच वर्षों में विश्वविद्यालय किन ऊंचाइयों को छूएगा।

कुलपति प्रो. चक्रवाल बोले...सीयू को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने स्वयं को दधीचि की तरह समर्पित कर दूंगा, AICTE चेयरमैन सहस्त्रबुद्धे ने विवि में चल रहे विकास के कार्याे को सराहा
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By NPG News

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बिलासपुर, 18 दिसंबर 2021। गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित गुरु घासीदास जयंती समारोह एवं कुल उत्सव में कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिए मैं स्वयं को दधीचि बनाकर समर्पित कर दूंगा। वहीं, एआईसीटीई के चेयरमैन डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे, ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में पिछले पांच महीनों में कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने जो कायाकल्प किया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी पांच वर्षों में विश्वविद्यालय किन ऊंचाइयों को छूएगा।


गुरु घासीदास जयंती समारोह एवं कुल उत्सव के अवसर पर विश्वविद्यालय के भव्य मुख्य प्रवेश द्वार का उद्घाटन पूजा अर्चना एवं फीता काटकर हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल, विश्वविद्यालय की प्रथम महिला प्रो. नीलांबरी दवे, मुख्य अतिथि डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष अखिल भारतीय तकनीकी परिषद (एआईसीटीई) नई दिल्ली एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक उपस्थित रहे। अति विशिष्ट अतिथि डॉ. जितेन्द्र कुमार त्रिपाठी संयुक्त सचिव विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली से आभासी माध्यम से कार्यक्रम में जुड़कर अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की। मुख्य प्रवेश द्वार के समीप अतिथियों द्वारा पौधारोपण किया गया।

भव्य मुख्य प्रवेश द्वार के उद्घाटन पश्चात समस्त अतिथि पदयात्रा करते हुए संत गुरु घासीदास जी की प्रतिमा स्थल पहुंचे। वहां उन्होंने पुष्प अर्पण करते हुए बाबा घासीदास जी की पूजा अर्चना की। अतिथियों ने शांति के प्रतीक रूप में श्वेत गुब्बारे आसमान में छोड़े। मूर्ति स्थल से पंथी नृत्य करते हुए लोक कलाकारों के साथ शोभायात्रा रजत जयंती सभागार पहुंची। शोभायात्रा में अतिथियों के साथ विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, एनसीसी व एनएसएस के स्वयंसेवक एवं विद्यार्थी साथ रहे।

विशिष्ट अतिथि प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक ने गुरु घासीदास जी को नमन करते हुए उनकी जयंती व कुल उत्सव की बधाई दी। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि इस नीति की आत्मा भारतीय एवं स्वरूप वैश्विक है। शिक्षा, संस्कृति व संस्कार को परिभाषित करते हुए कहा कि शिक्षा झुकने नहीं देती, संस्कृति पराजित नहीं होने देती और संस्कार गिरने नहीं देते। इसीलिए हम पूरे विश्व में गुरु के रूप में जाने जाते थे। नई शिक्षा नीति में शिक्षा के दोनों रूपों शास्त्र और नीति का समावेश है। शिक्षा का ध्येय ही आत्म उन्नति है। वहीं संस्कृति सभी शुभ तत्वों का संकलित आदर्श है, जो व्यवहार में पुष्पित एवं पल्लवित होता है। इस नीति में व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास पर जोर दिया गया है। दरअसल विद्या वह है जो हमें संकीर्णताओं, अभावों व अज्ञानता से मुक्त कर दे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक दिवसीय कार्यशाला के समन्वयक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. टी.वी. अर्जुनन ने कार्यशाला के विषय में जानकारी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विश्वविद्यालय में क्रियान्वयन हेतु गठित टास्क फोर्स के समन्वयक भौतिकीय विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. पी.के. बाजपेयी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. अनिल सहस्त्रबुद्धे, अध्यक्ष अखिल भारतीय तकनीकी परिषद (एआईसीटीई) नई दिल्ली ने कहा कि आजादी की पहली लड़ाई से एक सौ एक साल 1756 में जन्म संत गुरु घासीदास बाबा ने मानव जाति के लिए जो योगदान दिया उसकी प्रासंगिकता आज भी है। सत्य, अंहिसा और शांति की बात उन्होंने उस समय कही थी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी उसे दोहराया। इस विश्वविद्यालय में पिछले पांच महीनों में कुलपति प्रोफेसर चक्रवाल ने जो कायाकल्प किया है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगामी पांच वर्षों में विश्वविद्यालय किन ऊंचाइयों को छूएगा। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद तो तकनीकी शिक्षा के लिए यह परिषद कुछ हद तक रोजगार के लिए काम कर रही है लेकिन आज विद्यार्थियों में मानवीय मूल्यों को सिंचित करना जरूरी है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि पहली बार एआईसीटीई के चेयरमैन का विश्वविद्यालय में आगमन हुआ है। उनके लिए एक-एक मिनट महत्वपूर्ण है। वे मल्टीटास्किंग को पुनःपरिभाषित करने का प्रयास कर रहे हैं। कुलपति ने कहा कि जिस दिन हम सोच लेंगे कि कुछ भी आपके सामर्थ्य के बाहर नहीं उस दिन हमारा स्वयं पर अधिकार बढ़ जायेगा। जिस दिन हमने ठान लिया कुछ भी हमसे दूर नहीं तो इस विश्वविद्यालय को राष्ट्र के सर्वाेच्च विश्वविद्यालय बनने से कोई नहीं रोक सकता।

कुलपति ने कहा कि मैंने ठाना है कि इस विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिए मैं स्वयं को दधीचि बनाकर समर्पित कर दूंगा। मैं त्याग, बलिदान, श्रम, सेवा, समर्पण और संकल्प का पूजारी हूं। यह विश्वविद्यालय आप सभी के सामूीिक सहयोग से आगे बढ़ेगा, मैं अकेला कुछ भी नहीं कर सकता। मैं चाहता हूं कि आज के कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि बारम्बार इस विश्वविद्यालय में आयें और यहां की विकास गाथा में सहभागी बने।

राजभाषा प्रकोष्ठ की वार्षिक पत्रिका गुरु दर्शन के तीसरे अंक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। इस विशेष अवसर पर स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में टॉप टू परसेंटाइल वैज्ञानिकों में शामिल होने वाले गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के चार अध्यापकों डॉ. डी.के. पाल सह प्राध्यापक डॉ. पार्थ प्रीतम रॉय, डॉ. संजय कुमार भारती सहायक प्राध्यापक फार्मेसी विभाग एवं डॉ. सुभाष बनर्जी, सहायक प्राध्यापक रसायन शास्त्र विभाग को सम्नानित किया गया। अतिथियों ने गुरु घासीदास जयंती के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया। इसके साथ ही सतनामी पंथ के धर्मावंलबियों का सम्मान इस अवसर पर किया गया।

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