सेंट्रल यूनिवर्सिटी बना वर्ल्ड मोस्ट सस्टेनेबल यूनिवर्सिटी कैम्पस, देश में 22वां पोजिशन, कुलपति प्रो0 चक्रवाल के प्रयासों से विवि भर रहा तेज उड़ान
बिलासपुर, 30 दिसंबर 2021। गुरू घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) को वैश्विक स्तर पर 673 वां एवं भारत में 28 वां पायदान पर आने का गौरव हासिल हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ इंडोनेशिया द्वारा प्रत्येक वर्ष यू.आई. ग्रीन मेट्रिक वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जाता है। इस स्पर्धा का आयोजन वर्ष 2010 से किया जा रहा है जिसमें पूरी दुनिया के विश्वविद्यालयों के मध्य सस्टेनेबल यूनिवर्सिटी कैंपस रैंकिंग हेतु प्रविष्टियां आमंत्रित की जाती हैं।
प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल के कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण के बाद से अकादमिक गतिविधियों में सकारात्मक सक्रियता के साथ प्रयास किये जा रहे हैं। कुलपति के वैश्विक परिदृश्य के व्यक्तिगत एवं पेशेवर अनुभव का लाभ विश्वविद्यालय की समस्त गतिविधियों में परिणामजनक प्रोत्साहन के रूप में मिल रहा है।
कुलपति को वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावरण विभाग के सह-प्राध्यापक डॉ. एस.सी. तिवारी एवं गुंजन पाटिल के द्वारा यू.आई. ग्रीन मेट्रिक वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग प्रमाण पत्र भेंट किया। माननीय कुलपति महोदय ने अक्टूबर 2021 में इस वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भाग लेने हेतु निर्देशित किया गया था। इसकी संपूर्ण प्रक्रिया विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में वानिकी, वन्य जीव एवं पर्यावर विभाग द्वारा 31 अक्टूबर को पूर्ण की गई। वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालय को 673 वां स्थान प्राप्त हुआ है जो की विश्वविद्यालय परिवार के लिए बहुत ही गौरव एवं हर्ष का विषय है।
इस प्रतिस्पर्धा में विश्वविद्यालयों का चयन उनकी अधोसंरचना, शिक्षा, स्वच्छ ऊर्जा का प्रयोग, जल प्रबंधन, कैम्पस ग्रीन कवर, उपयुक्त अपशिस्ट प्रबंधन, कार्बन फूट प्रिंट, परिवहन व्यवस्था एवं सस्टेनेबिलिटी पर किये गये शोध कार्य के आधार पर किया जाता है। इस प्रक्रिया में मापदंडों का विवरण यू.आई. ग्रीन मेट्रिक पोर्टल पर ऑनलाइन अपलोड किया जाता है। साल 2010 में जब यह प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हुई तब तक विश्व के केवल 35 देशों के विश्वविद्यालयों ने हिस्सा लिया था और अब 2021 में यह संख्या बढ़कर 80 देशों तक हो गई है। इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेने से विश्वविद्यालय वैश्विक स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाते है एवं सस्टेनेबिलिटी के बारे में प्रचार-प्रसार परिसर समुदायों के बीच होता है जिससे सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्य हो सकता है।