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सपनों का शहर बनाने जरूरी है आपका फीडबैक….

सपनों का शहर बनाने जरूरी है आपका फीडबैक….
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By NPG News

आषीष मिश्रा

(महाप्रबंधक)(जनसंपर्क),
(रायपुर स्मार्ट सिटी लिमि.)

रायपुर 27 फरवरी 2020 शहर मेरा है, तो मेरी आवाज की खनक भी दिखे यह अपेक्षा हर बाषिंदे की जरूर होती है। रोजमर्रा की जिंदगी में जब हम रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं की उम्मीद करते हैं, तो यह भी कोशिश होती है कि मेरे शहर में कम खर्च पर आने-जाने की सुविधा का मुकम्मल इंतजाम हो, बच्चों की पढ़ाई के लिए बेहतर स्कूल हो, यही नहीं पूरे जीवन लंबी भागदौड़ के बाद बुढ़ापे में मेरा शहर सुकून के पल गुजारने के लिए बेहतर अबो-हवा के बीच हरे-भरे ऐसे स्थान कम खर्च पर उपलब्ध कराए जिससे कि उम्र की ढलती शाम में भी बुजुर्ग अपनी मुस्कुराहटों से जिंदगी के अपने षानदार अनुभव साझा कर सकें।
सभी सरकारों चाहती है कि आशा, विश्वास व आम लोगों की जरूरत के हर स्पंदन को महसूस कर बुनियादी सोच के अनुरुप शहर को विकसित करने कार्यक्रम व योजनाओं की रूपरेखा बनाई जाए। शहर की तासीर के मुताबिक जब योजना व कार्यक्रमों को असली जामा पहनाया जाता है, तो पूरी कोशिश होती है कि आम लोगों की जरूरतों का प्रतिबिंब इसमें शामिल हो और जीवन के पड़ाव से गुजरते हर आदमी के सुकून के लिए उनका षहर सौ फीसदी खुद को बेहतर बना सके।
शहरीकरण की अपनी चुनौतियां होती है। आम नागरिकों को षुद्ध पानी मिले, खूबसूरत उद्यान व क्रीड़ा स्थल उनके शहर को सुंदर बनाएं, पानी से लबालब तालाब व जल स्त्रोत निस्तारी में उनका साथ निभाएं, बीमारों की सेवा के लिए बेहतर अस्पताल मिले और उनकी सुविधाओं व समस्याओं की परख के लिए एक ऐसा विकसित तंत्र हो, जो अपनी त्वरित सेवाओं से उन तक पहुंच सुनिष्चित करने हमेंषा मुस्तैद रहें। इन चुनौतियों को पार करने की सबसे बड़ी चुनौती यही होती है कि आम जरुरतों की समझ जमीनी स्तर से मिले और एक ऐसा आधारभूत तंत्र विकसित हो जो जन सेवा के हर मापदण्ड को दक्षता से पूर्ण करने अपना षत-प्रतिषत दे सकें। इस तंत्र की निगरानी के लिए सबसे जरूरी है कि आम आदमी सबसे पहले अपनी जरुरतों की जानकारी दें और फिर समूचा तंत्र इन्ही जरूरतों को हर घर तक पहुंचने में योजनाबद्ध कार्यक्रमों का निर्धारण कर इसकी सुलभता की व्यवस्था करें।
आम नागरिकों की यह जायज़ कोषिष होती है कि जेब में रखे पैसों के न्यूनतम उपयोग से उनकी हर जरूरतों कीे पूर्ति हो सके यह चुनौती हर शहर की होती है। कमोबेश हर नागरिक यह चाहता है कि कम खर्च में उनके बच्चों की जरूरतों को पूरा करने मिले। शहर के किसी भी घर में आने-जाने के लिए कम खर्चे में बड़ी आसानी के साधन मिले, बच्चे, महिलाएं सभी सुरक्षित, आत्मविश्वास भरे निश्चित भाव से शहर में चहल कदमी करें और खुद को सर्वश्रेष्ठ बनाने में अपनी पूरी शक्ति के साथ प्रतिस्पर्धा के दौर में अपना सर्वश्रेष्ठ दे सकें।
अपेक्षाओं की इस दौड़ में वे जरूरतों को पूरा करने की जुगत तो पूरी करते हैं, लेकिन अधिकांश लोग अपनी जरूरतों को जाहिर करने में हमेशा पीछे रहते हैं, इसलिए जब समग्र योजनाएं एक दूरदर्षी सोच के साथ आगे बढ़ती है, तो उन्हें लगता है कि उनकी मूल जरूरतों की प्राथमिकताएं इनमें शामिल नहीं है। अपनी जरुरतों पर प्रतिक्रिया न देने का आलस्य और निष्क्रियता ही तो उनके माथे पर चिंता की लकीरें खींचती है और अनमने भाव से जीने की मजबूरी का कारण बनती हैं, और अपने एजेंडे में हर वर्ग की जरूरतों को पूरा करने की भरपूर कोशिश करती सरकारें चाहकर भी आम जरूरतों की आवाज़ को लिपिबद्ध नहीं कर पाती है। ऐसे में नागरिकों को अपनी जरूरतों को नीति नियंताओं तक पहुंचाने की जरूरत है और प्रतिक्रिया देने में निष्क्रिय वर्ग की आवाज को जागृत करने गहन आत्ममंथन कर सबकी भागीदारी की दिषा में तेज कदम बढ़ाने की जरुरत है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जो आम लोगों के स्नेह व विश्वास के प्रतीक के रूप में “मोर रायपुर“ के नाम से जुबां पर है। मोर रायपुर एक छोटे से मोहल्ले से स्मार्ट सिटी तक की लंबी साहसिक यात्रा में विश्वास व विकास की कई मापदंड स्थापित किए हैं। देश के सात श्रेष्ठ शहरों में शुमार रायपुर व्यापार, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी जरूरतों का केंद्र है। यहां की आबो-हवा समृद्ध विरासत व शांत सौम्य जीवनशैली अन्य प्रांत के लोगों के लिए भी अपना बसेरा बनाने के लिए हमेशा से प्रेरित करता आ रहा है। सभी धर्म, संप्रदाय, वर्ग व समाज की सतरंगी दृश्य के बीच अपने स्वाभिमान के साथ तेजी से विकसित होते शहर के रूप में मोर रायपुर का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। ऐसे में हर नागरिक के सपनों के अनुरूप खुद को गढ़ने में रायपुर को भी महसूस होता है कि शहरवासी अपनी जरूरतों के मुताबिक आगे की राह चुनने में अपनी बात खुल कर रखें। यह बताएं कि ऐसी कौन सी अपेक्षाएं हैं, जिन्हें उनके द्वारा शहर बड़ी आसानी से पूरा करता है और ऐसी कौन सी जरूरतें हैं, जिनकी उम्मीद वह मोर रायपुर से करते हैं।
भारत सरकार ने 2016 में जब स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की तो एक कड़ी प्रतिस्पर्धा के बाद रायपुर का नाम भी स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया। योजनाओं व आशाओं के स्पंदन के बीच 2018 में नागरिकों से मिले फीडबैक में यह शहर देश के “टॉप-7“ शहरों में शुमार रहा। इस साल केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय जीवन सुगमता सूचकांक में शहर की रैंकिंग कर रहा है, इसके लिए केंद्र सरकार अपनी टीम शहरों में भेजने के अलावा आम नागरिकों से सीधे 24 सवाल कर जानना चाह रहा है कि उनकी नजर में उनका शहर कैसा है? क्या उनकी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सफल है या आपके नजरिए से इसमें सुधार व संशोधन की संभावनाएं हैं। ये सभी प्रश्न का जवाब हर नागरिक को जरूर देना चाहिए, क्योंकि उनके सपनों के शहर को गढ़ने व आगे बढ़ने में उनकी आवाज व सोच इसमें शामिल रहे। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, सुरक्षा, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं से जुड़े इन प्रश्नों में 52 सूचकांक के साथ 94 डाटा प्वाॅइंट शामिल है। इसके अलावा 101 नगरीय निकाय प्रदर्शन सूचकांक के साथ 151 डाटा प्वाॅइंट भी पहली बार सर्वेक्षण में शामिल कर केंद्र सरकार शहर की जरूरतों को परखना चाहता है। इसके लिए शहर भर में आकर्षक बैनर पोस्टर लगाया गया है, जिसमें अंकित चित्र को स्कैन कर या म्वस2019ण्वतहध्बपजप्रमदमिमकइंबा लिंक पर जाकर हर नागरिक अपना फीडबैक दे सकते हैं। बेहतर समृद्धषाली व सपनों के शहर को रूपाकार देने में इस फीडबैक की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसलिए आप भी अपना फीडबैक जरूर दें और अपने उम्मीदों की नींव पर आकार लेते मोर रायपुर में अपने योगदान की साक्षी बने।

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